Last Updated on March 23, 2024 by admin
भिलावा के आयुर्वेदिक गुण : bhilawa (bhilawe) ki gun
- भिलावा एक उत्तम और उत्कृष्ट बनौषधि है । यहं कषाय, उष्ण, शुक्रल, मधुर रसयुक्त, लघु, वात, कफ, उदर रोग, आनाह, कुष्ठ, अर्श, ग्रहणी, गुल्म, ज्वर, श्वित्रकुष्ठ, अग्निमांद्य, कृमिहर तथा व्रणहर है ।
- यह रसायन मेध्य वाजीकरण, मूत्रजनक, वातनाड़ी और दौर्बल्य नाशक है।
- यह शरीर में विभिन्न प्रकार से उत्तेजना करके अनेक क्रियायें करता है जैसे—रस ग्रंथि में उत्तेजना से श्वेत कणों की वृद्धि होती है जिसके फलस्वरूप शोथ में लाभ होता है।
- यकृत में उत्तेजना से पित्त स्त्राव ठीक होता है जिससे भूख वृद्धि होती है और रक्ताभिसरण क्रिया ठीक होती है।
- वृक्कों में उत्तेजना से प्रारम्भ में मूत्र की मात्रा में वृद्धि तथा बाद में (कभी-कभी मूत्र में खून भी आ जाता है) कमी हो जाती है।
- इसका पका हुआ फल कसैला, रस-विपाक में चरपरा, उष्ण, उत्तेजक, पाचक, स्नायुबल बर्धक और शरीर पर फफोला पैदा करता है ।
- मन्दाग्नि, त्वचा रोग, अर्श (बबासीर) और स्नायु की निर्बलता मिटाने हेतु अति उत्तम है।
- गन्डमाला, उपदंश (आतशक) और कोढ़ नाश हेतु तो अद्वितीय है ।
- इसका तैल तिला के तौर पर इस्तेमाल होता है।
- खास विधि से निर्मित खिजाब भी काम देता है।
- बहुत से लोग इसको विष मानते हैं किन्तु विषों में इसकी गिनती नहीं है ।
- यह कफ रोगों को नेस्तनाबूद करने वाला है।
भिलावा शोधन विधि : bhilawa (bhilawe) shodhan vidhi
- औषधि प्रयोगार्थ इसके अच्छे सुपक्व फल काम में आते हैं । जो फल पानी में डालने पर डूब जायें, उन्हीं का प्रयोग-श्रेष्ठ है ।
- इसके शोधन हेतु छोटेछोटे टुकड़ कुतरकर ईट के चूर्ण के साथ टाट के बोरे में रगड़ते हैं और फिर धोकर काम में लेते हैं। कुछ वैद्यगण फलों को केवल उबालकर ठण्डे पानी से धोकर काम में लेते हैं । प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य श्री यादव जी के मतानुसार इसे 1 दिन गोमूत्र में डालकर तीन दिन गो दुग्ध में डालना चाहिए (प्रतिदिन जल से धोकर नवीन दुग्ध ही लेना चाहिए) फिर कपड़छन ईट के चूर्ण में मसलकर, धो-सुखाकर औषध रूप में काम में लेना चाहिए ।
भिलावा की सेवन विधि और मात्रा :
औषधि रूप में इसकी मात्रा–तेल 1 से 2 बूंद, अवलेह आधा से चौथाई तोला, क्षीरपाक 1 से 2 तोला तक है।
भिलावा के फायदे और उपयोग : bhilawa ke fayde in hindi
भल्लातक के सेवन के समय दुग्ध एवं चावल का पथ्य देना चाहिए तथा धूप में घूमना, स्त्री सहवास, माँस भक्षण, नमक सेवन, व्यायाम और शरीर में तैल मालिश करना आदि छोड़ देना चाहिए ।
1- भिलावा 1 भाग, काजू 6 भाग, शहद 1 भाग को खूब भली प्रकार घोटकर 2 माशा फी मात्रा में दिन में 4 बार आमवात में सेवन करना अतीव गुणकारी है। ( और पढ़ें – आमवात के 15 घरेलू उपचार)
2- भिलावा 2 भाग, अजवायन 2 भाग, पारद 1 भाग को घोटकर चने के आकार की गोली बनालें । इन्हें दही के साथ सेवन करने से गन्डमाला में लाभ होता है। ( और पढ़ें – कण्ठमाला के 22 घरेलू उपचार)
3- भिलावा, हरड़ और तिल समभाग लेकर दुगने गुड़ के साथ गोली बनाकर 6 माशा सेवन करने (भल्लातक का धुंआ भी दिया जाता है) से बवासीर मिटता है । ( और पढ़ें –बवासीर के 52 सबसे असरकारक घरेलु उपचार )
4- भिलावा को-आधा तोला लहसुन के साथ पिलाना हैजा में लाभकारी है।
5- भिलाबे का दीपक पर गरम करने से जो तैल टपकता (निकलता) है, इसे दूध में टपका कर मिश्री मिलाकर रात्रि के समय देना फुफ्फुस विकारों में हितकर है । फुफ्फुस-प्रदाह में मुलहठी के साथ मिलाकर देना लाभकारी है।
6- इमली और शुद्ध भिलावा समभाग मिलाकर कूटकर 1-1 रत्ती की गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रखलें । यह भल्लातक वटी कहलाती है। इसकी मात्रा 1 से 2 गोली तक मट्ठा या जल के साथ दिन में 2-3 बार तक देने की है । यह वटी जकड़ी हुई सन्धियों को दूर करती है । उदर वात, आध्मान, उदरावर्त उदर शूल युक्त अतिसार, विशूचिका, संग्रहणी में भी लाभप्रद है । पक्षाघात में मांसपेशियों की शिथिलता, गर्दन की अकड़न और शिराओं की जकड़न, सामान्य शोथ, पेशियों का दर्द, वातज शिराशूल, अन्डवृद्धि, आन्त्रवृद्धि की प्रारम्भिक अवस्था के शोथ में भी लाभप्रद है । उदर के समस्त वातज रोग तथा समस्त वात विकारों में लाभकारी है । इसके प्रयोग से श्वेत कुष्ठ और रक्त विकारों में भी लाभ देखने को मिला है।
भिलावा के नुकसान : bhilawa (bhilawe) ke nuksan in hindi
- यह तीव्र (तेज) बहुत होता है । इसका तैल शहद की तरह होता है । यदि यह कहीं शरीर में लग जाए तो घाव हो जाता है |यह औषधियों के काम में आता है ।
- भल्लातक सहन न होने पर (विष प्रभाव के कारण) गहरे रंग का मूत्र, दाह, खुजली, चकत्ते, अतिसार, ज्वर, उन्माद, फोड़ा फूटकर व्रण बनना तथा कभीकभी रक्तमेह इत्यादि हो जाते हैं । प्रारम्भिक लक्षण प्रकट होते ही वा सेवन बन्द कर नारियल का दूध या इमली पत्र स्वरस अथवा तिल और नारियल खाना चाहिए।
- पैत्तिक विकार, रक्तस्रावी प्रवृत्ति वालों को तथा गर्भिणी स्त्री को बालकों को, वृद्धों को तथा अतिसार और वृक्क शोथ के रोगियों को और उष्ण काल में इसका सेवन वर्जित है ।
अस्वीकरण: इस लेख में उपलब्ध जानकारी का उद्देश्य केवल शैक्षिक है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं ग्रहण किया जाना चाहिए। कृपया किसी भी जड़ी बूटी, हर्बल उत्पाद या उपचार को आजमाने से पहले एक विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।
हमारी सलाह है आप रोगी का यथा शीघ्र अनुभवी चिकित्सक द्वारा उपचार कराएं… याद रहे भिलावा का तेल शरीर के किसी भी भाग पर लग जाने पर यह शरीर के उस भाग पर छाले व घाव उत्पन्न करता है… किसी अनुभवी वैद्य की देखरेख में ही भिलावा का सावधानी पूर्वक उपयोग किया जाना चाहिए….प्रारंभिक उपचार के रूप में रोगी के घाव पर नारियल का तेल लगाया जा सकता है ~ हरिओम
Sir mere ek dost ne bhilawa ko sar pe laga liya hai jaha bal nahi hai lekin sir wo chhut nahin Raha aur khujli ho Rahi hai aur mawad bhi nikal Rahi hai ab kya karna chahiye sir
गाय का घी उस जगह पर कुछ दिनों तक लगाइए …चिंता न करें घाव कुछ ही दिनों में ठीक हो जायेगा..निकट भविष्य में भिलावा के प्रयोग में सावधानी बरतें ~ हरिओम
Sir maine bhilwa lagaya Usse khujli aarahi hai dr ko gaya dikhane to unhone kaha fungus hai yeah but bhilwa lagne ki tisre Din yeah infection hua hai
नारियल का तेल या गाय का घी उस जगह पर कुछ दिनों तक लगायें ..
Bhilava lagane se mere mummy ke pair me khujli suru ho gai hai…or kisi Doctor ko is Bhilava ke bare me kuch pata nahi hai aap koi niskha bataiye jisse khujli band ho… Please
जख्म के ऊपर दिन में 3 बार घी या नारियल का तेल कुछ दिनों तक लगाइए ..कुछ ही दिनों में घाव ठीक हो जायेगा …घाव को पानी से यथा संभव बचाइएगा !!
Mere 16bsaal ke bete k hair mai baalchr jaisa chota sa spot ho gya ,pansari k pas gai thi bhringraj ki jad lene ,jo kisi ne kha tha lgane k liye ,pansari ne bhilave k bheej de k Kaha ki isko pees k lgao ,jb raat konbheej ko pees k lgaya to morning uski skin jal gai hai ,ab mujy kya krna chahiye ,hair mai hai left side kaan k thoda upr plz kya krna chahiye kuvh btaoye 🙏
अन्य सभी बीजों की तरह ही भिलावा को मशीन द्वारा पेर कर इस्से तेल प्राप्त किया जाता है …. भिलावा में से निकला तेल चिपचिपा गाढ़े काले रंग का होता है …शरीर के किशी भी भाग मे तेल लग जाने पर वहाँ घाव हो जाता है…
इसके तेल का उपयोग सही मात्रा में किसी अनुभवी वैद्य की देख्रे-रेख मे ही किया जाना चाहिये वरना यह घातक हो सकता है
1) इसका तेल कैसे बनेगा?
2) या फिर इससे अलग कोई ओर दूसरा फार्मूला क्या हो सकता है। जिसे की मे इसका इस्तेमाल पुरी सावधानी से कर सकू।
कृपा इसके बारे मुझे अवश्य बताये।
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Chulai ki jad ka Ras 25ml. 2—–2hour ke baad piye our lagaye bhi
nariyal ka oil lga lena 1week m thek ho jaayega
शोधन विधि से भिलावा का शोधन कर अनुभवी वैध की देख-रेख में ही इसका उपयोग किया जाना चाहिये ~ हरिओम
भिलावा का इस्तेमाल कैसे करें
सबसे बेहतर होगा आप डाक्टर के देखरेख मे इसका शीघ्र उचित उपचार करें | प्राथमिक घरेलू उपाय के रूप मे आप घाव की जगह पर नारियल का तेल या गाय का घी लगा सकते है |
~हरिओम
Mere bhialve se infection ho gya hai… Maine body pr lga liya tha koi dwaa bta dijiye jaldi se pls…