Last Updated on August 16, 2021 by admin
सोंठ का सामान्य परिचय : Introduction of Dry Ginger (Sonth)
सोंठ अदरक की सुखाई गई गठानों को कहते हैं । ये गठाने सफेद रंग की होती हैं । सोंठ दो प्रकार की होती है ।
(१) सटवा सोंठ और (२) पेटी की सोंठ ।
इसमें सटवा सोंठ उत्तम होती है।
विभिन्न भाषाओं में सोंठ के नाम :
- संस्कृत – शुण्ठी, महौषधि, विश्वा, विश्वभेषज, शृङ्गबेर, इन्द्रभेषज इत्यादि ।
- हिन्दी – सोंठ, सूंठ ।
- बङ्गला – शुंठ ।
- मराठी – सोंठ ।
- गुजराती – सोंठ, सुंठ ।
- फारसी – जजबील खुश्क ।
- इंग्लिश – Dry Ginger (ड्राय जिंजर )।
सोंठ के औषधीय गुण और प्रभाव :
सोंठ आयुर्वेद की एक सुप्रसिद्ध और घरेलू ओषधि है । आयुर्वेद के मत से इसमें हजारों गुण हैं-
- आयुर्वेदिक मत से सोंठ रुचिकारक, आमवात नाशक और पाचक होती है ।
- सोंठ चरपरी, हलकी, स्निग्ध, उष्णवीर्ण, पाक में मधुर होती है ।
- सोंठ कफ, वात और कब्जियत को दूर करनेवाली होती है ।
- यह वीर्यवर्द्धक, सारक तथा वमन नाशक होती है ।
- यह श्वास, शूल, खांसी, हृदय रोग, श्लीपद, बवासीर, आफरा, उदर रोग और वात रोगों का नाश करती है।
- सोंठ अग्नितत्त्व प्रधान होने से जलांश का शोषण करती है।
- इसमें ग्राही धर्म भी है और कब्जियत को भेदन करने का धर्म भी रहता है ।
- सोंठ कफ वात नाशक, पचने में मधुर होती है ।
- यह वीर्यवर्द्धक, गरम, रोचक, हृदय को हितकारी, स्निग्ध, हलकी और दीपन होती है ।
- सोंठ पाण्डुरोग(पीलिया), संग्रहणी और पित्त का नाश करती है।
- यह सारे शरीर के संगठन को सुधारती है।
- यह मनुष्य की जीवनीशक्ति और उसकी रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाती है।
- सोंठ हृदय, मस्तिष्क, रक्त, उदर, वातसंस्थान, मूत्रपिण्ड इत्यादि शरीर के सब अवयवों पर अनुकूल प्रभाव डालती है और उनमें पैदा हुई विकृति और अव्यवस्था को दूर करती है।
- आयुर्वेद में बननेवाले हजारों योगों में इसका सम्मेलन होता है। यह आयुर्वेद के सुप्रसिद्ध योग ‘त्रिकुटा’ ( सोंठ, मिर्च और पीपर ) का एक प्रधान अङ्ग है ।
- कोमान के मतानुसार सोंठ देशी चिकित्सा के अनेक नुसखों में सम्मिलित की जाती है । वैद्य लोग इस ओषधि को उत्तेजक, पाचक और शान्तिदायक मानते हैं ।
- मलावार के वयानूर नामक स्थान में अदरक का ताजा रस जलोदर में लाभ पहुंचानेवाला और मूत्र-निस्सारक माना जाता है।
- जलोदर के ऐसे करीब तीन केस देखे गये हैं जिनमें कि इसको ओषधि के रूप में देने से फायदा हुआ है। इसके देने से पेट की सूजन में भी लाभ हुआ है।
- इस वनस्पति का ताजा रस तेज मूत्रनिस्सारक ओषधि मानी गई है । इसके देने से बीमार लोगों के मूत्र की मात्रा दिन पर दिन बढ़ती गई है । लेकिन यह ओषधि पुराने हृदय रोग जोर ब्राइट्स डिजीज में उपयोगी सिद्ध नहीं हुई । बल्कि इसके उपयोग से रोगी की हालत प्रतिदिन खराब होती गई ।
- डा० देसाई के मत से सोंठ सुगन्धित, उत्तेजक और उत्तम दीपन होती है। इसके सेवन से पाचन क्रिया शुद्ध हो जाती है और पेट में वायु का संचय नहीं होने पाता । इस गुण की वजह से सोठ आंतों के रोगों में बहुत उपयोग में ली जाती है ।
- सोंठ के उष्ण और वातनाशक धर्म की वजह से सब प्रकार की वातजनित वेदना में इसका उपयोग किया जाता है ।
- जीर्ण सन्धिवात में विशेषकर वृद्ध मनुष्यों को आराम देनेवाली दो ओषधियां होती हैं एक सोंठ और दूसरी चोबेहयात ।
- रात्रि में सोते समय एक तोला (12 ग्राम )सोंठ की कांट बनाकर देने से आमवात से ग्रसित वृद्ध स्त्री-पुरुषों को सुखदायक नींद आ जाती है।
- पेट में आफरा होने की वजह से अगर हृदय में शूल चलता हो तो उसमें सोंठ को देने से वायु सरकर हृदयशूल मिट जाता है ।
- सोंठ में कफनाशक धर्म होने की वजह से यह खांसी और दूसरे कफ रोगों में बहुत उपयोग में ली जाती है ।
सोंठ के फायदे और उपयोग : Ginger Powder (Sonth) Benefits in Hindi
1- सोंठ के फायदे विषम ज्वर के उपचार में –
बकरी के दूध के साथ डेड ग्राम (१.५ ग्राम) सोंठ के चूर्ण की फक्की देने से गर्भवती स्त्री का विषम ज्वर छूट जाता है। ( और पढ़े – बुखार का आयुर्वेदिक इलाज )
2- सोंठ का उपयोग आधाशीशी(आधा सिर दर्द ) के उपचार में –
सोंठ को पानी के साथ पीसकर लेप करने से आधाशीशी की पीड़ा मिटती है । ( और पढ़े – आधे सिरदर्द के घरेलू उपाय )
3- सोंठ के लाभ मस्तकशूल में –
सोंठ को बकरी के दूध में पीसकर नस्य देने से कई प्रकार के दोषों से पैदा हुआ मस्तकशूल मिटता है।
4- सोंठ के फायदे नेत्ररोग में –
सोंठ, नीम के पत्ते या निम्बोली को पीसकर उसमें थोड़ा सेंधानमक डालकर टिकिया बनाकर कुछ गर्म करके नेत्रों पर बांधने से नेत्रों की पीड़ा, खुजली और सूजन मिटती है। ( और पढ़े – नेत्र रोग नाशक फकीरी नुस्खे )
5- सोंठ के फायदे हृदयरोग में –
सोंठ का कुछ कुनकुना क्वाथ पीने से हृदयरोग में लाभ होता है । ( और पढ़े – हृदय रोग (दिल की बीमारी) के घरेलू उपचार )
6- सोंठ का उपयोग आमवात के इलाज में –
सोंठ के एक तोला चूर्ण को कांजी के साथ नित्य पीने से आमवात में लाभ होता है। सोंठ और गिलोय का क्वाथ बनाकर पीने से बहुत दिनों का पुराना आमवात मिटता है । ( और पढ़े – आमवात के 15 घरेलू उपचार )
7- मन्दाग्नि में जिंजर पाउडर (सोंठ चूर्ण) के फायदे –
सोंठ के चूर्ण को गुड़ में मिलाकर नित्य खाने से अग्नि प्रदीप्त हीती है। ( और पढ़े – मंदाग्नि दूर कर भूख बढ़ाने के घरेलू उपाय )
8- वमन के उपचार में सोंठ के फायदे –
सोंठ और बेल का क्वाथ पिलाने से वमन और विसूचिका में लाभ होता है । ( और पढ़े – उल्टी रोकने के घरेलु उपचार )
9- हिचकी के उपचार में सोंठ के फायदे –
- सोंठ और हरड़ को पानी में पीसकर उसकी लुगदी को खिलाकर गरम जल पिलाने से श्वास और हिचकी मिटती है।
- सोंठ, आंवले और पीपल का चूर्ण शहद के साथ चटाने से हिचकी मिटती है।
- सोंठ के चूर्ण की फक्की देकर ऊपर से बकरी का गरम दूध पिलाने से हिचकी मिटती है ।
( और पढ़े – हिचकी रोकेंगे के उपाय )
10- पक्षाघात में जिंजर पाउडर (सोंठ चूर्ण) के लाभ –
सोंठ और सेंधे नमक को महीन पीसकर सुंघाने से पक्षाघात में लाभ होता है । ( और पढ़े – लकवा (पैरालिसिस) का आयुर्वेदिक इलाज )
11- नेत्रपीड़ा में सोंठ के फायदे –
सोंठ को पानी में घिसकर उसकी दो-तीन बूंद आँखों में टपकाने से नेत्र पीड़ा मिटती है। ( और पढ़े – आंखों का दर्द दूर करने के आयुर्वेदिक नुस्खे )
12- बच्छनाग का विष दूर करने में सोंठ का उपयोग –
सोंठ का चूर्ण खिलाने से बच्छनाग के विष की शान्ति होती है।
13- उदररोग(पेट के रोग) के इलाज में सोंठ के फायदे –
- चार ग्राम सोंठ का क्वाथ करके पिलाने से मन्दाग्नि, उदर रोग और जल के दोष मिटते हैं।
- सोंठ और जवाखार की गर्म जल के साथ फक्की लेने से कई देशों के जल को पीने से पैदा हुये विकार मिटते हैं ।
( और पढ़े – पेट के रोगों को दूर करने के घरेलू उपाय )
14- आमाजीर्ण में सोंठ के फायदे –
सोंठ और धनिये का क्वाथ पिलाने से आमाजीर्ण मिटता है ।
15- बादी की पीड़ा दूर करने में सोंठ का उपयोग –
सोंठ और एरण्ड की जड़ को औटाकर पिलाने से बादी और सर्दी की पीड़ा मिटती है तथा सोंठ, कायफल और असगन्ध को पीसकर लेप करने से बादी की पीड़ा मिटती है।
16- संग्रहणी में सोंठ के फायदे –
कच्चे बेल का गूदा और सोंठ को गुड़ में मिलाकर मट्ठे के साथ पीने से संग्रहणी में लाभ होता है।
17- पाण्डुरोग (पीलिया) में सोंठ के फायदे –
सोंठ के कल्क से सिद्ध किया हुआ घी पिलाने से पाण्डुरोग, ज्वर खांसी और संग्रहणी में लाभ होता है। ( और पढ़े – पीलिया के घरेलू उपचार )
18- कमर का शुल(कमर दर्द) में सोंठ के लाभ –
सोंठ के क्वाथ में अरण्डी का तेल मिलाकर पिलाने से कमर, बस्ति और कुक्षि का शूल मिटता है। ( और पढ़े – कमर में दर्द के आयुर्वेदिक उपाय )
19- आमवात में सोंठ के लाभ –
सोंठ और गोखरू का क्वाथ प्रातः काल नित्य पीने से आमवात और कटिवात मिटता है।
20- मूत्रकृच्छ्र(पेशाब का रुकजाना) में सोंठ के फायदे –
सोंठ और गोखरू के क्वाथ में जवाखार मिलाकर प्रतिदिन प्रातः काल पिलाने से मूत्रकृच्छ मिटता है।
21- श्लीपद(हाथी पांव) में सोंठ के फायदे –
गोमूत्र के साथ सोंठ के चूर्ण की प्रतिदिन फक्की लेने से श्लीपद में लाभ होता है।
सोंठ के नुकसान : Sonth (Dry Ginger) ke Nuksan in Hindi
- सोंठ का उपयोग पुराने हृदय रोग और ब्राइट्स डिजीज होने पर नहीं करना चाहिये।
- इसके अधिक सेवन से पेट में जलन हो सकती है।
- पित्ताशय की पथरी होने पर रोगी को इसका उपयोग नहीं करना चाहिये ।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)