Last Updated on September 18, 2024 by admin
लता करंज क्या है ? :
लता करंज के पेड़ लगभग सारे भारत में समुद्र के किनारों तथा मध्य और पूर्वी हिमालय से लेकर श्रीलंका तक पाये जाते हैं। नदियों के किनारे और पानी के आस-पास इसके पेड़ ज्यादा पाये जाते हैं। इसकी पत्तियां 30 से 60 सेंटीमीटर लंबी तथा इसके पत्तों के गुच्छे में 6-8 पत्ते होते हैं। पुष्प गुच्छे पीत दल तथा फल कांटों से भरे होते हैं। फूल बारिश के महीने में और फल सर्दी के महीनों में लगते हैं।
विभिन्न भाषाओं में लता करंज के नाम :
संस्कृत | लता करंज, कंटकी, करंज। |
हिन्दी | कट करंज। |
अंग्रेजी | फीवर नट। |
बंगाली | नातु करोंजा। |
तमिल | एविल गज्जी। |
विभिन्न रोगों में लता करंज के फायदे और उपयोग :
1. आधे सिर का दर्द (आधाशीशी):
- लता करंज के बीजों की गिरी के बराबर तेजपात, बच और खाण्ड को मिलाकर खरलकर बारीक पाउडर बना लें। इस पाउडर को नाक से खींचें और छींके इससे आधे सिर का दर्द तुरन्त गायब हो जायेगा।
- लता करंज के बीजों को पानी में पीसकर थोड़ा गुड़ मिलाकर गर्म कर लें जिस ओर सिर में दर्द हो रहा हो उसके विपरीत नाक के छेद में इसकी 1 से 2 बूंद टपकायें तथा आधा घन्टे बाद दूसरे नाक के छेद में टपकायें। ऐसा कुछ दिन करने से आधे सिर का दर्द पूर्ण रूप से खत्म हो जाता है।
2. गंजापन:
- लता करंज के तेल को सिर में लगाने से गंजापन में लाभ होता है।
- लता करंज के फूल 6 से 12 ग्राम को पीसकर सिर में लेप करने से सिर का गंजापन दूर होता है।
3. मिर्गी: मिर्गी के रोगी को लता करंज के पत्तों का 10 से 12 मिलीलीटर रस निकालकर दिन में तीन बार देने से मिर्गी के रोग में अधिक लाभ होता है।
4. आंखों के रोग:
- करंज के बीजों के चूर्ण को पलाश के फलों के रस में लगाकर सुखा लें और इसकी सलाइयां बना लें। इन सलाइयों को पानी में घिसकर आंख में लगायें इससे आंखों का फूलना बंद हो जाता है।
- पित्त नेत्र रोग में (जब पलक लाल और रोम रहित हो जाये) लता करंज के 1 से 2 ग्राम बीजों की गिरी और तुलसी व चमेली की कलियां बराबर लेकर सबको मिलाकर कूट लें। इस कूट को इससे 8 गुने पानी में पकावें। थोड़ा पानी रह जाने पर छानकर पुन: दोबारा पकाकर गाढ़ा कर लें। गाढ़े काढ़ा को पलकों पर लगाते रहने से पित्त नेत्र रोग में लाभ होता है।
5. दांतों का रोग:
- लता करंज की टहनी की दातुन करने से एवं इसके तेल को दांतों पर लगाने से पायरिया में लाभ होता है।
- 7 ग्राम लताकरंज के बीजों को 7 ग्राम मिश्री के साथ रोगी को देने से दांतों से खून आना बंद हो जाता है।
6. खांसी:
- लता करंज के बीजों का चूर्ण 150 से 750 मिलीग्राम में सुहागे की खील 125 मिलीग्राम मिला लें और शहद के साथ दिन में 3 से 4 बार चाटें। इसके बीजों को धागे में पिरोकर गले में बांधने से 4 से 5 दिन में ही खांसी ठीक हो जाती है।
- लता करंज के 10 से 12 मिलीलीटर पत्तों के रस में कालीमिर्च का पाउडर 250 से 500 मिलीग्राम तक मिलाकर रोजाना सुबह-शाम 4 दिनों तक चाटने से लाभ मिलता है।
- करंज की फलियों की माला बनाकर गले में पहनने से कुत्ता खांसी (कुकर खांसी) खत्म हो जाती है।
- कुत्ता खांसी (कुकर खांसी) में लता करंज के बीज 1 से 2 ग्राम पानी में उबालकर पिलाने से फायदा होता है।
7. मंदाग्नि (पाचन शक्ति का कमजोर होना): करंज 10 से 12 मिलीलीटर रस में चित्रक के पत्तों का रस और कालीमिर्च व नमक मिलाकर मंदाग्नि के रोगी को पिलाने से पाचन शक्ति की कमजोरी, दस्त और अफारा (पेट फूलना) रोग में लाभ होता है।
8. पेट के कीड़े: लता करंज का तेल पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
9. यकृत (लीवर) में कीड़े: लीवर में कीड़े होने पर 10 से 12 मिलीलीटर करंज के पत्तों के रस में वायविडंग और छोटी पीपर का चूर्ण 125 मिलीग्राम से 1 ग्राम तक मिलाकर सुबह-शाम खाना खाने के बाद 7 से 8 दिन तक खाने से यकृत के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
10. गुल्म रोग और वात शूल: करंज के पत्तों को चावल के पानी में उबालकर रोगी को पिलाते रहने से रोग ठीक होता है। इससे दर्द कम होता है और पाचन शक्ति भी मजबूत रहती है।
11. बवासीर:
- अगर मल रुककर आता हो या वायु का प्रकोप ज्यादा हो तो लता करंज के 1 से 3 ग्राम पत्तों को घी और तिल के तेल में भूनकर सत्तू के साथ मिलाकर खाना खाने से पहले खाये। इससे बवासीर ठीक होती है।
- लता करंज के कोमल पत्तों को पीसकर लेप बनाकर खूनी बवासीर में लेप करने से रोग में फायदा होता है। इसके 1 से 3 पत्तों को पीस व छानकर रोगी को पिलाने से भी लाभ होता है।
- 500 मिलीग्राम से 2 ग्राम करंज की जड़ के पाउडर में चित्रक, सेंधानमक, सौंठ और इन्द्रजौ की छाल का चूर्ण बराबर मात्रा में मिला लें। यह मिश्रण 1 से 3 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार सेवन करते रहने से दोनों बवासीर में लाभ होता है।
- 2 ग्राम करंज के जड़ की छाल के चूर्ण को गाय के मूत्र में पीसकर रोगी को पिलाएं तथा पीने में केवल छाछ तीन दिन तक लेने से लाभ होता है।
12. मधुमेह: मधुमेह और ज्यादा पेशाब आने की बीमारी में लता करंज के फूलों का फांट बनाकर लेने से रोग ठीक होता है।
13. वमन (उल्टी):
- उल्टी, कफ प्रधान रक्तपित्त में लता करंज के बीज की गिरी का पाउडर 2 से 3 ग्राम की मात्रा में चीनी व शहद मिलाकर सुबह-शाम चाटने से वमन (उल्टी) में आराम मिलता है।
- लता करंज के बीजों को भूनकर बीजों के आधा भाग चीनी मिलाकर कूट-पीसकर चने जैसी गोलियां बना लें। 1-1 गोली रोगी को हर 10 मिनट पर दें। इसके प्रयोग से उल्टी जल्दी रुक जाती है। या करंज के बीजों को आग पर टुकड़े करके पका लें तथा 1 से 2 टुकड़े बार-बार खायें। इससे रोग में लाभ होता है।
14. वीर्य को गाढ़ा करना: करंज के पत्तों का रस हथेली और तलुवों पर मालिश करने से वीर्य गाढ़ा होता है। इसके एक बीज को सहवास (संभोग) के समय मुंह में चबाने से भी वीर्य गाढ़ा होता है।
15. सुजाक: लता करंज की 1-3 ग्राम जड़ के रस में नारियल का पानी और चूने का निथारा हुआ पानी बराबर मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम रोगी को पिलाने से मूत्रनलिका की सूजन, जलन आदि दूर होकर पीव का बहना बंद करता है।
16. वातज शूल:
- लता करंज के बीज, कालानमक, सोंठ और हींग बराबर मिलाकर चूर्ण बनाकर रख लें। यह चूर्ण 500 मिलीग्राम से 1 ग्राम तक ताजे पानी के साथ खाने से वातज शूल नष्ट होता है।
- कमर के दर्द में करंज (लता करंज) के बीजों की 1 गिरी (मींगी) और 125 मिलीग्राम शुद्ध नीलाथोथा दोनों को पीसकर सरसों के तेल में मिलाकर 12 गोलियां बना लें। 1-1 गोली रोजाना खाने से वातज शूल में लाभ होता है।
- 10 से 20 ग्राम करंज के कोमल पत्तों को तिल के तेल में भूनकर रोजाना खायें। इससे रोग जल्द ठीक होता है।
17. पथरी: करंज (लता करंज) के बीजों की मींगी के 1 ग्राम चूर्ण में 3 ग्राम शहद मिलाकर, पहले दिन खायें, फिर रोजाना 1-1 ग्राम बढ़ाते हुए 11वें दिन में 11 ग्राम की मात्रा में खायें। 11 वें दिन से 1-1 ग्राम कम करते हुए 3 ग्राम तक खायें। इसके प्रयोग से दोनों प्रकार की पथरी ठीक हो जाती हैं।
18. भगन्दर:
- 2 मिलीलीटर करंज के जड़ की छाल के दूधिया रस की पिचकारी भगन्दर में देने से भगन्दर का घाव जल्दी भर जाता है।
- दूषित कीडे़ से भरे भगन्दर के घावों पर करंज के पत्तों की पुल्टिस बनाकर बांधें अथवा कोमल पत्तों का रस 10-20 मिलीलीटर की मात्रा में निर्गुण्डी या नीम के पत्तों के रस में मिलाकर भगन्दर के घाव पर बांधने से लाभ मिलता है।
- करंज के पत्ते और निर्गुण्डी या नीम के पत्ते को पीसकर पट्टी बनाकर भगन्दर पर बांधने से या पत्तों को कांजी में पीसकर गर्म लेप बनाकर लेप करने से रोग में आराम मिलता है।
19. चर्म, कुष्ठ रोग:
- करंज के 10 से 12 मिलीलीटर पत्ते के रस में चित्रक जड़, कालीमिर्च और सेंधानमक का चूर्ण बराबर मात्रा में मिला लें। इस मिश्रण को 2 गुने पतले दही में मिलाकर दिन में 2 बार, 3 से 4 महीने तक लगातार पीते रहने से गले हुए कुष्ठ की जलन शान्त होती है।
- 1-2 ग्राम करंज के बीजों के साथ हल्दी, हरड़ और राई पीसकर लेप बनाकर लेप करने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है।
- करंज, नीम और खैर के पत्तों को पीसकर लेप बनाकर लेप करने से तथा तीनों का काढ़ा बनाकर नहाने से व पीने से कुष्ठ व चर्म रोग ठीक होता है।
- 1 से 2 ग्राम करंज के बीजों के साथ सफेद कनेर की जड़ मिला लें और पीसकर लेप करें। इससे त्वचा के रोगों में लाभ होता है।
- पामा, एक्जिमा आदि पर करंज के 10-20 मिलीलीटर पत्ते के रस में गन्धक व नींबू का रस मिलाकर लगाने से रोग में जल्दी आराम मिलता है।
- खुजली, क्षय (टी.बी) और पामा आदि त्वचा के रोगों पर 25 ग्राम करंज के तेल में 4 ग्राम तक जस्ता भस्म मिलाकर लगायें।
- साधारण कुष्ठ रोग पर करंज का तेल लगाने से तथा सफाई व स्वच्छता पर ध्यान देने से लाभ मिलता है।
- कुकुणक नामक महाकुष्ठ रोग में करंज के 25 मिलीलीटर तेल में चित्रक और सेंधानमक का पाउडर मिलाकर लेप करने से लाभ होता है।
- करंज के तेल और नींबू का रस बराबर मात्रा में मिलाकर अच्छी तरह मिलायें जब यह मिश्रण पीले रंग का हो जाए तो इसे त्वचा पर लगायें। इसका प्रयोग उपन्दशजन्य या किसी भी दूसरी बीमारी से शरीर की त्वचा पर पड़े दाग-धब्बों पर लगाने से लाभ मिलता है तथा खुजली, झांई और दाग-धब्बे आदि त्वचा रोग भी इससे खत्म हो जाते हैं।
- करंज की 1-2 ग्राम फल की लुग्दी बनाकर कुष्ठ और त्वचा सम्बंधी रोगों में खाने से लाभ होता है।
20. घाव:
- करंज की जड़ का रस दूषित घावों पर लगाने से घाव ठीक होता है।
- करंज, थूहर, आक, अमलतास और चमेली के पत्ते बराबर मात्रा में लेकर गाय के मूत्र के साथ पीसकर घाव पर लेप करने से दर्द, घाव, दूषित बवासीर और नाड़ी के घाव खत्म होते हैं।
- घाव के सूजन पर करंज के 1-3 ग्राम पत्तों को निर्गुण्डी के पत्तों के साथ पीसकर घाव पर बांधने से सूजन कम हो जाती है।
- करंज के पत्तों की पट्टी बनाकर कीड़ों से भरे घावों पर लगाने से कीड़े मर जाते हैं तथा रोग में आराम मिलता है।
21. चेचक: करंज के बीज, तिल और सरसों बराबर मात्रा में मिलाकर लेप बनाकर लेप करने से चेचक रोग में लाभ मिलता है।
22. बुखार:
- करंज की मींगी को पानी में पीसकर नाभि पर टपकाने से कफ बुखार ठीक होता है।
- करंज के 3 कोमल पत्तों और 2 कालीमिर्च को पानी में पीसकर नाभि पर लगाने से कफ का बुखार उतर जाता है।
23. पायरिया: लताकरंज, त्रिफला और पटोल फल को बराबर मात्रा में लेकर घी में मिलाकर रखें। यह मिश्रण 1 से 2 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 से 3 बार बच्चों को खिलाने से रोग ठीक होता ह
24. एड्स: लताकस्तूरी के पत्तों एवं जड़ के लुवाब (चिपचिपा गाढ़ा रस) में मिश्री मिलाकर सुबह शाम खाने से रतिजन्य (संभोग से उत्पन्न) रोगों में लाभ होता है।
अस्वीकरण: इस लेख में उपलब्ध जानकारी का उद्देश्य केवल शैक्षिक है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं ग्रहण किया जाना चाहिए। कृपया किसी भी जड़ी बूटी, हर्बल उत्पाद या उपचार को आजमाने से पहले एक विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें