Last Updated on June 8, 2024 by admin
परिचय :
आलू विश्व के कोने-कोने में पैदा होता है । अधिकतर यह सब्जी के रूप में खाया जाता है । यह शुष्क और गर्म प्रकृति का है । आलू के प्रयोग से रक्त वाहनियां, लम्बी आयु तक लचकदार बनी रहती हैं, तथा कठोर नहीं होने पाती हैं। इसलिए इसे खाकर लम्बी आयु प्राप्त की जा सकती है । इसका सर्वोत्तम प्रयोग गर्म राख भूजल) में भूनकर, या हल्की आंच पर भूनकर छिलका उतारकर खाने में हैं। इसका विभिन्न रोगों में प्रयोग होता है ।
आलू के औषधीय गुण : aalu ke gun
- आलू को अनाज के पूरक आहार का स्थान प्राप्त है।
- सभी प्रकार के आलू शीतल, मलरोधक, मधुर, गरिष्ठ, मल तथा मूत्र को उत्पन्न करने वाले, रुक्ष, मुश्किल से पचने वाले और रक्तपित्त को मिटाने वाले हैं।
- यह कफ और वायु करने वाले, बल, प्रद,हैं |
- वीर्यवर्धक और अल्पमात्रा में अग्निवर्धक भी हैं।
- आलू-परिश्रम के कारण निर्बल बने हुए, रक्तपित्त से पीड़ित, शराबी और तेज जठराग्नि वाले लोगों के लिए अत्यन्त ही पोषक है।
यूनानी मतानुसार आलू के गुण :
आलू रुक्ष, शीतल, कामोत्तेजक, वीर्यवर्द्धक, पचने में गरिष्ट और उदरवातवर्द्धक है।
वैज्ञानिक मतानुसार आलू के गुण :
- आलू के छिलके निकाल देने पर उसके साथ कुछ पोषक तत्व भी चले जाते हैं । आलू को उबालने पर बचे हुए पानी में भी प्रजीवक तत्व (विटामिन) रहते हैं । अतः उस पानी को फेंक देने के बजाय साग-भाजी या दाल में मिलाकर खाना चाहिए।
- आलू में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेटस, फॉस्फोरस, पोटाशियम, गन्धक, ताँबा और लोहा अधिक मात्रा में हैं। इसमें विटामिन ‘ए’ और ‘सी’ भी थोड़ी मात्रा में हैं।
आलू के फायदे और उपयोग : aalu (aloo) ke fayde
1. गठिया – गर्म राख (भूमल) में चार पांच आलू भूनकर उनका छिलका उतार कर नमक मिर्च लगाकर नित्य खाने से गठिया रोग ठीक हो जाता है । ( और पढ़ें – गठिया वात रोग के 13 रामबाण घरेलु उपचार )
2. जोड़ों में दर्द – घुटनों में सूजन या जोड़ों में किसी प्रकार की बीमारी हो तो कच्चे आलू को पीसकर लगाने से बहुत लाभ होता है । ( और पढ़ें – जोड़ों का दर्द दूर करेंने के 17 घरेलु उपाय)
3. बलवर्धक – सूखे आलू में 8.5% प्रोटीन है और सूखे चावलों में 6-7% प्रोटीन है। इस प्रकार आलू में अधिक प्रोटीन पाई जाती है। आलुओं में मुर्गियों के चूजों जैसी प्रोटीन होती है। बड़ी आयु वालों के लिए प्रोटीन आवश्यक है। आलुओं की प्रोटीन बूढ़ों के लिए बहुत ही शक्ति देने वाली और वृद्धावस्था की कमजोरी दूर करने वाली होती है।
4. अम्लता (Acidity) – जिस रोगी की पाचन क्रिया ठीक नहीं है और खट्टी डकारें आती रहती हैं उन्हें भूमल या बालू में भुना आलू नमक और काली मिर्च लगाकर खिलायें । यह कब्ज और अंतडियों की सड़ांध दूर करता है । आलू में उपस्थित पोटेशियम साल तत्व अस्लपित्त को रोकता है । भुना हुआ आलू गेहूं की रोटी से आधे समय में पच जाता है और शरीर में गेहूं की रोटी से प्राप्त होने वाले पौष्टिक पदार्थों से अधिक पौष्टिक पदार्थ सुलभ कराता है। ( और पढ़ें – एसिडिटी दूर करेंगे यह आसान घरेलू नुस्खे)
5. बेरी-बेरी (Beri-Beri) – बेरी-बेरी का सरलतम् सीधा-सादा अर्थ है-‘चल नहीं सकता’ इस रोग से जंघागत नाड़ियों में क्षीणता का लक्षण विशेष रूप से होता है।
आलू पीसकर या दबाकर रस निकालें, एक चम्मच भर की मात्रा के हिसाब से नित्य 4 बार पिलाएँ । कच्चे आलू को चबाकर रस को निगलने से भी यह लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
6. रक्तपित्त (Seurvy) – यह रोग विटामिन ‘सी’ की कमी से होता है। इस रोग की प्रारम्भिकावस्था में शरीर एवं मन की शक्ति क्षीण हो जाती है। अर्थात् रोगी का शरीर निर्बल, असमर्थ, मन्द, कृश तथा पीला-सा दिखाई देता है। थोड़े-से परिश्रम से ही साँस फूल जाती है। मनुष्य में सक्रियता के स्थान पर निष्क्रियता आ जाती है। रोग के कुछ प्रकट रूप में होने पर टाँगों की त्वचा पर रोमकूपों के आसपास आवरण के नीचे से रक्तस्राव होने लगता है। बालों के चारों ओर त्वचा के नीचे छोटे-छोटे लाल चकत्ते (Pethial) निकलते हैं फिर धड़ की त्वचा पर भी रोमकूपों के आस-पास ऐसे बड़े-बड़े चकत्ते (Ecohymoses) निकलते हैं। त्वचा देखने में खुश्क, खुरदुरी तथा शुष्क लगती है।
दूसरे शब्दों में अति किरेटिनता (Hyper Keratosis) हो जाता है। मसूढे पहले से ही सूजे हुए होते हैं और इनसे रक्तस्राव हो जाता है। बाद में रोग बढ़ने पर टाँगों की माँसपेशियाँ विशेषतः प्रसारक पेशियों से रक्तस्राव होकर उनमें वेदनायुक्त तथा स्पर्शाक्षम ग्रन्थियाँ बन जाती हैं । हृदय माँस से भी स्राव होकर हृदय शूल का रोग हो सकता है। नासिका आदि से खुला रक्तस्राव भी हो सकता है। अस्थि क्षय (Caries) और पूयस्राव (Pyorrhoea) भी बहुधा विटामिन ‘सी’ की कमी से प्रतीत होता है। कच्चा आलू रक्त पित्त को दूर करता है।
7. त्वचा की झुर्रियाँ – सर्दी से ठण्डी सूखी हवाओं से हाथों की त्वचा पर झुर्रियाँ पड़ने पर कच्चे आलू को पीसकर हाथों पर मलना गुणकारी है। नीबू का रस भी इस हेतु समान रूप से उपयोगी है। कच्चे आलू का रस पीने से दाद, फुन्सियाँ, गैस, स्नायुविक और माँसपेशियों के रोग दूर होते हैं। ( और पढ़ें –चेहरे की झुर्रियां दूर करने के 19 आसान उपाय )
8. गौरवर्ण – आलू को पीसकर त्वचा पर मलने से रंग गोरा हो जाता है। ( और पढ़ें –गोरा होने के 16 सबसे कामयाब घरेलु नुस्खे )
9. आँखों का जाला एवं फूला – कच्चा आलू साफ-स्वच्छ पत्थर पर घिसकर सुबह-शाम आँख में काजल की भाँति लगने से 5-6 वर्ष पुराना जाला और 4 वर्ष तक का फूला 3 मास में साफ हो जाता है।
10. मोटापा – आलू मोटापा नहीं बढ़ाता । आलू को तलकर तीखे मसाले घी आदि लगाकर खाने से जो चिकनाई पेट में जाती है, वह चिकनाई मोटापा बढ़ाती है। आलू को उबालकर या गर्म रेत अथवा गर्म राख में भूनकर खाना लाभकारी एवं निरापद है। ( और पढ़ें – मोटापा कम करने के सफल 58 घरेलु नुस्खे )
11. बच्चों का पौष्टिक भोजन – आलू का रस दूध पीते बच्चों और बड़े बच्चों को पिलाने से वे मोटे-ताजे हो जाते हैं। आलू के रस में मधु मिलाकर भी पिला सकते हैं।
आलू का रस निकालने की विधि यह है : आलुओं को ताजे पानी से अच्छी तरह धोकर छिलके सहित कद्दूकस करके इस लुगदी को कपड़े में दबाकर रस निकाल लें । इस रस को 1 घण्टे तक ढंककर रख दें । जब सारा कचरा, गूदा नीचे जम जाए तो ऊपर का निथरा रस अलग करके काम में लें ।
12. सूजन – कच्चे आलू सब्जी की तरह काट लें । जितना वजन आलुओं का हो, उसके डेढ़ गुना पानी में उसे उबालें । जब पानी मात्र 1 भाग शेष रह जाए तो उसे पानी से चोट से आई हुई सूजन वाले पीड़ित अंग को धोएँ, सेंक करें लाभ होगा। ( और पढ़ें – सूजन में तुरंत राहत देते है यह 28 घरेलु उपाय )
नोट- गुर्दे या वृक्क (Kidney) के रोगी भोजन में आलू खाएँ । आलू में पोटेशियम की मात्रा बहुत अधिक पाई जाती है और सोडियम की मात्रा कम । पोटेशियम की अधिक मात्रा गुर्दो से अधिक नमक की मात्रा निकाल देती है। इससे गुर्दे के रोगी को लाभ होता है। आलू खाने से पेट भर जाता है और भूख में सन्तुष्टि अनुभव होती है। आलू में वसा (चर्बी) यानि चिकनाई नहीं पाई जाती । यह शक्ति देने वाला है और जल्दी पचता है। इसलिए इसे अनाज के स्थान पर खा सकते हैं ।
13. उच्च रक्तचाप – के रोगियों को भी आलू खाने से रक्तचाप को सामान्य बनाने में परम लाभ प्राप्त होता है। पानी में नमक डालकर आलू उबालें । (छिलका होने पर आलू में नमक कम पहुँचता है।) और आलू नमकयुक्त भोजन बन जाता है। इस प्रकार यह उच्च रक्तचाप में लाभ करता है क्योंकि आलू में मैग्नीशियम पाया जाता है।
14. गुर्दे की पथरी (Renal Stone) – एक या दोनों गुर्यों में पथरी होने पर केवल आलू खाते रहने पर बहुत लाभ होता है। पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक मात्रा में पानी पिलाते रहने से गुर्दे की पथरियाँ और रेत आसानी से निकल जाती हैं। आलू में मैग्नीशियम पाया जाता है जो पथरी को निकालता है तथा पथरी बनने से रोकता है। ( और पढ़ें – पथरी के सबसे असरकारक 34 घरेलु उपचार)
15. नील पड़ना (Bruises) – कभी-कभार चोट लगने पर नील पड़ जाती है । नील पड़ी जगह पर कच्चा आलू पीसकर लगाना लाभप्रद है।
16. जलना (Burns) – जले हुए स्थान पर कच्चा आलू पीसकर लगाएँ तथा तेज धूप, लू से त्वचा झुलस गई हो तो कच्चे आलू का रस झुलसी त्वचा पर लगाने से सौन्दर्य में निखार आ जाता है। ( और पढ़ें –आग से जलने पर आयुर्वेद के सबसे असरकारक 79 घरेलु उपचार )
17. हृददाह (Heartburn) – इसमें आलू का रस पीएँ । यदि रस निकाला जाना कठिन हो तो कच्चे आलू को मुँह से चबाएँ तथा रस पी जाएँ और गूदे को थूक दें। आलू का रस पीने से हृदय की जलन दूर होकर तुरन्त ठण्डक प्रतीत होती है।
18. वात रक्त (Gout) – कच्चा आलू पीसकर, वातरक्त में अँगूठे पर लगाने से दर्द कम होता है। दर्द वाले स्थान पर भी लेप करें।
19. विसर्प (Erysipelas) – यह एक ऐसा संक्रामक रोग है जिसमें सूजनयुक्त छोटी-छोटी फुन्सियाँ होती हैं, त्वचा लाल दिखाई देती है तथा साथ में ज्वर भी रहता है। फुन्सियाँ ठीक होती जाती हैं इस रोग में पीड़ित अंग पर आलू को पीसकर लगाने से भी लाभ होता है।
20. आमवात (Rheumatism) – पाजामा या पतलून की दोनों जेबों में लगातार एक छोटा-सा आलू रखें तो यह प्रयोग आमवात से रक्षा करता है। आलू खाने से भी बहुत लाभ होता है। ( और पढ़ें –आमवात के 15 घरेलू उपचार )
21. कटि वेदना – कच्चे आलू की पुल्टिश कमर में लगाएँ। ( और पढ़ें –कमर दर्द से बचने के घरेलू उपाय )
22. घुटनों में सूजन व दर्द – घुटने की श्लेष्मकला शोथ (Synovitis) सूजन व इस जोड़ में किसी प्रकार की बीमारी हो तो कच्चे आलू को पीसकर लगाने से लाभ होता है।
23. अम्लता (Acidity) – आलू की प्रकृति क्षारीय है जो अम्लता को कम करती है। जिन रोगियों के पाचानांगों में अम्लता (खट्टापन) की अधिकता है, खट्टी डकारें आती हैं और वायु अधिक बनती है, उनके लिए गरम-गरम राख या रेत में भुना हुआ आलू बहुत ही लाभदायक है। भुना हुआ आलू गेहूं की रोटी से आधे समय में पच जाता है। पुरानी कब्ज और अन्तड़ियों की सड़ांध को दूर करता है। आलू में पोटेशियम साल्ट होता है जो अम्लपित्त को रोकता है।
आलू खाने के नुकसान : aloo(aalu) ke nuksan
- आलू यदि नरम हो अथवा उसके ऊपर दुर्गन्धयुक्त पानी आ गया हो तो उसका उपयोग न करें ।
- मन्दाग्नि वालों, गैस या मधुमेह से पीड़ित रोगियों को आलू का सेवन हितकारी नहीं ।
- अग्निमांद्य, अफरा, वात प्रकोप, ज्वर मलावरोध, खुजली वगैरह, त्वचा रोग, रक्तविकार, अतिसार, प्रवाहिका, आन्त्रक्षय, अर्श, अपच और उदर कृमि-इन रोगों से पीड़ित लोगों को आलू का कम सेवन करना चाहिए।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)