Last Updated on August 7, 2021 by admin
स्वस्थ पीठ ही पूरी सेहत की बुनियाद है। कमर दर्द के बहुत से कारण हो सकते हैं, जैसे गलत मुद्रा में बैठना, मांसपेशियों की थकान और भावनात्मक सहारे का अभाव । कमर दर्द का इलाज करने वाले विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि नियमित स्ट्रेचिंग व सामान्य व्यायामों के अलावा कमर को सही रखने वाले विशेष व्यायाम रोज़ करना चाहिए । मज़बूत रीढ़ मज़बूत पेड़ जैसी होती है, जिसकी शाखाएँ शक्तिशाली होती हैं। परिघासन कमर के लिए चमत्कारिक आसन हो सकता है। यह कमर की कठोरता को खत्म करता है और पेट को सुडौल बनाता है। बगल में झुककर किया जाने वाला परिघासन आपके दिन को सुखद बनाने वाला एक अहम आसन है।
परिघासन के लाभ (Parighasana ke Labh in Hindi)
- इस आसन के नियमित अभ्यास से – गर्दन, सीना, नितंब, पैर और टखने की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
- इस आसन के अभ्यास से रीड की हड्डी में लचीलापन उत्पन्न होता है।
- परिघासन से पैरों से सिर तक पूरे शरीर की मांसपेशियों में खिचाव उत्पन्न होता है, जिस्से शरीर को आरोग्य शक्ति व ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
- परिघासन शरीर से हानिकारक द्रव्यों को बाहर करने में मदद करता है।
- यह आसन रक्त को शुद्ध करने में सहायक है।
- परिघासन वात, पित्त और कफ को सम करनेवाला उपयोगी आसन है।
- वजन कम करने में भी यह आसन काफी लाभप्रद है।
- यह आसन शरीर में पानी की मात्रा का संतुलन बनाये रखने में मदद करता है।
- सांस लेने में होने वाली परेशानियों को परिघासन दूर करता है।
परिघासन करने की विधि (Parighasana Karne ki Vidhi in Hindi)
- किसी ऐसी सतह पर बैठें, जो आपके घुटनों के लिए आरामदेह हो।
- बायाँ घुटना फर्श पर नीचे टिका दें और दाएँ पैर को बगल में फैला लें।
- अब दाएँ हाथ से दाएँ पैर को छूते हुए इसे ज्यादा से ज्यादा आगे ले जाने की कोशिश करें।
- इसके बाद बाएँ हाथ को सिर के ऊपर से लेकर आगे रखे पैर की ओर ले जाएँ।
परिघासन करने से पूर्व ध्यान में रखने योग्य बातें (Parighasana Karne se Pahle)
- इस आसन को सुबह के समय किया जाना सर्वोत्तम माना गया है । अगर यह संभव नही तो शाम को इस आसन को करने से 4 – 5 घंटे पहले भोजन कर लें।
- शौच आदी से निवृत हो पेट खाली होने की अवस्था में ही इस आसन का अभ्यास किया जाना चाहिए।
परिघासन करने में सावधानी (Parighasana Karne me Savdhani in Hindi)
- दस्त, पेट में दर्द, घुटने की समस्या होने पर यह आसन न करें ।
- किडनी, अल्सर, रक्तचाप, हर्निया तथा हृदय रोगियों को यह आसन नहीं करना चाहिए ।
- गर्भाशय संबंधी कोई भी समस्या होने पर महिलाओं को इस आसन से बचना चाहिये ।
- गर्भवती स्त्रियां इस योग को ना करें।