सुहागा के 83 दिव्य फायदे, उपयोग और दुष्प्रभाव – Suhaga Benefits and Side Effects in Hindi

Last Updated on January 4, 2024 by admin

सुहागा क्या है ?

सुहागा का प्रयोग सोना गलाने के लिए भी किया जाता है। यह एक खनिज पदार्थ है, जिसे हिंदी में कनक क्षार, धातु द्रावक, रसघ्न, सौभाग्य, सुहागाचौकी तथा टंकण नाम से भी जाना जाता है। अंग्रेजी में इसे बोरेक्स (Borax) कहा जाता है।

यह कच्चे रूप में नेपाल से आयात कर भारत में शोधित किया जाता है। इसका रंग सफेद व स्वाद अरुचिकर होता है। सुहागा को आग या तवे पर गरम कर इसका फूला (टंकण भस्म) बनाया जाता है, जो शोधित होकर इस्तेमाल योग्य हो जाता है। भारत में देशी चिकित्सा के रूप में सुहागा (टंकण) की लाभकारिता प्रचलित है। इसका स्वभाव मूत्रल होता है।

सुहागा (टंकण) के औषधीय गुण (Suhaga ke Gun in Hindi)

आयुर्वेद चिकित्सा में सुहागे का उपयोग औषधि की तरह बाह्य तथा आंतरिक रूप से इस्तेमाल में किया जाता रहा है। सुहागा (टंकण) का उपयोग को मंजन, टूथपेस्ट और साबुन के निर्माण के लिए भी किया जाता है।

  • सुहागा कड़वा और तेज होता है।
  • यह कफ, दमा, खांसी एवं जहर को दूर करता है।
  • सुहागा वायुशूल, आमशूल, वात, ज्वर तथा मुंह के छालों को दूर करता है।
  • यह कृमिनाशक है।
  • यह मूत्र को साफ करता है।
  • पेशाब के रास्ते यरिक एसिड को बाहर निकालता है ।
  • सुहागा ऋतु स्राव (मासिक धर्म) को नियमित करता है।

सुहागा के फायदे और उपयोग (Uses and Benefits of Suhaga in Hindi)

सुहागा से होने वाले स्वास्थ्य लाभ निम्नलिखित हैं –

1. झाइयां – सुहागा को प्रतिदिन चंदन के साथ घिसकर लेप बनाकर चेहरे पर उबटन की तरह नित्य लगाने से झाइयां मिट जाती है तथा त्वचा का रंग साफ होता है।

2. फोड़े-फुन्सी – योनि एवं मूत्रनलिका में छालों के संक्रमण, फोड़े-फुन्सी होने पर सुहागा युक्त जल से पिचकारी द्वारा धावन करना चाहिए।

3. खुजली – दाद, खाज, खुजली आदि में सुहागे को पीसकर नींबू का रस मिलाकर नित्य लगाने से लाभ होता है।

4. रक्तस्राव – रक्तस्राव में घाव से रक्त बहने पर सुहागे के पानी में साफ सूती कपड़े को भिगोकर रखने से रक्तस्राव बंद हो जाता है।

5. घाव – सुहागे का फूला (टंकण भस्म) बनाकर, पीसकर चूर्ण बनाकर घाव पर बुरकने से भी रक्तस्राव बंद हो जाता है। फोड़ों-फुसियों को सुहागा के पानी से नित्य धोने से लाभ होता है।

6. कान में कीडा – कान में कीड़े होने पर सुहागा का फूला (टंकण भस्म) पीसकर सिरके में मिलाकर अच्छी तरह छानकर हलका गरम कर रुई के सहारे 1-2 बूंद कान में टपकाएं एवं रुई से कान बंद कर दें। इससे कान के कीड़े मर जाते हैं। कान दर्द, मवाद इत्यादि से छुटकारा मिल जाता है।

7. दांतों की मजबूती – दांतों की मजबूती के लिए सुहागा का फूला (टंकण भस्म) बनाकर पीस लें और उसमें मिश्री पीसकर मिला लें। इसका मंजन नित्य सुबह-शाम करने से दांतों की जड़ें मजबूत होती है।

8. बच्चों की खांसी – बच्चों की खांसी में ½ ग्राम की मात्रा में सुहागा का फूला (टंकण भस्म) पीसकर दूध में मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।

9. कष्टार्तव एवं मासिक स्राव की रुकावट – महिलाओं के मासिक धर्म के समय पीड़ा बढ़ने पर गरम पानी के साथ आधा ग्राम सुहागा का फूला (टंकण भस्म) इस्तेमाल करने से लाभ मिलता है।

10. एसिडिटी में खट्टी डकारें आना – सीने व पेट में जलन होना इत्यादि विकारों में आधा ग्राम सुहागा (फूला बनाया हुआ) नियमित कुछ दिनों तक गाय के ठंडे दूध के साथ पीने से अम्लीयता मिटती है। मुख में छाला होने पर एक चुटकी सुहागा एक कप पानी में डालकर गरम करें। तत्पश्चात पानी थोड़ा ठंडा होने पर कुनकुने जल से कुल्ला करने से छाले ठीक हो जाते हैं।

11. स्वरभंग होने पर – कई बार रात्रि जागरण या चिकनाईयुक्त आहार के इस्तेमाल से गला बैठ जाता है। सुहागे का फूला (टंकण भस्म) बनाकर 2-2 ग्राम की मात्रा मुंह में रखकर चूसने से गले का स्वर ठीक हो जाता है।

12. दमा – दमा होने पर सुहागा का फूला (टंकण भस्म) बनाकर ½ ग्राम, 2 ग्राम शहद के साथ नित्य दो बार चाटें। इससे दमा एवं एलर्जी रोग दूर होते हैं।

13. तिल्ली का बढ़ना – तिल्ली (प्लीहा) बढ़ने पर नित्य प्रति एलोवेरा (घृतकुमारी) का गूदा 5 ग्राम लेकर उसमें 2-2 ग्राम सुहागा का फूला बुरककर इस्तेमाल कराएं। इससे तिल्ली सामान्य आकार में आ जाती है।

14. सुप्रसव के लिए – प्रसव के समय कठिनाई होने पर चिरचिटा अपामार्ग की जड़ 10 ग्राम लेकर एक गिलास काढ़ा बनाकर उसमें 1 ग्राम सुहागा का फूला (टंकण भस्म) पीसकर मिला दें। यह गरमा-गरम इस्तेमाल कराने से प्रसव सरलता से संपन्न होता है।

15. अपच – पाचनशक्ति कमजोर हो गई हो तो भोजन के 1 घंटे बाद ½ ग्राम सुहागा पीसकर पानी के साथ पीने से भूख बढ़ती है ।

16. दांतों को साफ और मजूबत बनाने के लिए-

  • सुहागा को फुलाकर उसमें मिश्री मिलाकर बारीक पीस कर रोजाना मंजन करने से दांत साफ और मजबूत होते हैं।
  • लकड़ी के कोयले में सुहागा मिलाकर बारीक पाउडर बना लें तथा बांस या नीम के दांतुन पर लगाकर मंजन करें। इससे दांत साफ और मजबूत होते हैं।

17. काली खांसी (कुकर खांसी) –

  • सुहागा, कलमी शोरा, फिटकरी, कालानमक और यवक्षार को पीसकर चूर्ण तैयार कर इसे तवे पर भूनकर 2-2 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर बच्चों को चटाने से कालीखांसी ठीक हो जाती है।
  • तवे पर भुना हुआ सुहागा व वंशलोचन को मिलाकर शहद के साथ रोगी बच्चे को चटाने से काली खांसी दूर हो जाती है। 

18. बालों के रोग –

  • 20 ग्राम सुहागा और 10 ग्राम कपूर को 50 मिलीलीटर उबले पानी में मिलाकर हल्के गर्म पानी के साथ धोने से बाल मुलायम तथा काले हो जाते हैं।
  • 5 ग्राम सुहागा और 10 ग्राम कच्चे सुहागे को 250 मिलीलीटर पानी में डालकर उबाल लें। इसके ठंडा होने पर बालों को धोने सें बाल मजबूत बनते हैं।

19. खांसी-

  • 5-5 ग्राम भूना हुआ सुहागा और कालीमिर्च को पीसकर कंवार गंदल के रस में मिलाकर कालीमिर्च के बराबर की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। 1 या आधी गोली को मां के दूध के साथ बच्चों को देने से खांसी के रोग मे आराम आता है।
  • बलगम वाली खांसी और बुखार वाली खांसी में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम सुहागे की खील (लावा) को सुबह-शाम शहद के साथ देने से लाभ मिलता है।
  • सुहागे को तवे पर गर्म करके फुलायें फिर उसका चूर्ण बनाकर पीसे। इसमें से 1 चुटकी चूर्ण लेकर शहद के साथ चाटने से खांसी बंद हो जाती है।

20. दांत निकलना –

  • भुना हुआ सुहागा और शहद को मिलाकर बच्चे के मसूढ़ों पर धीरे-धीरे मलें। इससे दांत आसानी से निकल आते हैं तथा मसूड़ों का दर्द कम होता है।
  • सुहागा को शहद के साथ पीसकर बच्चों के मसूढ़ो पर मलें। इससे बच्चों के नये दांत आसानी से निकल आते हैं और दर्द में आराम मिलता है।
  • लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग भुनी सुहागा को शहद में मिलाकर बच्चों के मसूडें पर मलने से दांत आसानी से निकल आते हैं।
  • 10 ग्राम भुना सुहागा और 10 ग्राम पिसी हुई मुलहठी लेकर चूर्ण बना लें। इसमें से लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग चूर्ण में शहद मिलाकर मसूड़ों पर मलें। इससे बच्चों के दांत निकलते समय दर्द नहीं होता तथा बार-बार दस्त आना बंद हो जाता  है।

21. पायरिया –

  • सुहागा एवं बोल (हीराबोल) को मिलाकर रोजाना 2 से 3 बार मसूढ़ों पर धीरे-धीरे मलें। इससे दांतों व मसूढ़ों के सभी रोग ठीक होकर पायरिया रोग दूर होता है।
  • 5-5 ग्राम भूना सुहागा, समुन्दर झाग 8-8 ग्राम त्रिफला पिसा, सेंधा नमक, 0.12 ग्राम सतपोदीना, सतअजवायन को पीसकर और छानकर 50 ग्राम पिसी खड़िया मिलाकर कपडे में छानकर सुबह-शाम मंजन करने से पायरिया ठीक हो जाता है।

22. निमोनिया –

  • 3 ग्राम सुहागा भुना और नीला थोथा भुना हुआ पीसकर अदरक के रस में बाजरे के बराबर आकार की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लेते हैं। इसमें से 1-1 गोली मां के दूध के साथ सेवन करने से निमोनिया रोग ठीक हो जाता है।
  • 1 चुटकी फूला सुहागा, 1 चुटकी फूली फिटकरी, 1 चम्मच तुलसी का रस, 1 चम्मच अदरक का रस, आधा चम्मच पान के पत्तों के रस को एक साथ मिलाकर शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से निमोनिया के रोग मे लाभ होता है।

23. बालों का झड़ना (गंजेपन का रोग) – 20 ग्राम सुहागा और 20 ग्राम कपूर को बारीक पीसकर पानी में घोलकर बाल धोने से बालों का गिरना कम हो जाता है।

24. जुओं का पड़ना – 20 ग्राम सुहागा और 20 ग्राम फिटकरी को 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर सिर पर मालिश करने से सिर की जूएं मर जाती है।

25. जीभ की प्रदाह और सूजन – सुहागा की टिकीया चूसते रहने से जीभ की जलन और सूजन का रोग ठीक होता है।

26. मसूढ़ों का फोड़ा – मसूढ़ों के फोड़े में सुहागा एवं हीरा बोल को मिलाकर मसूढ़ों पर मलें। इससे मसूढ़ों का दर्द व फोड़ों से पीप का निकलना बंद होता है।

27. योनि की जलन और खुजली –

  • लगभग 100 मिलीलीटर पानी में 4 ग्राम सुहागा घोलकर योनि को धोने से कण्डू (खुजली) दूर होती है। यह घोल गुदा की खुजली में भी लाभकारी होता है।
  • 240 मिलीग्राम भुना हुआ सुहागा या बोरिक एसिड को पानी में डालकर योनि को सुबह और शाम साफ करने से योनि में होने वाली खुजली मिट जाती है।

28. मसूढ़ों का रोग – 10-10 ग्राम भुना सुहागा, माजूफल और कबाबचीनी को पीसकर बारीक पाउडर बना लें। इसके पाउडर को रोजाना सुबह-शाम मसूढ़ों पर मलने से मसूढ़ों की सूजन मिट जाती है।

29. मसूढ़ों की सूजन – हीरा बोल और सुहागा को मिलाकर मसूढ़ों पर पर धीरे-धीरे मलने से मसूढ़ों की सूजन मिट जाती है।

30. मुंह के छाले –

  • सुहागा के टुकड़े को शहद के साथ मिलाकर रोजाना 3 से 4 बार मुंह में लगायें। इससे मुंह की जलन, मुंह के दाने तथा मुंह के छाले आदि रोग खत्म होते हैं। इसका प्रयोग छोटे बच्चों के मुंह में होने वाले छालों में भी कर सकते हैं।
  • शहद में सुहागा मिला कर घोल तैयार करें। इसके घोल में साफ रूई को भिगोकर मुंह के छाले पर लगाने से तथा मुंह से निकलने वाले लार को नीचे टपकाने से मुंह की गंदगी खत्म होकर छाले दूर होते हैं।
  • 2 ग्राम भुना सुहागा के बारीक चूर्ण को 15 ग्राम ग्लिसरीन में मिलाकर रखें। इस मिश्रण को दिन में 2 से 4 बार मुंह के छालों पर लगाने से आराम मिलता है।
  • भुना हुआ सुहागा 1 चुटकी बारीक पीसकर ग्लिसरीन या देशी घी में मिलाकर मुंह के छालों पर लगाने से छाले ठीक हो जाते हैं।

31. मुंह का रोग –

  • 3 ग्राम भुना सुहागा आधा ग्राम कपूर चूरा को शहद में मिलाकर मुंह में लगाने से मुंह के सभी रोग खत्म होते हैं।
  • 10 ग्राम भुना सुहागा और 10 ग्राम बड़ी इलायची के दाने तथा 10 ग्राम तबासीर को मिलाकर चूर्ण बना लें। रोजाना सुबह-शाम भोजन करने के बाद 4-4 ग्राम चूर्ण पानी के साथ खायें और इसके चूर्ण को जीभ पर छिरकने से जीभ व मुंह के छाले खत्म होते हैं।
  • 3 ग्राम भुना सुहागा को पीसकर शहद या ग्लिसरीन 25 ग्राम में मिला लें। रोजाना सुबह-शाम इस मिश्रण को साफ रूई से मुंह के सफेद घाव पर लगाने से मुंह के जख्म ठीक हो जाते हैं।
  • फूला सुहागा शहद में मिलाकर जीभ पर लगाने से जीभ साफ होती है तथा दाने खत्म होते हैं।
  • सुहागा का लावा तैयार कर शहद में मिलाकर दिन में 3 से 4 बार छाले में लगाने से छाले ठीक हो जाते हैं।

32. नपुंसकता – सुहागा, कूट और मैनसिल को बराबर मिलाकर चूर्ण बनाकर चमेली के रस और तिल के तेल में पका कर लिंग पर मलने से लिंग का टेढ़ापन दूर होता है।

33. दस्त के लिए – लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लेकर लगभग 1 ग्राम सुहागे की खील (लावा) को रोजाना सुबह और शाम देने से बच्चों के आने वाले दस्त बंद हो जाते हैं।

34. मुंह की दुर्गंध –

  • 100 मिलीलीटर पानी में 4 ग्राम सुहागा घोलकर कुल्ला करने व गरारे करने से मुंह की दुर्गंध मिटती है तथा मुंह के अन्य रोग भी खत्म होते हैं।
  • सुहागा की खील (लावा) लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम में शहद मिलाकर दिन में 2 से 3 बार खाने से मुंह की दुर्गंध चली जाती है।

35. मूत्र के साथ खून आना – 0.24 से 0.96 ग्राम सुहागे की खील को शहद मिले हुए पानी में घोटकर सुबह-शाम पीने से पेशाब के साथ खून आना बंद हो जाता है।

36. थूक अधिक आना –

  • 500 मिलीलीटर पानी में 125 ग्राम सुहागा मिलाकर गरारे करने और बीच-बीच में कुल्ला करने से लार का मुंह में अधिक आना (लार श्राव) बंद हो जाता है।
  • सुहागा को शहद में मिलाकर रखें। इसे जीभ और मुंह के अन्दर के छाले पर दिन में 3 से 4 बार लगायें। इससे जीभ या मुंह में हुए छाले के कारण लार का गिरना और कब्ज (पेट मे गैस) खत्म होता है।

37. हकलाना, तुतलाना –

  • हकलाने वाले व्यक्ति को फूला हुआ सुहागा शहद में मिलाकर जीभ पर रगड़े। इसको रगड़ने से जीभ के कारण होने वाला तोतलापन दूर होता है।
  • भूना सुहागा 1 चुटकी जीभ पर रखकर हल्का-हल्का मलने से जीभ साफ होती है तथा बोली साफ निकलती है।

38. मासिक धर्म की अनियमितता – 10 ग्राम सुहागा, 10 ग्राम हीरा कसीस, 10 ग्राम मुसब्बर तथा 10 ग्राम हींग को पानी के साथ पीसकर लगभग 0.24 ग्राम की गोली बनाकर 1 गोली सुबह और शाम अजवायन के साथ सेवन करना चाहिए। इसे कुछ दिनों तक लगातार सेवन करने से मासिक धर्म ठीक समय पर आने लगता है।

39. बवासीर (अर्श) – 1 चम्मच सुहागा, 1 चम्मच हल्दी, 1 चम्मच चीता (चित्रक) की जड़, थोड़े-से इमली के पत्ते तथा 10 ग्राम गुड़ को पीसकर मलहम बना लें। इसके मलहम को बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से जल्द सूख कर गिर जाते हैं।

40. कान के कीड़े – सुहागे को सिरके में मिलाकर गर्म करके कान में डालने से कान के कीड़े खत्म हो जाते है।

41. गुर्दे के रोग – 1-1 ग्राम सुहागा भुना, नौसादर, कलमी शोरा को पीसकर गुर्दे मे दर्द के समय आधा ग्राम की मात्रा में नींबू के रस के साथ 2-3 चम्मच लेने से आराम आता है।

42. कान की पुरानी सूजन – ढाई प्रतिशत सुहागे के घोल को कान में बूंद-बूंद करके हर 2-3 घंटे के बाद डालने से कान की पुरानी सूजन दूर होती है।

43. भगन्दर – 4 ग्राम सुहागा को 60 मिलीलीटर पानी मे घोलकर पीने से गुदकण्डु (खुजली) नष्ट होती है और नासूर में लाभ होता है।

44. घाव –

  • सुहागे को पानी में घोलकर उसमें कपड़ा भिगोकर घाव पर बांधने से खून रुक जाता है।
  • 10 ग्राम सुहागे को 200 मिलीलीटर पानी में मिलाकर घाव को धोने से घाव ठीक हो जाता है।

45. अग्निमांद्यता (अपच) के लिए – लगभग आधा ग्राम से लगभग 1 ग्राम सुहागे का चूर्ण खाना खाने के एक घंटे बाद खाने से अपच (भोजन का ना पचना) रोग में लाभ होता है।

46. पथरी – 5-5 ग्राम सुहागा, जौंखार तथा कलमी शोरा को मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस 1-1 ग्राम चूर्ण को रोजाना सुबह-शाम मूली के रस में मिलाकर पीने से गुर्दे व मूत्राशय की पथरी घुलकर निकल जाती है।

47. प्रदर रोग – 2.5 प्रतिशत सुहागे के घोल की पिचकारी जननेन्द्रिय में देने से सफेद प्रदर दूर हो जाता है।

48. गिल्टी (ट्यूमर) – सुहागे की खील को गिल्टी (ट्यूमर) में लगाने से लाभ होता है।

49. धनुष्टंकार (टिटनेस) – लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम सुहागा सुबह-शाम शहद के साथ चाटने से धनुष्टंकार(टिटनेस) का रोगी जल्दी ठीक हो जाता है।

50. नाक के रोग – 3 ग्राम सुहागे को पानी के साथ पीसकर नाक के नथुनों (छेदों) में लगाने से नकसीर (नाक से खून बहना) आना रूक जाता है।

51. स्त्रियों को द्रवित (संतुष्ट) करना –

  • भूने हुऐ सुहागे को 5 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद या नींबू के रस में मिलाकर पुरुष अपने शिश्न (लिंग) पर सुपारी (आगे के भाग) पर लगाकर सूखने के बाद ही सहवास करें। इससे स्त्रियां बहुत जल्द संतुष्ट हो जाती है।
  • सुहागा चौकिया, समुद्र झाग आधा ग्राम, दूध, चाय या सब्जी के साथ स्त्री को खिलाने से स्त्रियां बहुत जल्द संतुष्ट हो जाती है।

52. चेहरे की झाई होने पर – 25 ग्राम चमेली के तेल या बादाम रोगन में 1 ग्राम पिसा हुआ भुना सुहागा मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की झाई दूर हो जाती है।

53. फोड़ा (सिर का फोड़ा) – सुहागे के पानी से फोड़े और फुंसियों को धोने से फोड़े और फुंसी समाप्त हो जाते हैं।

54. खाज-खुजली – सुहागे को तवे पर भूनकर उसका पानी शरीर पर मलने से खाज-खुजली दूर हो जाती है।

55. त्वचा के लिए – सतातू के ताजे पत्ते, सुहागे का चूर्ण और नील को मिलाकर बहुत बारीक पीसकर त्वचा पर लगाने से बहुत भयानक चमड़ी का रोग, एक्जिमा, बदबू वाला कोढ़ और दूसरे प्रकार के चमड़ी के रोग समाप्त हो जाते हैं।

56. खुजली के लिए – सुहागा को फुलाकर नारियल के तेल में मिलाकर शरीर पर मालिश करनी से खुजली दूर होती है।

57. दाद के लिए –

  • सुहागा, गन्धक और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। यह मिश्रण 40 ग्राम की मात्रा में लेकर 5 गुने पानी में डालकर घोल तैयार करके 24 घंटे तक रख दें। 24 घंटे के बाद इसे एक दिन में 2 बार दाद पर मलने से 2 से 3 दिन में ही दाद मिट जाता है।
  • सुहागा, आमलासार गन्धक और राल को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीस लें तथा इन तीनों के बराबर इसमें घी डालकर हल्की आग पर पका लें। जब यह पकते हुयें ठीक प्रकार से मिल कर एक हो जायें तो इसे उतार कर एक बर्तन में डालकर उस बर्तन में पानी डाल दें जिससें की पानी उस बर्तन में ऊपर ही रहें। अब उस पानी को फैंक दें ओर मिश्रण को दाद, खाज और फोड़े-फुंसियों पर लगाने सें लाभ होता है।
  • सुहागा को पीसकर नींबू के रस के साथ मिलाकर लगाने से दाद ठीक हो जाता है।

58. नहरूआ – सुहागे को गिलोय के रस में मिलाकर पीने से नहरूआ का रोग नष्ट होता है।

59. नाखून का रोग – नाखूनों की खुजली व सड़न में सुहागा, भुनी हुई फिटकरी, अमला सार, गन्धक तथा चीनी बराबर मात्रा में लेकर सभी को अच्छी तरह से पीसकर सफेद वेसलीन में मिलाकर मलहम तैयार कर लें। यह मलहम रोजाना 2 से 3 बार नाखूनों मे लगाने से लाभ मिलता है।

60. पीलिया का रोग – 10-10 ग्राम सुहागा भुना, फिटकरी भुनी, शोराकलमी और नौसादर को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को रोजाना 1-1 ग्राम की मात्रा में भोजन करने के बाद सुबह और शाम पानी से लेने से पीलिया रोग समाप्त हो जाता है।

61. मिर्गी (अपस्मार) –

  • सुहागे की लावा (खील) 0.24 ग्राम से 0.96 ग्राम शहद के साथ सुबह और शाम को खाने से मिर्गी रोग दूर हो जाता है।
  • 10 प्रतिशत सुहागे की खील के घोल को शुद्ध पानी में मिलाकर किसी नली के द्वारा 2 से 5 मिलीलीटर हफ्ते में 1 बार देने से मिर्गी रोग में बहुत लाभ मिलता है।

62. दाद के रोग में –

  • सुहागे को भूनकर लोहे के बर्तन में डालकर इसमें देसी घी मिला कर दाद पर लगाने से दाद पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
  • राल, गन्धक और सुहागा को बराबर मात्रा में मिलाकर नींबू के रस के साथ पीसकर लगाने से 7 दिन में ही दाद जड़ से खत्म हो जाता है।

63. गट्ठे (गांठे) होने पर – 2 ग्राम सुहागे की खील या लावा को शहद के साथ सुबह और शाम खाने से गुल्म या गट्ठे समाप्त हो जाते हैं।

64. डब्बा रोग –

  • 10-10 ग्राम अपामार्ग, क्षार, नागरमोथा, अतीस, सुहागा और बड़ी हरड़ को थोड़े पानी में मिलाकर बच्चों को चटाने से डब्बा रोग (पसली चलना) समाप्त हो जाता है।
  • 3 ग्राम भुना हुआ हीरा-कसीस और 3 ग्राम आधा भुना हुआ सुहागा लेकर बकरी के दूध में पीसकर बाजरे के बराबर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इस 1-2 गोली को मां के दूध के साथ बच्चे को देने से पसली चलना रुक जाती है।

65. जलने पर – 1 ग्राम सफेद सुहागे को 20 मिलीलीटर पानी में मिला लें। इस पानी से शरीर के जले हुए भागों को धोने से घाव बिल्कुल ठीक हो जाता है।

66. बालरोग –

  • लगभग 0.12 ग्राम भुना हुआ सुहागा मां के दूध में मिलाकर सुबह बच्चे को पिलाने से फूला हुआ पेट ठीक हो जाता है।
  • 0.12 ग्राम भुना हुआ सोहागा और 0.6 ग्राम उसारा रेवन्द को दूध के साथ बच्चों को पिलाने से दस्त बंद हो जाते हैं।
  • सुहागें का लावा पीसकर शहद में मिलाकर बच्चों के मसूड़ो पर लगाने से भी दांत निकलने में फायदा होता है।

67. लिंगोद्रेक (चोरदी) – लिंग की उत्तेजना दूर करने के लिए लगभग 240 से 960 मिलीग्राम सुहागे की खीर रोजाना सुबह-शाम खाने से लाभ मिलता है।

68. गला बैठना –

  • 5 से 10 मिलीलीटर ऊंटकटोर का मूल स्वरस (जड़ का रस) अकेले या सुहागे की खील (लावा) के साथ मिलाकर सुबह और शाम सेवन कराने से स्वरभंग (बैठा हुआ गला) ठीक हो जाता है।
  • स्वरभंग (गला बैठने पर) होने पर सुहागे की टिकिया चूसते रहने से बैठे हुए गले में जल्दी आराम आता है।
  • भुना हुआ चौकिया सुहागा और लौंग बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और फिर तुलसी के पत्तों के रस में मिलाकर चने के बराबर की गोलियां बनाकर सुबह और शाम 2-2 गोलियां ताजे पानी के साथ खाने से बैठा हुआ गला खुल जाता है।
  • यदि ज्यादा तेज बोलने के कारण गला बैठ गया हो तो थोड़ा सा कच्चा सुहागा मुंह में रखकर चूसने से आराम आता है।

जिन लोगों का गला ज्यादा जोर से बोलने के कारण बैठ गया हो उन्हे आधा ग्राम कच्चा सुहागा मुंह में रखने और चूसते रहने से स्वरभंग (बैठा हुआ गला) 2 से 3 घंटो में ही खुल जाता है।

69. स्वरभंग – सुहागा को पीसकर चुटकी भर चूसने से बैठी हुई आवाज खुल जाती है।

70. जुकाम –

  • तवे पर सुहागा को सेंककर पीस ले। इसे चुटकी भर 1 घूंट गर्म पानी में घोलकर रोजाना 4 बार पीने से जुकाम ठीक हो जाता है।
  • भूना सुहागा आधा ग्राम गर्म पानी से सुबह-शाम लेने से नजला ठीक हो जाता है।

71. पसीना – 1 चम्मच पिसा हुआ सुहागा एक बाल्टी पानी में मिलाकर नहाने से अधिक पसीना आना और शरीर से दुर्गन्ध आना बंद हो जाती है।

72. अजीर्ण – बच्चा सोते-सोते रोने लगे, दही की तरह जमे दूध की उल्टी करे, हरे रंग का अतिसार (दस्त) हो तो समझे कि बच्चे को खाया हुआ पचता नहीं है। बच्चे की पाचनशक्ति (भोजन पचाने की क्रिया) ठीक करने के लिए भुना सुहागा चुटकी भर दूध में घोलकर 2 बार पिलाने से लाभ होता है।

73. पेट फूलना, दूध उलटना – तवे पर सुहागे को सेंक कर बच्चों को चटाने से पेट फूलना और दूध पीकर वापिस निकाल देने का रोग दूर हो जाता है।

74. फरास – 50 ग्राम सुहागे को तवे पर भूनकर पीस लें। 1 चम्मच सुहागा, 1 चम्मच नारियल का तेल और 1 चम्मच दही को मिलाकर सिर में मलने और आधे घंटे के बाद सिर को धोने से सिर की फरास समाप्त हो जाती है।

75. तिल्ली – 30 ग्राम भुना हुआ सुहागा और 100 ग्राम राई को पीसकर मैदा की छलनी से छान लें। इसे आधा चम्मच रोजाना 7 सप्ताह तक 2 बार पानी से फंकी लें। तिल्ली सिकुड कर अपनी सामान्य अवस्था में आ जायेगी, भूख अच्छी लगेगी और शरीर में शक्ति का संचार होगा।

76. कर्णरोग – लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सुहागा कान में दिन में 2-3 बार डालने से कान के रोग ठीक हो जाते हैं।

77. चर्मरोग – सुहागे के तेल को चमड़ी पर लगाने से चमड़ी के सारे रोग ठीक हो जाते हैं।

78. बाल रोग – लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग शुद्ध सुहागा शहद के साथ बच्चों को दिन में 2-3 बार देने से बच्चों की खांसी और सांस के रोग दूर होते हैं।

79. अंडकोष की वृद्धि – 6 ग्राम भुने सुहागे को गुड़ में मिलाकर इसकी 3 गोलियां बनाकर 1-1 गोली 3 दिन सुबह हल्के गर्म घी के साथ सेवन करने से अंडकोष की वृद्धि रुक जाती है।

80. अंडकोष की खुजली – लगभग 100 मिलीलीटर पानी में 4 ग्राम सुहागा को घोलकर रोजाना 2-3 बार अंडकोष धोने से खुजली मिट जाती है।

81. आंख आना – आंख आने पर सुहागा और फिटकरी को एक साथ पानी में घोल बनाकर आंख को धोने और बीच-बीच में बूंद-बूंद (आई डरोप्स) की तरह आंखों मे डालने से बहुत जल्दी लाभ होता है।

82. दमा –

  • लगभग 75 ग्राम भुना हुआ सुहागा 100 ग्राम शहद में मिला ले इसे सोते समय 1 चम्मच की मात्रा में लेकर चाटने से श्वास रोग (दमा) में बहुत लाभ होता है।
  • लगभग 30 ग्राम पिसे हुए सुहागे को 60 ग्राम शहद में मिलाकर रख दें। कुछ दिनों तक 3 अंगुली भर चाटते रहने से श्वास रोग (दमा) खत्म हो जाता है।
  • सुहागा और मुलहठी को अलग-अलग पकाकर या पीसकर कपड़े में छानकर बारीक चूर्ण बना लें और फिर इन दोनों औषधियों को बराबर मात्रा में मिलाकर किसी शीशी में सुरक्षित रख लें। आधा ग्राम से 1 ग्राम तक इस चूर्ण को दिन में 2-3 बार शहद के साथ चाटने से या गर्म पानी के साथ लेने से दमा के रोग में लाभ मिलता है। बच्चों के लिए लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा या आयु के अनुसार दें। इसका सेवन करने से श्वास (दमा), खांसी तथा जुकाम नष्ट हो जाता है। इस औषधि का सेवन करते समय दही, केला चावल तथा ठंडे पदाथों का सेवन नहीं करना चाहिए।

83. आंखों का दर्द – भुने हुए सुहागे को पीसकर कपडे़ में छानकर सलाई से सुबह और शाम आंखों में लगाने से आराम आता है।

सुहागा के दुष्प्रभाव (Suhaga ke Nuksan in Hindi)

सुहागा से होने वाले संभावित नुकसान निम्नलिखित हैं –

  1. गर्भवती महिलाओं को इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।
  2. सुहागा के अत्यधिक सेवन से मासिक स्त्राव में अधिकता हो सकती है।
  3. अत्यधिक मात्रा में सुहागा सेवन करने पर यह – भूख में कमी, खट्टी डकार, सूजन, कमजोरी और उल्टी जैसी समस्याओं को जन्म दे सकता है ।
  4. इसके लंबी अवधी तक इस्तेमाल से हड्डीयों को नुकसान पहुच सकता है ।
  5. डॉक्टर की सलाह के अनुसार सुहागा की सटीक खुराक समय की सीमित अवधि के लिए लें।
  6. ½ ग्राम से अधिक मात्रा में इसका इसतेमाल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है इस्से बचना चाहिये ।

Read the English translation of this article hereSuhaga (borax): Surprising 68 Medicinal Uses Benefits and Side Effects

अस्वीकरण: इस लेख में उपलब्ध जानकारी का उद्देश्य केवल शैक्षिक है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं ग्रहण किया जाना चाहिए। कृपया किसी भी जड़ी बूटी, हर्बल उत्पाद या उपचार को आजमाने से पहले एक विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।

Leave a Comment

error: Alert: Content selection is disabled!!
Share to...