सिगरेट गुटखा तंबाकू के दुष्परिणाम व छोड़ने के उपाय | Sigret Gutka Tambaku Chhodne ke Upay in Hindi

Last Updated on August 18, 2021 by admin

गुटखा तंबाकू सिगरेट का प्रभाव :

कुछ लोग तंबाकू उत्पादों को ईश्वर का उत्कृष्ट उपहार कहते हैं; क्योंकि वे समझते हैं कि इससे उनकी बहुत सी शारीरिक व्याधियाँ दूर हो जाती हैं या उन्होंने अपना मानस ऐसा ही बना लिया होता है-यह अकेलेपन का सहारा है, उनकी प्रेरणा-शक्ति है और न जाने क्या-क्या ! सदियों तक आदमी इन अवधारणाओं का हुक्का गुड़गुड़ाता रहा, लेकिन अब जब इस पर नौ लाख से अधिक शोध-पत्र आ चुके हैं तो विस्फोटक और जानलेवा नतीजे सामने आए हैं। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा उत्पाद है, जो मनुष्य को सबसे अधिक बीमारियाँ उपहार में देता है और मनुष्य उन्हें पैसे देकर गले लगाता है।

भारत में स्थिति :

जागरूकता अभियानों के बावजूद भारत में तंबाकू सेवन की आदत में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है। एक मोटे अनुमान के अनुसार, भारत में लगभग 15 करोड़ लोग धूम्रपान करते हैं। इनमें बच्चे, स्त्री, पुरुष सभी शामिल हैं।

  • देश की लगभग एक-तिहाई आबादी (लगभग 30 फीसदी लोग), जिनमें 15 से 49 वर्ष की आयु के लोग शामिल हैं, किसी-न-किसी रूप में तंबाकू उत्पादों का सेवन करते हैं।
  • यदि हम स्त्री-पुरुषों की संख्या अलग कर दें तो इनमें से 57 फीसदी पुरुष और त्रियाँ तंबाकू उत्पादों का सेवन करते हैं।
  • 13 से 15 वर्ष की आयु के 4 फीसदी किशोर धूम्रपान की चपेट में हैं। इनमें किशोर और किशोरियों का अलग-अलग प्रतिशत क्रमशः 5 और 2है।
  • 12 फीसदी किशोर दूसरे प्रकार के तंबाकू उत्पादों का सेवन करते हैं।
  • तंबाकू उत्पादों में बीड़ी का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है। तंबाकू बाजार में इसका हिस्सा 48 फीसदी है। गुटखे का हिस्सा 38 फीसदी है और सिगरेट का 14 फीसदी।

तंबाकू उत्पादों के दुष्परिणाम :

  • तंबाकू सेवन असमय मौत को आमंत्रण देता है। इसका उपभोक्ता अपनी आयु को अपने हाथों नष्ट कर आधी कर लेता है।
  • तंबाकू उत्पाद प्रतिवर्ष लगभग 12 लाख भारतीयों की बलि ले लेते हैं।
  • बीड़ी और सिगरेट पीनेवाले स्वस्थ लोगों की अपेक्षा 8 से 12 वर्ष पहले स्वर्ग सिधार जाते हैं। इसके पहले बहुधा उन्हें मौत से भी बदतर घातक बीमारियों से जूझना पड़ता है।
  • यदि यही रुझान जारी रहा तो वर्ष 2020 तक देश में प्रतिवर्ष कुल होनेवाली अकाल मौतों में तंबाकू उत्पादों से होनेवाली मौतों का हिस्सा 13 से 15 फीसदी हो जाएगा।
  • 13 से 15 वर्ष के 27 फीसदी किशोर और किशोरियाँ घर में सेकंड हैंड स्मोकिंग करते हैं, जबकि 40 फीसदी सार्वजनिक स्थानों पर।
  • यदि हम किसी एक वर्ष का आँकड़ा देखें तो सन् 2004 में देश में 7,700 करोड़ रुपए तंबाकू उत्पादों पर पूँक्तके गए थे।
  • इसी वर्ष लगभग 5,400 करोड़ रुपए तंबाकू से जुड़ी बीमारियों पर खर्च किए गए थे।
  • यही नहीं, तंबाकू उत्पादों ने बड़े-बड़े अग्निकांडों से न केवल आर्थिक बरबादी की है, बल्कि पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुँचाया है।
  • जैसा कि पहले ही बताया गया है, तंबाकू उत्पाद अनगिनत भयंकर बीमारियों के जन्मदाता हैं। इनमें कैंसर और हार्ट अटैक सबसे अधिक जानलेवा हैं।
  • वर्ष 2000 में दुनिया भर में लगभग 17 लाख लोग धूम्रपान की आदत के कारण असमय मौत का शिकार बने।
  • इसी वर्ष दुनिया भर में लगभग 8 से 5 लाख लोग धूम्रपान की आदत के कारण फेफड़े के कैंसर के शिकार होकर मरे।
  • इससे ज्यादा लोग अक्षमता और अनेक धीमी बीमारियों के शिकार बने।
  • सिगरेट के धुएँ में 4 हजार से अधिक रासायनिक पदार्थ होते हैं। इनमें से 200 जहरीले और 60 से अधिक कैंसर जन्य होते हैं। विश्लेषण के रूप में हम कह सकते हैं कि धूम्रपान एक जानलेवा लत है। आइए, देखें कि धूम्रपान ने दुनिया में कितना कहर मचा रखा है

पुरे विश्व में तम्बाकू के दुष्प्रभाव और कहर :

  • दुनिया भर में प्रति मिनट 1 करोड़ सिगरेटें खरीदी जाती हैं; 1,500 करोड़ प्रतिदिन बेची जाती हैं और एक वर्ष में यह आँकड़ा 5 लाख करोड़ तक पहुँच जाता है।
  • चीन में 30 करोड़ से अधिक लोग सिगरेट पीते हैं, जो प्रति मिनट 30 लाख और प्रति वर्ष 1 से 75 लाख करोड़ सिगरेटें पी जाते हैं।
  • एक मोटे अनुमान के अनुसार, दुनिया भर में 110 करोड़ लोग धूम्रपान करते हैं और रुझान ऐसा ही रहा तो वर्ष 2025 तक यह संख्या बढ़कर 160 करोड़ हो जाएगी।
  • 5 लाख करोड़ सिगरेटों के फिल्टर का वजन लगभग 80 करोड़ कि.ग्रा. होता है। ये सिगरेटें और इनके फिल्टर प्रति वर्ष लाखों टन विषैला कचरा और विषैले रसायन पर्यावरण में घोल देते हैं।
  • सिगरेट का फिल्टर सफेद रुई की तरह दिखाई देता है, लेकिन यह सैल्युलस एसिटेट नामक प्लास्टिक के बेहद महीन रेशों से बनाया जाता है। सिगरेट का एक फिल्टर अपघटन में 18 महीनों से 10 वर्ष तक ले सकता है।
  • जटिल रूप से तैयार एक सिगरेट में 8 या 9 मि.ग्रा. तक निकोटिन होता है, जो सिगार में बढ़कर 100 से 400 मि.ग्रा. तक हो सकता है।
  • चार या पाँच सिगरेटों में इतना निकोटिन होता है कि यदि उसे किसी वयस्क व्यक्ति के शरीर में इंजेक्ट कर दिया जाए तो उसकी मृत्यु हो सकती है। अधिकतर धूम्रपानकर्ता प्रति सिगरेट 1 या 2 मि.ग्रा. निकोटिन ग्रहण करते हैं, बाकी जलकर पर्यावरण में घुल-मिल जाताहै।
  • अधिक सिगरेट पीने से उलटी भी हो सकती है।
  • बेंजीन से ल्यूकेमिया (श्वेत रक्तकणों में वृद्धि) हो जाती है और सिगरेट का धुआँ बेंजीन का एक बड़ा स्रोत है।
  • लेड (सीसा) और पोलोनियम जैसे रेडियोधर्मी तत्व थोड़ी मात्रा में सिगरेट के धुएँ में पाए। जाते हैं।
  • दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हाइड्रोजन सायनाइड गैस का नरसंहार के लिए रासायनिक एजेंट के रूप में प्रयोग किया गया था। इसने सैकड़ों जाने ले ली थीं। यह गैस सिगरेट में एक विषैले सह-उत्पाद के रूप में मौजूद होती है।
  • सेकंड हैंड स्मोकिंग में 50 से अधिक कैंसर के कारक रासायनिक पदार्थ होते हैं। इनमें से 11 तीव्र कैंसरजन्य होते हैं।
  • दुनिया भर में 13 से 15 वर्ष के प्रति पाँच किशोरों में से एक किशोर सिगरेट पीता है।
  • किशोर प्रतिदिन 80 हजार से 1 लाख सिगरेटें पी जाते हैं।
  • अनुमान है कि 20वीं सदी में लगभग 10 करोड़ लोग तंबाकू उत्पादों के सेवन के चलते मौत का निवाला बने। इस प्रकार, तंबाकू हमें गुलामी का जीवन, दीर्घकालिक रोग और अंत में मौत की सौगात देता है। जरा सोचिए, इस सौगात का हम भारी दाम चुकाते हैं। बेहद दुखद, लेकिन हकीकत है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आँकड़े :

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) के फरवरी 2006 में आयोजित तंबाकू नियंत्रण सम्मेलन में जारी आँकड़े चौंकानेवाले हैं। आइए, इन पर भी एक नजर डालते हैं

  • तंबाकू दुनिया भर में मौत का एक ऐसा कारण है, जिसे रोका जा सकता है। यह हमारे हाथ में है।
  • तंबाकू एक ऐसा उपभोक्ता उत्पाद है, जिसे निर्माता बनाते हैं और उपभोक्ता खाकर मरते है।
  • तंबाकू से प्रति वर्ष लगभग 50 लाख लोग मरते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो इससे हर साढ़े छह सेकंड में एक मौत होती है।
  • यदि यही रुझान जारी रहा तो वर्ष 2020 तक इससे प्रतिवर्ष 1 करोड़ लोग मरेंगे, यानी हर सवा तीन सेकंड में एक मृत्यु।
  • दुनिया भर में 29 फीसदी लोग धूम्रपान करते हैं। इनमें लगभग 48 फीसदी पुरुष और 11 फीसदी महिलाएँ शामिल हैं।

शरीर पर तम्बाकू के हानिकारक प्रभाव और नुकसान :

  1. सावधान रहें। सुरक्षित सिगरेट, तंबाकू जैसी कोई चीज नहीं है। सिगरेट या तंबाकू लाइट हो या अल्ट्रा लाइट, उनका दुष्प्रभाव एक जैसा ही होता है। औसतन हर सिगरेट कश लेनेवाले की आयु 8-11 मिनट कम कर देती है।
  2. धूम्रपान से फेफड़ों के कैंसर का रिश्ता जग-जाहिर है।
  3. तंबाकू और सिगरेट से वातस्फीति रोग हो जाता है, जिससे साँस घुटने लगती है, साँस लेने में बहुत कठिनाई होती है।
  4. गले में बलगम का जमाव आम हो जाता है। इससे खाँसी घर कर लेती है।
  5. सीढ़ियाँ चढ़ने-उतरने में साँस फूलने लगती है, दमा-अस्थमा की स्थिति विकराल हो जाती है।( और पढ़े –सांस फूलने की घरेलू दवा )
  6. धूम्रपान से फेफड़ों की कार्य-क्षमता सामान्य से तीन गुना तक कम हो जाती है, तब स्थिति काफी गंभीर हो जाती है और रोगी को अस्पताल में भरती कराना पड़ता है।
  7. अन्य रोग धूम्रपान करनेवालों में मोतियाबिंद का खतरा कई गुना बढ़ जाता है, दृष्टि कमजोर हो जाती है।
  8. जो दंपती धूम्रपान करते हैं, उनमें प्रजनन संबंधी कई समस्याएँ जन्म ले लेती हैं।
  9. एक सिगरेट पीने के बाद त्वचा तक रक्तापूर्ति एक घंटे तक सामान्य से कम रह सकती है।
  10. आँखों में मौजूद रक्त वाहिकाएँ बहुत संवेदनशील होती हैं, जो बीड़ी-सिगरेट पीने से आसानी से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जिससे आँखों में लाल डोरे तैरने लगते हैं और खुजली होने लगती है।
  11. धूम्रपानकर्ता सामान्य लोगों से 25 फीसदी ज्यादा बीमार होते हैं।
  12. धूम्रपान और तंबाकू से दाँतों व मसूड़े पर स्थायी दाग-धब्बे पड़ जातेहैं।
  13. तंबाकू उत्पादों के नियमित सेवन से मुँह गटर बन जाता है, जिसके खुलते ही बदबू का ऐसा भभका निकलता है, जो सामनेवाले को विचलित कर देता है।
  14. धूम्रपानकर्ता की त्वचा पीली पड़ जाती है और झुर्रियाँ भी अपेक्षाकृत अधिक पड़ती हैं। यह इसलिए होता है, क्योंकि धूम्रपान से त्वचा में रक्तापूर्ति घट जाती है और विटामिन ‘ए’ का स्तर कम हो जाता है।
  15. नियमित तंबाकू उत्पादों के सेवन से पुरुष जननांग तक रक्त का सामान्य प्रवाह काफी हद तक बाधित हो जाता है, जिससे प्रजनन क्षमता पर विपरीत और गंभीर प्रभाव पड़ता है।
  16. 1सिगरेट पीने से रक्त में प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है। यह कमी निरंतर जारी रहने पर रोगी का बचना मुश्किल हो जाता है।
  17. धूम्रपान से अच्छे कोलेस्टरॉल का स्तर घट जाता है और बुरे का बढ़ जाता है।

सिगरेट गुटखा तंबाकू कैसे छोड़ें ? : gutkha tambaku kaise chode in hindi

तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, खैनी इत्यादि दीमक जैसे रोग हैं, जो एक बार शरीर में लग जाते हैं तो उसे खोखला करके ही छोड़ते हैं। बहुत से व्यसनी कहते हैं कि तंबाकू उत्पादों को छोड़ना शराब छोड़ने से भी कठिन है। जी हाँ, यह कठिन तो है, पर असंभव नहीं है।

तंबाकू छोड़ने के कई तरीके हैं। हर व्यक्ति पर उसकी आदत और स्वभाव के अनुसार अलग-अलग तरीका लागू हो सकता है। इस अध्याय में हम तंबाकू उत्पादों को छोड़ने के कुछ सामान्य उपायों का वर्णन करेंगे, जिन्हें अपनाकर कोई भी व्यक्ति तंबाकू के व्यसन से छुटकारा पा सकता है।

सबसे पहले तो व्यसनी को स्वयं ईमानदारी और स्वत:स्फूर्त रूप से तंबाकू छोड़ने का दृढ निश्चय करना होगा। उसका स्वयं का दृढ निश्चय अवश्य ही उसे इस बुरी लत से छुटकारा दिला देगा।

तंबाकू छोड़ने के दस अच्छे कारण :

  1. आप खूबसूरत रहना चाहते हैं।
  2. आप अच्छी साँस लेना चाहते हैं।
  3. आप कैंसर से बचना चाहते हैं।
  4. आप स्वस्थ रहना चाहते हैं।
  5. आप अपने हृदय को स्वस्थ रखना चाहते हैं।
  6. आप अपने परिवार को सेकंड हैंड स्मोक के खतरे से बचाना चाहते हैं।
  7. महिलाएँ रजोनिवृत्ति की समस्याओं से बचना चाहती हैं।
  8. स्वस्थ शिशु जनना चाहती हैं।
  9. प्रजनन रोगों से बचना चाहती हैं।
  10. असमय आनेवाले बुढ़ापे से बचना चाहते हैं।

सिगरेट गुटखा तंबाकू छोड़ने के उपाय व इसके विभिन्न चरण : gutkha tambaku chodne ke nuskhe aur upay

शुरुआती कुछ सप्ताह कठिन हो सकते हैं, लेकिन मन कड़ा करके उन पर विजय पाई जा सकती है। नीचे दी गई कुछ बातों पर अमल कीजिए

1). तंबाकू छोड़ने का कोई दिन निश्चित कर लीजिए; जैसे आपका जन्मदिन, शादी की सालगिरह, आपके बेटे-बेटी का जन्मदिन। इस तिथि को दीवार पर लिखकर टाँग लीजिए। अब गुटखे, तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट, लाइटर, ऐश ट्रे आदि व्यसन से जुड़ी चीजों को कचरेदान में फेंक दीजिए। जब भी इनकी तलब लगे, इलायची खाइए, सौंफ खाइए; बदल-बदलकर फलों का जूस पीजिए; गरमा गरम सूप पीजिए और स्वयं को कामों में व्यस्त रखिए।

2). कार या बस में यात्रा करने के स्थान पर पैदल चलिए या साइकिल का इस्तेमाल कीजिए। नियमित व्यायाम और योग कीजिए।

3). ऑफिस या घर में आने-जाने के लिए यदि लिफ्ट का प्रयोग करते हैं तो उसके स्थान पर सीढ़ियों को प्राथमिकता दीजिए।

4). अपनी सोच सकारात्मक रखें। तंबाकू छोड़ने के क्रम में क्रोध, अधीरता, मानसिक विचलन जैसे अस्थायी विकार उत्पन्न हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में फौरन ठंडा पानी पिएँ और खिड़की के बाहर उड़ते पंछियों को देखने लगें, संगीत सुनें। कुछेक हफ्तों में ये विकार स्वतः दम तोड़ देंगे।

5). अपनी दिनचर्या बदलें। वहाँ से गुजरना छोड़ दें या सामान लेना छोड़ दें, जहाँ से आप अकसर
आप जैसे ही बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू, खैनी आदि इस्तेमाल करते हैं,
सिगरेट, बीड़ी, तंबाकू आदि खरीदते थे।

6). बीड़ी-सिगरेट पीनेवाले अपने दोस्तों से दूरी बना लें। उन्हें भी इन्हें छोड़ने के लिए प्रेरित करें।

7). एक आखिरी सिगरेट, आखिरी सिगरेट न करें। इससे तलब बढ़ती रहती है। शुरुआत आज और अभी से करें।

8). जोड़े-आपने अब तक तंबाकू उत्पादों पर कितना धन खर्च किया है? खुद ही देखें इस बरबादी से आपको क्या हासिल हुआ? ढेरों नामुराद रोग!

9). अपने खान-पान का ध्यान रखें। वसा–युक्त भोजन से बचें। सलाद, फल, फलों के रस, मट्ठा, हरी सब्जियों आदि को अपने भोजन में पर्याप्त स्थान दें।

तंबाकू छोड़ने के गौण प्रभाव (साइड इफेक्ट) :

जब आप तंबाकू उत्पादों को छोड़ते हैं तो आपके शरीर का निकोटिन स्तर तेजी से गिरता है। और शरीर का तंत्र इसके अभाव में गौण प्रभाव (साइड इफेक्ट) उत्पन्न करता है। इसके चलते लगभग एक सप्ताह तक आपको निम्नलिखित शारीरिक अवरोधों का सामना करना पड़ सकता है –

तीन मिनट के भीतर निकोटिन आपके रक्त में घुल-मिल जाता है और रासायनिक प्रतिक्रिया से तेजी से शर्करा मुक्त होती है, जो रक्त में मिल जाती है। लेकिन जब आप तंबाकू छोड़ते हैं, यह शर्करा शरीर को मिलनी बंद हो जाती है, फलतः ऊपर वर्णित विकार उत्पन्न हो जाते हैं और रोगी को ज्यादा भूख लगती है। यह स्थिति चार-पाँच दिनों तक रहती है। इतने में शरीर नई परिस्थितियों के साथ रहना सीख लेता है। अतः छोड़ने के शुरुआती 4-5 दिनों तक अपना शर्करा स्तर सामान्य से अधिक बनाए रखें, ताकि गौण प्रभावों से बचा जा सके। इसके लिए मीठे व रसदार फलों का सेवन अधिक करें।

गौण प्रभावों से तालमेल बैठाएँ :

तंबाकू छोड़ने के दौरान उत्पन्न होनेवाले अस्थायी विकारों से घबराएँ नहीं। पहले ही इनसे निबटने की तैयारी कर लें।

  • इन विकारों को दूर करने के लिए दवाई न खाएँ।
  • स्वयं को कामों में उलझाए रखें। काम न हो तो टहलने निकल जाएँ।
  • अपने हाथों और उँगलियों को व्यस्त रखें। हाथों/उँगलियों से बॉल दबाते रहें।
  • तंबाकू की तलब हो तो गीत कविता या भजन गुनगुनाने लगे।
  • गुस्सा आए तो खिड़की के बाहर मुँह करके जोर से हँसे। मुँह पर पानी के छींटे मारें।
  • थकावट होने पर हाथ-पैर फैलाकर आराम से लेट जाएँ और गहरी-गहरी साँसें लेते हुए अपने इष्ट देवता का स्मरण करें।
  • बच्चों के साथ क्रिकेट, बैडमिंटन, कबड्डी आदि कोई भी खेल खेलें। स्वीमिंग करें।

Leave a Comment

error: Alert: Content selection is disabled!!
Share to...