गर्मी के दिनों में त्वचा और सौंदर्य रक्षा के उपाय – Garmiyon Mein Sundarta ke Tips in Hindi

Last Updated on October 5, 2020 by admin

शारीरिक सौंदर्य व आकर्षण को गर्मी के मौसम में कायम रखना दुष्कर है। गर्मियों में जो भीषण या गर्म हवा चलती है, उससे मनुष्य व्याकुल होकर अनेक तरह के छोटे-बड़े रोगों से ग्रसित हो जाता है। इसलिए गर्मी के मौसम में आहार-विहार में विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है। थोड़ी-सी असावधानी बरतने पर व्यक्ति अपने रूप-यौवन को चौपट कर डालता है।

गर्मी के मौसम में धूप ,उष्णता तथा गर्म प्रकृति वाले खाद्य पदार्थ, चटपटे, गरिष्ठ, नशीले तथा मादक पदार्थों के सेवन पर रोकथाम की विशेष आवश्यकता है। इनके स्थान पर अधिक मात्रा में ठंडी प्रकृति वाले भोज्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। चाय, कॉफी, मदिरा, भांग, बीड़ी-सिगरेट, तम्बाकू, पान-मसाला इत्यादि उत्तेजक पदार्थों से बचना चाहिए। नींबू जल, दही, मट्ठा या नमकीन लस्सी का अधिक प्रयोग कर सकते हैं। भोजन में हरी साग-सब्जियों का सेवन भरपूर मात्रा में करना चाहिए ।

गर्मियों में सौंदर्य रक्षा के लिए टिप्स (Summer Beauty Tips in Hindi)

इन बातों का करें पालन –

सूरज की किरणें जहां शरीर को निरोगी रखने में सहायक हैं, वहीं गर्मी के मौसम में इनका शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। अतः बाहर निकलने से पहले शरीर के उन अंगों को, जो धूप के सीधे प्रभाव में आते हैं जैसे मुख, गला, पीठ, गर्दन, हाथ-पैर व नेत्रों की सुरक्षा पर पर्याप्त ध्यान देना चाहिए। धूप से आने पर जब पसीना सूख जाए, तब हाथ-पैर, मुंह जरूर धोना चाहिए।

1. आखों का रखे विशेष ख्याल –

शरीर में बहुमूल्य रत्न आंखें हैं, इसलिए उनकी रक्षा जरूरी है। दिन भर में 3-4 बार ठंडे पानी से लगातार छींटे देकर नेत्र स्नान करें। सूर्योदय के 1 घंटे बाद आंखें बंद करके 1 मिनट तक बैठने से नेत्र ज्योति बढ़ती है। धूप से आंखों की सुरक्षा के लिए छतरी साथ में रखें। शरीर पर सूर्य की किरणों का प्रभाव पड़ने वाले अंगों को सूती-मोटे तौलिए या गमछे से ढंककर रखें।

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2. लू से बचाव –

प्याज की गांठ, कपूर या पोदीना में से कोई एक पदार्थ जेब में रखें क्योंकि इनमें लू के प्रभाव को कम करने की अद्भुत क्षमता होती है। आहार में सलाद के रूप में कच्चे प्याज का प्रयोग करें, जिससे मंदाग्नि, अपच आदि व्याधियां नहीं होतीं।

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3. सूर्य किरणों से त्वचा की रक्षा –

गर्मी के मौसम में सौंदर्य और आकर्षण को स्थिर रखने के लिए जहां तक हो सके, सूर्य की किरणों के सामने अधिक समय तक रहा ही न जाए।

4. अधीक से अधीक पानी पिए –

सूर्यकिरणों से शरीर में हुई जलीयांश में कमी की भरपाई अति आवश्यक है। अतः ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए, जिससे शीघ्र ही शरीर के अंदर पानी की पर्याप्त मात्रा का संतुलन बन सके। वैसे इन दिनों में वयस्क व्यक्ति को नित्यप्रति 4 से 5 लीटर तक पानी अवश्य पीना चाहिए क्योंकि शरीर के तापक्रम को स्थिर बनाए रखने में यह अहम भूमिका अदा करता है।

( और पढ़े – पानी कब कैसे व कितना पियें ? )

5. सौंदर्य के लिए फल –

इस ऋतु में शरीर को ठंडक और शीतलता प्रदान करने वाले फलों के रस का अधिक प्रयोग करना चाहिए। गर्मी के मौसम में आंवला, खरबूज, तरबूज, मौसंबी, शहतूत, संतरा, बेल, नींबू, फालसा, आम, लीची इत्यादि फल उपलब्ध होते हैं, जो गर्मी की उष्णता को शोषित कर शरीर में तरावट और शरीर के तापमान को स्थिर बनाए रखने में विशेष योगदान देते हैं।

6. पांव के तलवों की करें मालिश –

गर्मी के मौसम में हाथ तथा पांव के तलवों में प्याज के रस में देशी घी मिलाकर मालिश कर सकते हैं। साथ ही इसके रस का सेवन करने से शरीर में शीतलता की शीघ्र वृद्धि होती है क्योंकि प्याज शरीर की उष्णता को निष्कासित करता है और इसमें गर्मी को अवशोषित करने की चामत्कारिक शक्ति होती है।

7. आम से सौंदर्य में निखार –

ग्रीष्म ऋतु में कच्चे आम का रस विशेष लाभकारी है। इसके लिए कच्चे आम को भून या उबालकर, छिलकों को हटाकर गुठली रहित गूदे में पोदीने की पत्ती, काला नमक, काला जीरा, काली मिर्च सभी को एक साथ महीन पीस लें। फिर इसमें पर्याप्त मात्रा में पानी डालकर घोल तैयार करें। इसके बाद कपड़ा या छन्नी से छानकर गर्मी से व्याकुल व्यक्ति को सेवन कराएं। दिन में 2-3 बार 1-1 गिलास उक्त घोल पिलाने से व्यक्ति बहुत जल्दी ठीक हो जाता है। यह पेय पदार्थ गर्मियों में सभी उम्र के रोगी तथा निरोगी व्यक्ति प्रयोग कर सकते हैं। यह थकान तथा शिथिलता दूर कर शीतलता प्रदान करता है। साथ ही लू की अचूक और सर्वश्रेष्ठ औषधि भी है।

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8. अच्छी नींद के सौंदर्य लाभ –

स्वास्थ्य, सदाबहार सौंदर्य व आकर्षण बनाए रखने में अच्छी नींद बेहतर भूमिका प्रस्तुत करती है। ब्रह्म मुहूर्त में अवश्य जाग जाएं। रात्रि में जल्दी सोना और सबेरे शीघ्र उठना निरोगता का सूचक है। इससे बुद्धि, निरोगता, सौंदर्य एवं दीर्घायु की प्राप्ति होती है। 6-7 घंटे की नींद स्वास्थ्य, सौंदर्य, चिरयौवन और सदाबहार आकर्षण के लिए अति आवश्यक है। नींद पूरी न होने पर आंखों के चारों ओर काले घेरे पड़ जाते हैं तथा चेहरे की रौनक कम होने का भय रहता है। नींद की अवधि रात्रि 10 बजे से सबेरे 4 बजे तक बहुत ही उचित होती है।

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9. सुबह खाली पेट पानी पीने से सेहत व सौंदर्य –

त्वचा तथा तन के अंदरूनी शोधन के लिए पानी अत्यंत उपयोगी है। अतः ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। सुबह उठते ही सर्वप्रथम कुल्ला करके बिना शौचादि गए पानी पीना चाहिए। ऐसा नियमित रूप से करने से कई जटिल रोग, पित्त और कब्ज दूर होते हैं तथा शरीर स्वच्छ बना रहता है। सुबह उठते ही प्यास न भी लगी हो, तो भी पानी पीना चाहिए। सोकर उठने के बाद, चाहे दिन में सोएं या रात में, तुरंत पानी पीना चाहिए ।

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10. स्नान से सौंदर्य –

त्वचा की सफाई के लिए प्रतिदिन स्नान करना अति आवश्यक है। ओज और शक्ति की सुरक्षा के लिए भी प्रतिदिन ताजे ठंडे पानी से स्नान करें। यह स्वप्नदोष वालों के लिए ज्यादा ही फायदेमंद है। स्नान के बाद चेहरे पर कम से कम 8-10 बार छींटे मारें। इससे चेहरे के साथ पूरे शरीर में तरावट रहेगी।

11. सौंदर्य निखारता है योग –

सौंदर्य और आकर्षण को स्थिर रखने के लिए योगाभ्यास महत्वपूर्ण साधन है। योगाभ्यास से तनाव,चिंता, कुंठा, उदासी का निदान होता है। इससे झुर्रियां नहीं पड़तीं और शरीर सुगठित व आरोग्यमय रहता है।
शौच क्रिया से निवृत्त होकर कम से कम 20 मिनट व्यायाम करें। दौड़ना, तैरना, भ्रमण, सूर्य नमस्कार, योगासन, प्राणायाम में से किसी भी एक का नियमित अभ्यास अवश्य करना चाहिए।

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12. नियमित दिनचर्या –

दिनचर्या को नियमित रखें। अनियमित दिनचर्या स्वास्थ्य, सौंदर्य और आकर्षण की शत्रु है। निरोगी काया, सौंदर्य और यौवन को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए ऐसी दिनचर्या और जीवनशैली की आवश्यकता है, जो तन को पूर्ण रूप से खुशहाल एवं सुखदायी रखे।

13. मालिश से बढ़ता है शारीरिक सौंदर्य –

नियमित रूप से समस्त शरीर पर सरसों या तिल के तेल की मालिश करके स्नान करें। इससे मांसपेशियां मजबूत होती हैं। शरीर में तेल की मालिश से वृद्धावस्था जल्दी नहीं आती।

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जीवन में स्वच्छता का पालन करें एवं सदैव खुशहाल रहें। रोजाना हंसने का अभ्यास करें। हंसना अच्छे स्वास्थ्य, सौंदर्य व यौवन के लिए बहुत जरूरी है। भोजन के बाद कुल्ला करके हाथों को मुंह और नेत्रों पर मलने से चेहरा सुंदर और नेत्र ज्योति में वृद्धि होती है। मूत्र-व्याधियों से बचाव के लिए भोजन के बाद मूत्र त्याग जरूर करें। ब्रह्मचर्य (संयम) से भी सौंदर्य और आकर्षण को स्थिर रखा जा सकता है।

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