Last Updated on September 8, 2024 by admin
खिरनी क्या है ? : What is Khirni in Hindi
Khirni kya hai
खिरनी बहुत ही स्वादिष्ट मीठा फल है । इसका फल नीम के फलों के समान होता हैं। इसके फल गर्म तासीर के होते है और इसमें दूध भी होता है।
खिरनी मधुर होने से तरोताजा और सूखी दोनों रूपों में खाई जाती है। ताजा खिरनियों को दो दिनों तक रहने दें। फिर खाने से इसके दूध का शोषण होकर यह स्वादिष्ट बनती हैं । ‘चरक’ और ‘सुश्रुत’ ने भी आयुर्वेद के आर्ष ग्रन्थों में इसके गुणों का उल्लेख किया है । खिरनी पौष्टिक है और हृदय के लिए लाभप्रद है, कुष्ठ-रोग पर भी यह उपयोगी है। खिरनी खाने से गर्मी कम लगती है। इसके थोड़े से फल खाने से भूख सन्तुष्ट हो जाती है। खिरनी स्थूलतावर्धक है। खिरनी खाने से वजन बढ़ता है। खिरनी के पचने में दुगुना समय लगता है।
खिरनी का पेड़ कैसा होता है ? :
खिरनी के पेड़ महुआ वृक्ष के समान होते हैं। खिरनी के वृक्ष पर सितम्बर से दिसम्बर माह में फूल लगते हैं और अप्रैल से जून माह में फल लगते हैं । वर्षा आने पर इसका मौसम पूरा होता है। बरसात के छींटे पड़ते ही इसके फल में कीड़े पड़ जाते हैं । खिरनी का वृक्ष अनेक वर्षों तक टिका रहता है। यहाँ तक कि हजार वर्ष का भी देखने को मिलता है।
खिरनी का विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Khirni in Different Languages
khirni in –
- संस्कृत (Sanskrit) – राजादनी, राजादन, राजन्या, क्षीरिका
- हिन्दी (Hindi) – क्षीरी खिरनी, खिनीं, खिन्नी
- कन्नड़ (kannada) – खिरणीमर
- गुजराती (Gujarati) – राणकोकरी , रायणी
- बंगाली (Bangali) – खीरखेजूर
- तामिल (Tamil) – पाला ,पलै
- तेलगु (Telugu) – पालमानु , पाला, मान्जीपला
- मराठी (Marathi) – खिरणी , रांजन
- मलयालम (Malayalam) – करिनी
खिरनी का पेड़ कहां पाया या उगाया जाता है ? : Where is Khirni Tree Found or Grown?
खिरनी भारत में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु आदि स्थानों में खिरनी के वृक्ष होते हैं। श्रीलंका में भी इसके वृक्ष होते हैं। गुजरात की खिरनी अधिक मधुर होती है ।
खिरनी की तासीर :
खिरनी गर्म होती है।
खिरनी के पेड़ का उपयोगी भाग : Beneficial Part of Khirni Tree in Hindi
फल ,बीज ,पत्ते ,लकड़ी
खिरनी के औषधीय गुण : Khirni ke Gun in Hindi
khirni ke aushadhi gun
- खिरनी वीर्य तथा बल बढ़ाने वाली, स्निग्ध और भारी है।
- यह तृषा, मूर्छा, मद, भ्रान्ति, क्षय, त्रिदोष और रक्त विकार मिटाती है।
- खिरनी की कुकड़ियाँ उष्ण, पौष्टिक और अधिक मात्रा में खाने पर दस्त लाती हैं ।
- खिरनी रस में मधुर, विपाक में अम्ल, शीतवीर्य और रुचिकर होती है।
- यह वातशामक, पित्तशामक, गुरु, तृप्तिकर, वृष्य, बृहण, हृद्य, स्निग्ध व प्रमेहनाशक है।
- खिरनी के बीजों का तेल-स्नेहन, कामोत्तेजक व पौष्टिक है।
खिरनी खाने के फायदे और औषधीय उपयोग : Benefits and Uses of Khirni in Hindi
khirni khane ke fayde hindi me
1). दाँतों का दर्द – खिरनी का दूध दुखती दाढ़ पर लगाने से दाँतों का दर्द मिटता है। ( और पढ़े – दाँत दर्द के 51 चमत्कारी घरेलू उपचार )
2). रक्तप्रदर – खिरनी के पत्ते दूध में पीसकर, कल्क बनाकर 1 तोला घी में सेंककर सुबह शाम खाने से रक्तपित्त एवं स्त्रियों का रक्तप्रदर, पित्तप्रदर रोग मिट जाता है।
3). रक्तपित्त – खिरनी के पत्तों और कैथ के पत्तों को पीसकर उसका कल्क बनाकर उसे घी में सेंककर देने से प्रदर, वातपित्त और रक्तपित्त में लाभ होता है।
4). धातुस्राव – खिरनी के पत्तों का रस स्त्रियों के धातुस्राव में लाभप्रद है।
5). चेहरे के काले दाग-धब्बे – खिरनी के पत्तों को दूध में पीसकर, उसका कल्क बनाकर रात को मुँह पर बाँधने से थोड़े ही दिनों में मुँह पर के काले दाग दूर हो जाते हैं। ( और पढ़े – मुंहासे के दाग धब्बे हटाने के घरेलू उपाय )
6). मिर्गी – खिरनी के वृक्ष के तने पर उत्पन्न गाँठों को आग पर सेंक कर या पुटपाक विधि से उसका रस निकालकर उसमें शहद और पीपर का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम पीने से मिर्गी का रोग 1-2 महीने में ठीक हो जाता है।
7). स्त्री रोग – खिरनी के बीज का गर्भ पीसकर, निम्बफल जितनी पोटली बनाकर, उससे एक लम्बी डोर बाँधकर, डोर का एक छोर बाहर की ओर लटकता रखकर उस पोटली को योनिमार्ग में कुछ दिनों तक रखने से बीजाशय अवरुद्ध होकर बन्द पड़ा स्त्रियों का मासिकधर्म पुनः चालू होता है। ( और पढ़े – बंद माहवारी (पीरियड) के घरेलू उपाय )
8). पेशाब का बार बार आना – नित्य प्रातः काल खाली पेट खिरनी खाने से पेशाब का बार-बार आना बंद हो जाता है।
9). शक्ति वर्धक खिरनी पाक – 1 किलो अच्छी पकी हुई खिरनी को बीज सहित कूट-मसल डालें। फिर उसमें 250 ग्राम घी डालकर आग पर ठीक से सेंक लें। इसके बाद उसमें सफेद मूसली, काली मूसली, कौंचा बीज, गोखरू, बारीक लाल गोंदनी की कुकड़ी, सोंठ, कालीमिर्च, तगर, जायफल, जावित्री, इलायची, दालचीनी और लौंग-यह सब चीजें 6-6 ग्राम लेकर उनका चूर्ण बनाइये । फिर 120 ग्राम मिश्री या सक्कर की चासनी बनाकर उसमें यह चूर्ण डालकर पाक तैयार कर लें।
सेवन विधि – यह पाक प्रतिदिन डेढ़-दो तोला लेने से शरीर की शक्ति और वीर्य की वृद्धि करता है, मस्तिष्क पुष्ट होता है तथा कमर का दर्द दूर होता है। ( और पढ़े – बलवर्धक चमत्कारी नुस्खे )
10). बिच्छू का जहर – खिरनी के बीज को पानी में घिसकर बिच्छू के डंक पर लगाने से विष मिटता है।
खिरनी के दुष्प्रभाव और सावधानियाँ : Khirni Side Effects in Hindi
आयुर्वेद मतानुसार, खिरनी के ये नुकसान भी हो सकते है –
- खिरनी का अधिक मात्रा में सेवन गठिया रोग को जन्म दे सकता है।
- खिरनी को धोकर खाएँ । बिना धोए खाने से मुँह चिकना हो जाता है ।
- कभी-कभी खिरनी खाने से सांसत (घबराहट) होती है । इसके निवारण के लिए छाछ में नमक डालकर पिलाई जाती है।
- अपक्व या जिसे दबाने पर दूध निकले इस प्रकार की ताजा खिरनी कसैली होती है।
- जीभ पर उसके रस की तह जमा हो जाए, और ऊपर से पानी पी लिया जाए तो छाती और हृदय में विशेष प्रकार की घबराहट उत्पन्न होती है। ऐसा होने पर नमक की डली मुँह में रखकर 2-3 मिनट तक चूस लें। इससे सांसत यानि घबराहट दूर हो जाती है।
अस्वीकरण: इस लेख में उपलब्ध जानकारी का उद्देश्य केवल शैक्षिक है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं ग्रहण किया जाना चाहिए। कृपया किसी भी जड़ी बूटी, हर्बल उत्पाद या उपचार को आजमाने से पहले एक विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।