Last Updated on October 24, 2020 by admin
मधुमेह का कारण है रक्त में ‘शर्करा’ के स्तर में वृद्धि होना। इस वृद्धि के विभिन्न कारण हैं, किंतु परिणाम एक ही है। हिन्दुस्थान में हर 5 व्यक्ति में से 1 व्यक्ति मधुमेह का शिकार होता है। हिन्दुस्थान में इस रोग वृद्धि के मुख्य कारण हैं बैठक शैली का कार्य करना और जीवन में व्यायाम का अभाव।
इस रोग के और कारण भी हैं जैसे- तनाव-चिंता, खान-पान की गलत आदतें, व्यसन, व्यायाम का अभाव और अनियमित जीवनशैली। अस्वस्थ जीवनशैली की वजह से इंसान के जीवन में भावनाओं का असंतुलन हो जाता है। ऐसे में केवल दवाइयों से मधुमेह पर नियंत्रण नहीं हो पाता है। इसके लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना ही मधुमेह का मुख्य उपचार है।
सच तो यह है कि चालीस से पचास प्रतिशत मधुमेही व्यायाम और योग की सहायता से इस पर काबू पा सकते हैं। आहार में बदलाव और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर ही मधुमेही अपनी बीमारी पर काबू पा सकता है। जीवनशैली बदलने से मधुमेह पूर्ण प्रभावहीन नहीं हो सकता लेकिन इसे हम आहार-विहार-व्यायाम इन तीन सूत्रों की सहायता से काबू में ज़रूर ला सकते हैं।
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मधुमेह रोकथाम में योग की भूमिका (Role of Yoga in Diabetes in Hindi)
योग की सहायता से हम मधुमेह को काबू में रखने में सफल हो सकते हैं और जीवन को सही तरह से जी सकते हैं :
- योगाभ्यास से शरीर का आकार सही अनुपात में रहता है, शरीर में लचीलापन आता है और स्वस्थता का एहसास भी होता है।
- ज़्यादातर योग और व्यायाम का परिणाम रक्ताभिसरण (Blood circulation) में सुधार लाने के लिए होता है। योगाभ्यास से शरीर की रक्तनलिकाएँ लचीली हो जाती हैं और उनमें ब्लॉकेज (blockage) नहीं होता।
- कुछ समय तक नियमित योगाभ्यास करने के बाद आप अपने व्यायाम में कठिन व्यायामों का समावेश भी कर सकते हैं।
- योगाभ्यास से सौम्यता से शरीर की ग्रंथियों और अवयवों पर दबाव पड़ता है जिसका परिणाम बहुत फायदेमंद होता है।
- योगा करने से वात, पित्त और कफ ये तीनों दोष कम होते हैं।
- मन को स्थिर और शांत करने का काम योगा करता है।
- मधुमेही इंसान एक बार योगासन करना शुरू कर दे तो उनके शरीर के आंतरिक कोषों में बदलने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। आंतरिक कोषों को मज़बूत बनाने की प्रक्रिया को रास्ता मिलता है।
- शारीरिक कसरत, आसन, प्राणायाम, लंबी साँस और रिलैक्सेशन द्वारा आंतरिक अवयव की चेतना की वृद्धि होती है।
- इंसान का बल और सहनशक्ति बढ़ती है।
- योगासन, प्राणायाम और शवासन करने से अंर्तस्रावी ग्रंथियों पर असर होता है।
- योगा ज़्यादा युरिन को कम कर देता है।
श्वासोच्छवास पद्धति :
- योगा की श्वासोच्छवास तकनीक की विशेष सहायता होती है क्योंकि इसमें एक बात पर विशेष ध्यान दिया जाता है वह है शांत, लयबद्ध श्वासोच्छ्वास।
- शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में यह पद्धति सहायक होती है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि, खतरनाक तनावों से राहत और शक्ति को बचाने में इस पद्धति का उपयोग होता है। जीवन जीने के लिए जितनी शक्ति आवश्यक है उतनी शक्ति इस श्वासोच्छवास पद्धति (breathing pattern) से प्राप्त होती है।
तनाव को खत्म करना / कम करना :
- योग (Relaxation) की ट्रेनिंग से मानसिक और शारीरिक तनाव कम करके इस बात का अभ्यास किया जाता है कि किस तरह से आत्मविश्वास द्वारा मांसपेशियों को आराम दिलाया जाए। मन पर अधिकार प्राप्त होता है योग से खून की शर्करा का स्तर सामान्य रहने में योगदान मिलता है।
- योग से वज़न कम होता है और सही अनुपात में रहता है। योग एकाग्रता और आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक होता है ताकि आप वज़न कम करने के लक्ष्य पर कायम रह पाएँ।
- योग से मीठा खाने और जंक फूड खाने की पाबंदी पर नियंत्रण प्राप्त होता है।
मधुमेह में व्यायाम और योगासन (Exercise in Diabetes in Hindi)
व्यायाम से खून में स्थित शर्करा कम होती है। नियमित रूप से किया गया व्यायाम मधुमेह को नियंत्रण में रख सकता है। व्यायाम के कारण हृदय अधिक कार्यक्षम बनता है और मन:स्थिति में भी काफी सुधार होता है। व्यायाम करने से पूर्व आपको डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए ताकि वे आपको बता सकें कि किस प्रकार के व्यायाम आपको कितने समय तक करने हैं।
योगासन और प्राणायाम की विधियों द्वारा मधुमेह नियंत्रण में रह सकता है। मधुमेहियों के लिए नीचे बताए गए आसन उपयोगी हैं :
उड्डीयान बंध, त्रिकोणासन, योगमुद्रा, धनुरासन, पश्चिमोत्तासन, नौकासन, सर्वांगासन, मत्स्यासन,
शवासन, मण्डूकासन, अर्धम्त्स्येंद्रासन इत्यादि।
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मधुमेह के लिए प्राणायाम (Pranayama for Diabetes in Hindi)
प्राणायाम में मधुमेहियों के लिए उज्जाई और भस्त्रिका प्राणायाम उपयोगी है।
( और पढ़े – प्राणायाम के प्रकार ,विधि और उनके लाभ )
मधुमेह का शिकार होने का तात्पर्य यह नहीं है कि मधुमेही मानसिक तौर पर भी रोगी बने। फिज़ीशियन की सलाह और अपनी जीवनशैली में बदलाव लाने से आपका जीवन पूर्ण आनंदित, उत्साहपूर्ण और स्वस्थ बन सकता है, इसमें कोई शक नहीं है।
मीठा खाने के लिए नहीं मिला तो क्या हुआ ! जीवन में और भी अनेक स्वादिष्ट स्वाद लेने के मौके मिलते हैं तो क्यों मीठे के पीछे उन स्वादों को आप खो दें। कड़वा है तो क्या हुआ, कड़वे से ही मीठे का महत्त्व है। नकारात्मक नहीं सकारात्मक राह चुनें। मीठे के पीछे बरबाद होने से अच्छा है कड़वे से स्वस्थ हों । इसी को जीवन का नियम बनाएँ।