Last Updated on August 28, 2021 by admin
अगर को संस्कृत में अगरू’, ‘किमिज’, ‘विश्वधूपक’ और ‘कृष्णगरू’ भी कहते हैं। आसाम में पाए जाने वाले इसके वृक्ष काफी बड़े होते हैं। इससे ‘अगरबत्ती’ भी बनाई जाती है, क्योंकि इसकी छाल को जलाने पर इसमें से भीनी-भीनी सुगंध उठती है, जो वातावरण को शुद्ध कर देती है। इसकी छाल का उपयोग आयुर्वेदिक औषधियों में किया जात है। इसकी छाल का प्रयोग नेत्र रोग, कर्ण रोग, कफताश, वायु विकार, सर्दी लगने आदि रोगों में किया जाता है। इसकी छाल नरम होती है। इसका तेल भी मिल जाता है।
अगर वृक्ष का विभिन्न भाषाओं में नाम (Name of Eagle Wood in Different Languages)
Eagle Wood in –
- संस्कृत (Sanskrit) – स्वाद्वगरु।
- हिन्दी (Hindi) – अगर।
- गुजराती (Gujarati) – अगरू।
- मराठी (Marathi) – अगर।
- बंगाली (Bangali) – अगर।
- तेलगु (Telugu) – अगरू, चेट्टु।
- तामिल (Tamil) – अगर।
- मलयालम (Malayalam) – आकेल।
- कन्नड़ (kannada) – अगर।
- फ़ारसी (Farsi) – कसबेबवा।
- अरबी (Arbi) – ऊदगर की।
- अंग्रेजी (English) – Aloe, eagle wood।
- लैटिन (Latin) – सक्कीलेरिया एगेलोका।
अगर का वृक्ष कहां पाया या उगाया जाता है ? :
अगर के वृक्ष असम, बंगाल के दक्षिणी की ओर के उष्णकटिबन्ध प्रदेश, मालाबार व चीन की सीमा के निकटवर्ती क्षेत्रों के आसपास पर्वत पर अधिक मात्रा में होता है।
अगर का वृक्ष कैसा होता है :
- अगर का पेड़ – अगर का पेड़ बहुत विशाल और बड़ा होता है । यह वृक्ष बारहों मास सदा हरा-भरा रहता है।
- अगर की लकड़ी – अगर वृक्ष की लकड़ी नर्म और मुलायम होती है। उसके छिद्रों में एक सुगन्धित पदार्थ भरा रहता है जिसकी सुगन्ध से मन प्रसन्न होता है। अगर की लकड़ी को अगरबत्ती बनाने और शरीर पर मलने के काम में लाया जाता है।
- अगर का फूल – मार्च से अप्रैल मास में अगर में फूल आते हैं।
- अगर के बीज – अगर के बीज जुलाई में पकते हैं।
अगर वृक्ष का उपयोगी भाग (Beneficial Part of Eagle Wood in Hindi)
प्रयोज्य अङ्ग – लकड़ी, छाल, गोंद, तेल ।
अगर के औषधीय गुण (Agar ke Gun in Hindi)
इसकी छाल का स्वाद चरपरा, गर्म और तीक्ष्ण होता है। यह त्वचा के लिए हितकर, रुचिकर, कान्तिवर्द्धक, पित्त कारक और पित्त शामक और कुष्ठ आदि रोग को शांत करने वाली होती है।
- रस – कटु,तिक्त
- गुण – लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण
- वीर्य – उष्ण
- विपाक – कटु
- दोषकर्म – यह कर्ण व नेत्र रोगों को हरने वाला ,कफ नाशक, वातरक्त,आमवात तथा वाजिकारक है।
रोगोपचार में अगर के फायदे और उपयोग (Benefits & Uses of Eagle Wood in Hindi)
1). जोड़ों का दर्द – अगर की छाल का चूर्ण बनाकर उसे कपड़छन कर लें और सुबह-शाम एक चम्मच चूर्ण शहद के साथ मिलाकर सेवन करें। दर्द की जगह पर इसकी जड़ को पानी में घिसकर या इसका तेल लगाएँ। ( और पढ़े – जोड़ों का दर्द दूर करेंने के 17 घरेलू उपाय )
2). कफ या उल्टी आदि में – अगर की छाल का चूर्ण 20 ग्राम स्वच्छ जल के साथ सेवन करें।
3). सिर दर्द – अगर के तेल की मालिश माथे और बालों में करने से सिर दर्द ठीक होता और बाल भी झडने बंद हो जाते हैं। ( और पढ़े – सिर दर्द दूर करने के 41 घरेलू नुस्खे )
4). सर्दी लगने पर – अगर के तेल की 15-20 बूंदें स्वच्छ और शीतल जल में मिलाकर कपड़े की पट्टी को पानी से तर कर लें और उसे ज्वर पीड़ित व्यक्ति के माथे पर अदल-बदल कर रखते रहें। जल्द आराम मिल जाता है।
5). पाचन शक्ति – अगर के 5 ग्राम चूर्ण में 2 चम्मच शहद मिला दें और उसे सुबह-शाम चाटें। इससे पाचन-शक्ति बढ़ती है और हृदय को ताकत मिलती है। ( और पढ़े – पाचन शक्ति बढ़ाने के सरल उपाय )
6). चर्म रोग और कुष्ठ आदि रोग – अगर के चूर्ण को पानी में मिलाकर इसका लेप बना लें और रोग स्थल पर इसका लेप कर दें। लगातार लेप करने से चर्म रोग और कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है और त्वचा स्वस्थ हो जाती है।
7). फोड़े-फुंसी – यदि शरीर में किन्हीं अंगों पर फुंसी-फोड़े आदि हो जाएँ तो अगर के चूर्ण में नीम की छाल का चूर्ण और चमेली के पत्तों का चूर्ण 2:1 की रेशों से मिलाकर उसमें बड़ी इलायची का आधा भाग चूर्ण करके मिला दें और उसे जल डालकर सिल या खरल में पीस लें। फिर उसमें चौगुना तिल का तेल मिला लें और उस तेल का लेप फोड़े-फुंसियों पर करें। शीघ्र लाभ होगा।
8). पेट दर्द – अगर की लकड़ी को घिसकर गर्म करके लेप करने से पेट दर्द शांत हो जाता है।
9). शरीर की जलन – अगर की लकड़ी को घिसकर ठंडा लेप करने से शरीर की जलन शांत हो जाती है। ( और पढ़े – शरीर मे जलन दूर करने के घरेलू उपाय )
10). ज्वर – अगर के चूर्ण की 5 ग्राम फंकी पानी से सुबह-शाम लेने से ज्वर की पीड़ा शांत हो जाती है।
11). खाँसी – किसी भी तरह की खाँसी और साँस की तकलीफ में अगर की छाल का 5 ग्राम चूर्ण शहद के साथ लेने से खाँसी और साँस की तकलीफ दूर हो जाती है।
12). बुखार में पसीना आना – बेर की छाल के पानी में अगर, चंदन और नागकेसर के चूर्ण को मिलाकर गर्म करें । ठंडा होने पर इसका शरीर पर लेप करना चाहिए।
13). शरीर को सुगन्धित करना – अगर, केसर, लोध, कालीखस, कपूर, लोहबान और नागरमोथा की समान मात्रा लेकर बारीक पीस लें। इस चूर्ण में थोड़ा पानी मिला इसका लेप बना शरीर पर मलने से शरीर सुगन्धित हो जाता है।
14). वस्त्र सुगंधित करने के लिए – अगर का पानी वस्त्रों पर छिड़कना चाहिए।
15). दमा, श्वास रोग – अगर से बने देशी इत्र की 1 से 2 बूंद मात्रा पान में डालकर खिलाने से तमक श्वास के रोगी को रोग से छुटकारा मिल जाता है।
16). हिचकी का रोग – अगर की 2 ग्राम मात्रा सुबह-शाम शहद के साथ चाटने से हिचकी रोग नष्ट हो जाता है।
17). नपुंसकता – अगर के पुराने इत्र की 1 से 2 बूंद मात्रा पान में डालकर खाने से नपुंसकता दूर होती है। ( और पढ़े – नपुंसकता के कारण और उपचार )
18). प्यास अधिक लगना – यदी बुखार में रोगी को बार-बार प्यास लगती हो तो अगर का काढ़ा बनाकर पिलाने से अधीक प्यास लगने की परेशानी दूर हो जाती है ।
19). गठिया (जोड़ों का दर्द) – अगर की गोंद का लेप बना दर्द वाले स्थान पर इसका लेप करने से रोग में लाभ मिलता है ।
20). सिर का फोड़ा – अगर को पानी में घिसकर इसका लेप बना फोड़े पर लगाने से फोड़ा ठीक हो जाता है।
21). उरूस्तम्भ (जांघ का सुन्न होना) – अगर और सोंठ की समान मात्रा लेकर इसका काढ़ा बना लें । इस काढ़े को कुछ दिनों तक नियमित सेवन करने से जांघ तथा शरीर के अन्य अंगों का सुन्न होना दूर हो जाता है।
22). नाड़ी की जलन – अगर को पीसकर इसका लेप बना दर्द वाली जगह पर लेप करने से नाड़ी की जलन दूर हो जाती है ।
अगर के दुष्प्रभाव (Agar ke Nuksan in Hindi)
अगर की तासीर गर्म होने से यह पित्त प्रकृति वालों के लिए हानिकारक होता है।
दोषों को दूर करने के लिए : इसके दोषों को दूर करने के लिए – कपूर और गुलाब के फूल का उपयोग लाभप्रद है ।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)