Last Updated on July 4, 2024 by admin
परिचय :
मिर्च में पाचक, उत्तेजक, वातहारक, ज्वररोधक एवं तीक्ष्णता के गुण पाये जाते हैं। रसोईघर में प्रयुक्त होने वाले मसालों में हरी मिर्च, लाल मिर्च, काली मिर्च और सफेद मिर्च का उपयोग किया जाता है। हरी मिर्च को कुछ समय रखने या सूखाने से इसका रँग हरे से लाल हो जाता है। इसी प्रकार से काली मिर्च जब ताजा होती है तब नारँगी लाल रँग की होती है मगर सूखने पर काली पड़ती है। छिलका उतारने पर अन्दर सफेद रंग होता है। सलाद व साग-सब्जियों में स्वाद एवं चटपटापन बढ़ाने के लिये हरी एवं काली मिर्च का उपयोग किया जाता है।
मिर्च खाने के नुकसान : mirch (hari/lal) khane se nuksan
- हरी मिर्च में विटामिन ‘सी’ अधिक होता है । फिरभी अधिक मात्रा में इसे खाना हानिकारक है ।
- पुरुषों की अपेक्षा (हमारे देश की) स्त्रियां मिर्चों का चटपटापन अधिक पसन्द करती हैं और यही कारण है कि उनकी दृष्टि निर्बलता होकर धुंधला दिखलाई देने लगता है और में योनि की खुजली तथा श्वेत प्रदर जैसे घातक रोग हो जाते हैं।
- पेचिश की भी शिकायत आमतौर पर हो जाती है।
- इसके घातक प्रभाव सर्वप्रथम आहार की उस नलिका पर पड़ते हैं जो आमाशय से प्रारम्भ होकर गुदा तक गई है।
- जीभ सर्वप्रथम इसकी तेजी से झनझनाकर इसके अधिक सेवन का विरोध प्रदर्शित करती है ।
- इसके अधिक सेवन से पाचन दुषित होता है, भूख कम लगती है, आमाशय निर्बलता को प्राप्त होता चला जाता है और कैन्सर होने के द्वार स्वत: खुल जाते हैं।
- इसके अधिक सेवन से आँखे चुधियाने लगती हैं, उनमें कीचड़ आने लगता है ।
- पपोटों में रोहे उत्पन्न हो जाते हैं, इसके सेवन के अभाव में दृष्टि निर्बल हो जाती है ।
- यकृत प्रभावित होकर विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं ।
- अन्डकोष, गुर्दे, आँखें, मल-मूत्र तक मिचों की अधिकता के प्रभाव से क्षीण हो जाते हैं। जिस दिन मिचों का सेवन अधिक हो जाता है उसी दिन मूत्र गहरा पीला और जलकर आने लगता है ।
- वीर्य पतला पड़ जाता है जिसके फलस्वरूप शीघ्रपतन रोग हो जाता है, स्वप्नदोष होने लगता है । मर्दाना शक्ति में कमी हो जाती है ।
- मिर्च का अधिक प्रयोग नवयुवकों के लिए भी घातक है । इसके सेवन से उनकी प्रजनेन्द्रियों में 13-उत्तेजना उत्पन्न हो जाती है जिसके फलस्वरूप नवयुवक विवश होकर हस्तमैथुन के अभ्यस्त हो जाते हैं ।
- मिर्चों के अधिक सेवन से ही नवयुवकों में प्रमेह विकार, स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, वीर्य का पतलापन आदि रोग प्रमुखता से पाए जाते हैं ।
किन्तु संसार में विधाता ने मात्र हानिप्रद (ही कोई भी वस्तु उत्पन्न नहीं की है, यदि किसी वस्तु से हानि है तो उससे लाभ भी अवश्य है । उनकी मात्रा कम व अधिक हो सकती है। लाभ-हानि एक ही सिक्के के दो पहलू है ।
मिर्च के उपयोग और फायदे : mirch ke fayde
1. हरी मिर्च के सेवन से मुँह की लार अधिक उत्पन्न होती है जो आमाशय के लिए पौष्टिक तथा वायु की निकासी करने वाली होती है । यह लार हृदय प्रतिकारक भी है तथा मल-मूत्र विसर्जक होती है।
2. जलवायु के परिवर्तन से आमाशय पर जो घातक प्रभाव पड़ते हैं मिच के सेवन से दूर हो जाते हैं।
3. मदिरापान की अधिकता में मिर्ची का सेवन शराब की इच्छा को कम करके मैदे की क्रिया को शक्ति प्रदान कर देता है ।
4. कुत्ता काटे जख्म पर मिर्ची को पानी में पीसकर लगाने से घाव का विष निकल जाता है, पीप नहीं पड़ती है, घाव शुष्क होकर शीघ्र अच्छा हो जाता है।
5. हैजा में लाल मिर्च के बीज निकालकर उसके छिलकों को बारीक पीसकर कपड़े से छानकर (इस चूर्ण को) शहद के साथ घोटकर चौथाई ग्राम की गोलियाँ बनाकर छाया में सुखाकर सुरक्षित रखलें । हैजे के रोगी को बगैर किसी अनुपनि के 1 गोली ऐसे ही (बिना चाय, पानी का सहारा लिए) निगलवा देने से जिस रोगी का शरीर ठण्डा पड़ गया हो, नाड़ी की गति डूबती जा रही हो, ठण्डा पसीना चल रहा हो, ठीक हो जाता है । मात्र 10 मिनट में ही ठण्डा पसीना बन्द होकर गरमी पैदा होने लगती है और नाड़ी नियमित रूप से चलने लगती है।
6. यदि दाँत में कोचर पड़ने से दात में बहुत अधिक दर्द हो रहा हो तथा किसी उपचार से लाभ प्राप्त न हो रहा हो तो एक अच्छी पकी हुई लाल मिर्च लेकर (उसके ऊपर का डंठल और भीतर के बीज निकालकर) शेष बचे भाग को पानी के साथ पीसकर कपड़े से रस निकाल कर (जिस ओर की दाढ़ दुख रही हो उसी ओर के) कान में 2-3 बूंद रस टपकाने से दर्द तुरन्त दूर हो जाता है।
नोट-रस टपकाने से कुछ देर तक कान में जलन होती है। यह जलन यदि जल्द ही शान्त न हो तो थोड़ी सी शक्कर पानी में डालका उसकी 2-3 बूंदें कान में टपकाने से जलन शान्त हो जाती है ।
7. त्वचा पर वर्षा ऋतु में होने वाली फुन्सियां, सूजन, शोथ व किसी प्रकार की खाज, खारिश, खुजली इत्यादि में लाल मिर्च डालकर पकाया हुआ सरसों का तैल लगाना उपयोगी है।
8. लाल मिर्च को पानी में पीसकर वृश्चिक-दंश पर लेप करने से तत्काल ही पीड़ा कम होकर रोगी को लाभ पहुँचता है।
9. मिर्च की मात्रा 1 ग्राम से भी कम पानी में महीन (बारीक) पीसकर कपड़े से छानकर इसका जल पिलाने से सन्निपात ज्वर की मूर्च्छा दूर हो जाती है।
यह नुस्खा फेफड़े, आमाशय और गरम स्वभाव के व्यक्तियों के लिए हानिकारक है । इसके अत्यधिक सेवन से बवासीर हो जाती है, गला खराब हो जाता है । जिगर में गर्मी बढ़ जाती है। आयुर्वेद मनीषियों के मतानुसार लाल मिर्च का अधिक सेवन से संखिया के विष की भांति घातक है। मूत्र में रुकावट पैदा करती है और खून में खराबी भी उत्पन्न करती है । इसके दर्पनाश हेतु घी, दूध व शहद आदि प्रयोग करें। लाल मिर्च की पूरक काली मिर्च है।
Read the English translation of this article here ☛ Top13 Uses and Health Benefits of Chilli (mirchi)
अस्वीकरण: इस लेख में उपलब्ध जानकारी का उद्देश्य केवल शैक्षिक है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं ग्रहण किया जाना चाहिए। कृपया किसी भी जड़ी बूटी, हर्बल उत्पाद या उपचार को आजमाने से पहले एक विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।
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