Last Updated on November 6, 2021 by admin
इस आसन में शरीर की आकृति खरगोश की तरह होने के कारण इसे ‘शशांकासन’ कहते हैं। शशांकासन करने से शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ता है। इससे वायु मार्ग खुल जाते हैं और फेफड़ों तथा सीने को ऊर्जा मिलती है। यह आसन तंत्रिकाओं को शांत करने और भावनात्मक तनाव कम करने के लिए अच्छा होता है, जो दमे के दौरों में स्वाभाविक रूप से होते हैं। शशांकासन करने से चैन की नींद आने में भी मदद मिलती है, फेफड़े स्वस्थ रहते हैं और दमे से जुड़ी समस्याएँ न्यूनतम हो जाती हैं।
शशांकासन के लाभ (Shashankasana ke Labh in Hindi)
- हृदय की स्वाभाविक मालिश करता है। इसलिए हृदयरोगियों के लिए लाभकारी है।
- आँत, यकृत्, अग्न्याशय एवं गुर्दो को बल प्रदान करता है।
- मानसिक रोग, तनाव, क्रोध, चिड़चिड़ापन, गुस्सा आदि को दूर करता है।
- स्त्रियों के गर्भाशय को बल देता है। पेट, कमर एवं कूल्हों की चर्बी कम करता है।
- यह मानसिक चिंता एवं तनाव को दूर करके क्रोध पर नियंत्रण करने में सहायक है।
- स्मरण शक्ति विकसित होती है।
- यह एकाग्रता बढ़ाता है।
- यह तीव्र रक्तचाप को सामान्य करता है।
शशांकासन करने की विधि (Shashankasana Karne ki Vidhi in Hindi)
- वज्रासन में बैठकर दोनों हाथों को श्वास भरते हुए ऊपर उठायें।
- आगे झुकते हुए श्वास बाहर निकालें तथा हाथों को आगे फैलाते हुए हथेलियाँ नीचे की ओर रखते हुए कोहनियों तक हाथों को भूमि पर टिका दें। माथा भी भूमि पर टिका हुआ हो।
- कुछ समय इस स्थिति में रहकर पुनः वज्रासन में आ जायें।
समयावधि :
इस आसन को पूर्ण स्थिति में तीन से पाँच मिनट तक रोके रखना चाहिए।
शशांकासन करने से पूर्व ध्यान में रखने योग्य बातें (Shashankasana Karne se Pahle)
- इस आसन को सुबह के समय किया जाना सर्वोत्तम माना गया है । अगर यह संभव नही तो शाम को इस आसन को करने से 4 – 5 घंटे पहले भोजन कर लें।
- शौच आदी से निवृत हो पेट खाली होने की अवस्था में ही इस आसन का अभ्यास किया जाना चाहिए।
शशांकासन करने में सावधानी (Shashankasana Karne me Savdhani in Hindi)
- जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर, माइग्रेन, सिरदर्द या चक्कर आने जैसी समस्या हो उन्हें यह आसन नही करना चाहिये ।
- प्रातः काल खाली पेट इस आसन को करना विशेष फायदेमंद होता है।
- इस आसन को दो से तीन बार अपनी क्षमता के अनुसार दोहराया जा सकता है।
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