Last Updated on August 26, 2020 by admin
स्प्रेन या मोच क्या है ? (What is sprain in Hindi)
moch aana kya hai –
किसी अस्थि-संधि (Bone Joint) के स्नायु (Ligaments) जब अपनी क्षमता से अधिक खिंच जाते हैं, तो इसे स्प्रेन या मोच कहते हैं। शरीर रचना विज्ञान (Anatomy) में स्नायु वे तंतुमय रचनाएं होती हैं, जिनके द्वारा दो हड्डियों के दोनों सिरे जुड़ते हैं। किसी मोड़ पर हड्डियों को जोड़ने वाले ऊतकों को स्नायु कहते हैं।
मोच के कारण (Sprain Causes in Hindi)
moch kyu hote hai –
निम्न कारणों से किसी को मोच या खिंचाव आ सकता है ।
- खेलकुद के दौरान लगी चोट के परिणामस्वरूप मोच हो सकती है, जब जोड़ पर उसकी सहने की क्षमता से अधिक जोर पड़ता है, जैसे अधिक देर तक खड़े या रुके रहने से अथवा आघात (चोट) के कारण स्नायु के कुछ तन्तुओं के टूट जाने से मोच उत्पन्न होती है।
- आमतौर पर खिलाड़ियों, एथलीट्स, नर्तकों और शारीरिक परिश्रम या मजदूरी करने वालों को इस प्रकार की चोटें लगती रहती हैं।
- शरीर के अधिक वजन और मांसपेशियों की कमजोर स्थिति में चोट और मोच का खतरा बढ़ता है।
- सपाट पाद (Flat Foot) वाले रोगी को अधिक देर तक खड़े रहने से भी स्प्रेन हो जाता है।
मोच के लक्षण (Sprain Symptoms in Hindi)
moch ke lakshan bataye –
मोच के निम्नलिखित लक्षण व संकेत हो सकेत हैं ।
- मोच होने पर दर्द महसूस होना।
- सूजन ।
- त्वचा का नीला पड़ना ।
- घाव के निशान ।
- प्रभावित क्षेत्र पर जकड़न ।
- गति का न होना ।
- मांसपेशियों का संकुलन अर्थात् जोड़ सख्त रूप से दर्द करना आदि लक्षण दिखते हैं।
- कभी-कभी आघात के कारण अधःत्वचागत रक्तस्राव भी होता है। मोटापे से ग्रस्त पुरुषों, स्त्रियों में प्रायः बच्चा होने के बाद या दुबले रोगियों में यह व्याधि उत्पन्न होती है।
मोच में क्या करें, क्या न करें (What To Do and What Not To Do During Sprain in Hindi)
moch me kya karen, kya na karen –
- रोगी को किसी सहारे के द्वारा चोटग्रस्त/मोचग्रस्त हिस्से को फिर से चोटिल होने से बचाना चाहिए।
- उस हिस्से को आराम देकर प्रत्येक घंटे के बाद 20 मिनट के लिए बर्फ लगाएं। बर्फ को त्वचा पर सीधे न रखकर पतले कपड़े का प्रयोग करें।
- मोचग्रस्त क्षेत्र के आसपास इलास्टिक बैंडेज को हलके-से (तंग न हो) बांधकर दबाव देना चाहिए।
- गर्म सिंकाई, एल्कोहल, दौड़ना या मालिश आदि नहीं करें।
- एल्कोहल (शराब) पीने से सूजन बढ़ती है और ठीक होने की गति कम होती है।
- दौड़ना या कोई अन्य व्यायाम क्षति को बढ़ा देता है और मालिश करने से रक्तस्राव और सूजन बढ़ सकती है।
- आमतौर पर मध्यम स्तर की मोच की स्थिति में जब कमजोरी या कार्यक्षमता की हानि हो, दर्द के कारण जानने के लिए फ्रैक्चर या उभरी डिस्क का एक्स-रे करवाया जा सकता है।
- सामान्यतः मोच को ठीक होने में 2 सप्ताह से लेकर 6 माह तक का समय लग सकता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि मोच कितनी गंभीर है।
- मोच के लक्षणों वाले अधिकतर रोगी 2 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं। ज्यादा गंभीर स्थिति में अच्छे चिकित्सक की देखरेख में उपचार कराएं।
मोच ठीक करने के घरेलू उपचार (Home Remedies for Sprain in Hindi)
moch ka gharelu upchar kya hai –
मोच के लिए निम्नलिखित घरेलू उपचार है।
1). अखरोट तेल का उपयोग मोच के लिए – हाथ-पैरों की ऐंठन और पैर की मोच पर अखरोट तेल लगाने से दर्द से राहत मिलती है।
2). शहद के फायदे मोच ठीक करने में – चूने को शहद के साथ मिलाकर मोच वाले स्थान पर लगाने से आराम मिलता है।
3). इमली के लाभ मोच के लिए – इमली की पत्तियों को पीसकर थोड़ा गर्म करके मोच वाली जगह पर लगाने से दर्द में तुरंत राहत मिलती है।
4). मोच के घरेलू उपाय में तिल लाभदायक – महुआ और तिल को कपड़े में बांधकर लगाने से हड्डी की मोच ठीक होने में मदद मिलती है।
5). मोच के इलाज में अनार का उपयोग – अनार के पत्ते पीसकर मोच वाली स्थान पर लगाएं ।
6). एलोवेरा के फायदे मोच ठीक करने में – एलोवेरा के गूदे को सूजन और मोच वाली जगह पर लगाने से रोगी को आराम मिलता है।
7). मोच के उपचार में हल्दी के लाभ – हल्दी और सरसों के तेल को मिलाकर हलका गर्म कर मोच वाली जगह पर लगाकर कपड़े से ढंकने से भी लाभ होता है।
8). मोच के घरेलू उपचार में तेजपत्र के फायदे – पैर में मोच आने पर तेजपत्र को पीसकर प्रभावित स्थान पर लगाएं।
मोच से बचाव के उपाय (Preventiing Sprain in Hindi)
moch se bachne ke upay –
- मोच से बचने के लिए जब थके हों तो व्यायाम न करें और न ही खेलें।
- गिरने के प्रति सावधानी रखें।
- सीढ़ियों, गलियारे, बगीचे और गाड़ी चलाते, पैदल चलते या दौड़ते समय असमतल स्थानों का त्याग करना चाहिए।
- उचित जूतों का प्रयोग करें।
मोच में खान-पान और परहेज (What to Eat and Avoid During Sprain in Hindi)
moch me kya khayen kya na khayen –
पथ्य (खाये) –
- बीटा कैरोटीन कोलेजन, जो कि मोच के दौरान क्षतिग्रस्त स्नायुओं का निर्माण करता हैं, से युक्त पदार्थों का सेवन करना चाहिए। इसके प्राकृतिक अच्छे स्रोतों में गहरे हरे रंग की पत्तेदार सब्जियों जैसे पालक, ब्रोकोली और गाजर आदि का सेवन अधिक करें।
- सूजन घटाने की लिए विटामिन सी युक्त पत्ता गोभी, शिमला मिर्च, कीवी, खट्टे फल जैसे संतरा नींबू व अंगूर (ग्रेप) का सेवन हितकारी होता है।
अपथ्य (न खाये) –
शीतल पेय, बियर, आइस्क्रीम आदि का सेवन टालें क्योंकि यह ठंडी वस्तुएं रक्तसंचार को धीमा कर देती है। इस कारण मोच के ठीक होने की गति भी धीमी हो जाती है।