सुहागा का प्रयोग सोना गलाने के लिए भी किया जाता है। यह एक खनिज पदार्थ है, जिसे हिंदी में कनक क्षार, धातु द्रावक, रसघ्न, सौभाग्य, सुहागाचौकी तथा टंकण नाम से भी जाना जाता है। अंग्रेजी में इसे बोरेक्स (Borax) कहा जाता है।
यह कच्चे रूप में नेपाल से आयात कर भारत में शोधित किया जाता है। इसका रंग सफेद व स्वाद अरुचिकर होता है। सुहागा को आग या तवे पर गरम कर इसका फूला (टंकण भस्म) बनाया जाता है, जो शोधित होकर इस्तेमाल योग्य हो जाता है। भारत में देशी चिकित्सा के रूप में सुहागा (टंकण) की लाभकारिता प्रचलित है। इसका स्वभाव मूत्रल होता है।
सुहागा (टंकण) के औषधीय गुण (Suhaga ke Gun in Hindi)
आयुर्वेद चिकित्सा में सुहागे का उपयोग औषधि की तरह बाह्य तथा आंतरिक रूप से इस्तेमाल में किया जाता रहा है। सुहागा (टंकण) का उपयोग को मंजन, टूथपेस्ट और साबुन के निर्माण के लिए भी किया जाता है।
- सुहागा कड़वा और तेज होता है।
- यह कफ, दमा, खांसी एवं जहर को दूर करता है।
- सुहागा वायुशूल, आमशूल, वात, ज्वर तथा मुंह के छालों को दूर करता है।
- यह कृमिनाशक है।
- यह मूत्र को साफ करता है।
- पेशाब के रास्ते यरिक एसिड को बाहर निकालता है ।
- सुहागा ऋतु स्राव (मासिक धर्म) को नियमित करता है।
सुहागा के फायदे और उपयोग (Uses and Benefits of Suhaga in Hindi)
सुहागा से होने वाले स्वास्थ्य लाभ निम्नलिखित हैं –
1. झाइयां – सुहागा को प्रतिदिन चंदन के साथ घिसकर लेप बनाकर चेहरे पर उबटन की तरह नित्य लगाने से झाइयां मिट जाती है तथा त्वचा का रंग साफ होता है।
2. फोड़े-फुन्सी – योनि एवं मूत्रनलिका में छालों के संक्रमण, फोड़े-फुन्सी होने पर सुहागा युक्त जल से पिचकारी द्वारा धावन करना चाहिए।
3. खुजली – दाद, खाज, खुजली आदि में सुहागे को पीसकर नींबू का रस मिलाकर नित्य लगाने से लाभ होता है।
4. रक्तस्राव – रक्तस्राव में घाव से रक्त बहने पर सुहागे के पानी में साफ सूती कपड़े को भिगोकर रखने से रक्तस्राव बंद हो जाता है।
5. घाव – सुहागे का फूला (टंकण भस्म) बनाकर, पीसकर चूर्ण बनाकर घाव पर बुरकने से भी रक्तस्राव बंद हो जाता है। फोड़ों-फुसियों को सुहागा के पानी से नित्य धोने से लाभ होता है।
6. कान में कीडा – कान में कीड़े होने पर सुहागा का फूला (टंकण भस्म) पीसकर सिरके में मिलाकर अच्छी तरह छानकर हलका गरम कर रुई के सहारे 1-2 बूंद कान में टपकाएं एवं रुई से कान बंद कर दें। इससे कान के कीड़े मर जाते हैं। कान दर्द, मवाद इत्यादि से छुटकारा मिल जाता है।
7. दांतों की मजबूती – दांतों की मजबूती के लिए सुहागा का फूला (टंकण भस्म) बनाकर पीस लें और उसमें मिश्री पीसकर मिला लें। इसका मंजन नित्य सुबह-शाम करने से दांतों की जड़ें मजबूत होती है।
8. बच्चों की खांसी – बच्चों की खांसी में ½ ग्राम की मात्रा में सुहागा का फूला (टंकण भस्म) पीसकर दूध में मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।
9. कष्टार्तव एवं मासिक स्राव की रुकावट – महिलाओं के मासिक धर्म के समय पीड़ा बढ़ने पर गरम पानी के साथ आधा ग्राम सुहागा का फूला (टंकण भस्म) इस्तेमाल करने से लाभ मिलता है।
10. एसिडिटी में खट्टी डकारें आना – सीने व पेट में जलन होना इत्यादि विकारों में आधा ग्राम सुहागा (फूला बनाया हुआ) नियमित कुछ दिनों तक गाय के ठंडे दूध के साथ पीने से अम्लीयता मिटती है। मुख में छाला होने पर एक चुटकी सुहागा एक कप पानी में डालकर गरम करें। तत्पश्चात पानी थोड़ा ठंडा होने पर कुनकुने जल से कुल्ला करने से छाले ठीक हो जाते हैं।
11. स्वरभंग होने पर – कई बार रात्रि जागरण या चिकनाईयुक्त आहार के इस्तेमाल से गला बैठ जाता है। सुहागे का फूला (टंकण भस्म) बनाकर 2-2 ग्राम की मात्रा मुंह में रखकर चूसने से गले का स्वर ठीक हो जाता है।
12. दमा – दमा होने पर सुहागा का फूला (टंकण भस्म) बनाकर ½ ग्राम, 2 ग्राम शहद के साथ नित्य दो बार चाटें। इससे दमा एवं एलर्जी रोग दूर होते हैं।
13. तिल्ली का बढ़ना – तिल्ली (प्लीहा) बढ़ने पर नित्य प्रति एलोवेरा (घृतकुमारी) का गूदा 5 ग्राम लेकर उसमें 2-2 ग्राम सुहागा का फूला बुरककर इस्तेमाल कराएं। इससे तिल्ली सामान्य आकार में आ जाती है।
14. सुप्रसव के लिए – प्रसव के समय कठिनाई होने पर चिरचिटा अपामार्ग की जड़ 10 ग्राम लेकर एक गिलास काढ़ा बनाकर उसमें 1 ग्राम सुहागा का फूला (टंकण भस्म) पीसकर मिला दें। यह गरमा-गरम इस्तेमाल कराने से प्रसव सरलता से संपन्न होता है।
15. अपच – पाचनशक्ति कमजोर हो गई हो तो भोजन के 1 घंटे बाद ½ ग्राम सुहागा पीसकर पानी के साथ पीने से भूख बढ़ती है ।
सुहागा के दुष्प्रभाव (Suhaga ke Nuksan in Hindi)
सुहागा से होने वाले संभावित नुकसान निम्नलिखित हैं –
- गर्भवती महिलाओं को इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।
- सुहागा के अत्यधिक सेवन से मासिक स्त्राव में अधिकता हो सकती है।
- अत्यधिक मात्रा में सुहागा सेवन करने पर यह – भूख में कमी, खट्टी डकार, सूजन, कमजोरी और उल्टी जैसी समस्याओं को जन्म दे सकता है ।
- इसके लंबी अवधी तक इस्तेमाल से हड्डीयों को नुकसान पहुच सकता है ।
- डॉक्टर की सलाह के अनुसार सुहागा की सटीक खुराक समय की सीमित अवधि के लिए लें।
- ½ ग्राम से अधिक मात्रा में इसका इसतेमाल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है इस्से बचना चाहिये ।