Pauonia Odorata in Hindi | नेत्रवाला के फायदे ,गुण ,उपयोग और दुष्प्रभाव

Last Updated on March 7, 2020 by admin

नेत्रवाला क्या है ? : What is Pauonia Odorata in Hindi

नेत्रवाला जिसे सुगन्ध वाला के नाम से भी जाना जाता है एक बहुत ही गुणकारी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी हैं। इसके पौधा भारत के पश्चिमोत्तर प्रदेश (विशेषत: उत्तर प्रदेश के बान्दा जिले) में उत्पन्न होते हैं। इसके पौधे सीधे एवं सुगन्धित होते हैं।

नेत्रवाला का पौधा कैसा होता है ? :

नेत्रवाला के पत्ते – इसके पत्र 2-3 इंच लम्बे चौड़े, गोलाकार हृदय की आकृति के प्राय: कपास या कंघी (अतिबला) के पत्तों जैसे तीन से पांच भागों में विभक्त होते हैं । जिनका प्रत्येक भाग त्रिकोणाकार, कंगूरेदार और आगे से नुकीला होता है। पत्रवृन्त लम्बा होता है।

नेत्रवाला के फूल – नेत्रवाला के पुष्प शाखाओं के अन्त में गुच्छों में या पत्रकोण से निकली हुयी शलाकाओं पर लगते हैं। ये पुष्प हल्के गुलाबी रंग के होते हैं।

नेत्रवाला के फल – नेत्रवाला के फल छोटे-छोटे चने जैसे होते हैं।

नेत्रवाला के बीज – इसके बीज धूसर वर्ण के गन्धहीन तथा तैलयुक्त होते हैं। अक्टूबर से जनवरी तक पौधे पर फूल-फल आते हैं।

कुल – कार्पासकुल (मालवेसी / Malvaceae)

नेत्रवाला का विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Netrwala in Different Languages

Netrwala in (Pauonia Odorata) –

  • संस्कृत (Sanskrit) – बाल, ह्रीबेर, उदीच्य
  • हिन्दी (Hindi) – नेत्रवाला, सुगन्ध वाला
  • गुजराती (Gujarati) – बालों, कालो बालो
  • मराठी (Marathi) – काला बाला
  • बंगाली (Bangali) – बाला
  • लैटिन (Latin) – पावोनिया ओडारोटा (Pauonia Odorata)

नेत्रवाला का उपयोगी भाग : Useful Parts of Pauonia Odorata in Hindi

इसका प्रयोज्यांङ्ग मूल है जो अधिकाधिक 1/4 इंच व्यास की चिकनी, ऐंठी हुसी सी भूरे रंग की होती है। यह 6-8 इंच लम्बी होती है। जिस पर कई उपमूल लगे रहते हैं। इसमें कस्तूरी के समान भीनी गन्ध आती है। इसके प्रत्येक उपमूल में काले रंग का सुगन्धित कन्द लगा हुआ होता है। मूल की छाल पीले धूसर वर्ण की तथा अन्दर का काष्ठ रक्ताभ पीत होता

नेत्रवाला के औषधीय गुण : Netrwala ke Gun in Hindi

नेत्रवाला तीखा, कडुवा, रूक्ष, सुगन्धित, मीठा,शीतल, उत्तेजक, पाचक, स्तम्भक, कफ-पित्त को शान्त करने वाला होता है। इसके अतिरिक्त यह आंव, अतिसार, पित्त का बुखार, उबकाई, अरुचि, हृदय रोग, पित्त के कारण उत्पन्न रक्तविकार, उल्टी, घाव की सूजन, पेट दर्द, जलन, भ्रम, प्यास,विष आदि में लाभकारी होता है।

गुण – लघु, रुक्ष,
रस – मधुर ,तिक्त,कटु,
प्रधानकर्म – शीतवीर्य युक्त एवं कफ पित्त शामक है।

नेत्रवाला के फायदे और उपयोग : Uses and Benefits of Netrwala in Hindi

बुखार (ज्वर) में नेत्रवाला का उपयोग फायदेमंद

  • ज्वर का रोगी जब अधिक तृष्णा, दाह और अरति ( बेचैनी) का अनुभव करता है तो उसे षडंग पानीय पिलाया जाता है उसमें नेत्रवाला, नागरमोथा, खस, पित्तपापड़ा, चन्दन और सोंठ होते हैं। इसके सेवन से रोगी को लाभ मिलता है। इसके सभी द्रव्य चार चार ग्राम लेकर उन्हें चार लीटर पानी में पकाना चाहिये। जल आधा पानी शेष रहे तब उतार छानकर, ठंडा हो जाने पर रोगी को थोड़ा थोड़ा पिलाना चाहिए। बालकों के ज्वर अतिसार दाह में अवस्थानुसार 250 मिग्रा से एक ग्राम तक इसके चूर्ण को शक्कर व मधु के साथ मिलाकर चटाना चाहिये।
  • दाह युक्त ज्वर में नेत्रवाला, आमला, चन्दन (रक्त या श्वेत) तथा पद्मकाष्ठ के चूर्ण को पानी में पीसकर हल्का लेप करना चाहिये।

( और पढ़े – बुखार के कारण और उपचार )

मूत्रदाह मिटाए नेत्रवाला का उपयोग

नेत्रवाला के क्वाथ में मिश्री मिलाकर पीने से मूत्रदाह दूर होता है।

रक्तपित्त में नेत्रवाला के इस्तेमाल से फायदा

नेत्रवाला चूर्ण और चन्दन चूर्ण में मिश्री मिलाकर चावलों के धोवन के साथ पिलावें।

उलटी (छर्दि) में नेत्रवाला के प्रयोग से लाभ

चावलों के धोवन में नेत्रवाला चूर्ण एवं स्वर्णगैरिक मिलाकर छानकर पिलाने से छर्दि में लाभ होता है।

सिर की पीड़ा (शिरःशूल) में आराम दिलाए नेत्रवाला का सेवन

पित्तजन्य शिरःशूल में नेत्रवाला चूर्ण का सेवन करने के साथ इस चूर्ण को पानी में मिश्रित कर लेप भी करना चाहिये।

( और पढ़े – सिर दर्द के 41 घरेलू नुस्खे )

नेत्रवाला के इस्तेमाल से दस्त (अतिसार) में लाभ

  • नेत्रवाला और धनियां दोनों समान मात्रा में लेकर इन्हें जल के साथ पीसकर छानकर पिलाने से अतिसार, तृष्णा, दाह, शूल और (हिचकी) हिक्का का शमन होकर आम का पाचन होता है।
  • बिल्वगिरी और नेत्रवाला चूर्ण 2-2 ग्राम देने से आमातिसार में लाभ होता है। अदरक के साथ इसका काढ़ा (फाण्ट) बनाकर पिलाने से भी उत्तम लाभ होता है।

संग्रहणी में लाभकारी है नेत्रवाला का प्रयोग

संग्रहणी में नेत्रवाला का चतुर्थांश क्वाथ प्रतिदिन पिलाना चाहिये। पथ्य में अरहर की दाल और चावल की खिचड़ी खिलानी चाहिये।

विसर्प रोग में नेत्रवाला से फायदा

विसर्प रोग, जिसमें सारे शरीर में बहुत जलन होती है, कभी कभी सारा शरीर लाल रंग का हो जाता है और कुष्ठ की भाँति गलने भी लगता है। इस रोग में नेत्रवाला के चूर्ण को घृत में मिलाकर लेप करना चाहिए।

श्वेत कुष्ठ में नेत्रवाला का उपयोग लाभदायक

इसके अन्तर्धूम दग्ध करने से जो काली राख होती है उस राख को बहेड़े के तैल में मिश्रित लेप करना चाहिये।

बेहोशी (मूर्छा) दूर करने में नेत्रवाला फायदेमंद

नेत्रवाला, नागकेशर और बेर की गुठली की मींगी समान लेकर कालीमिर्च 10 नग के साथ घोटकर ठण्डे पानी में मिलाकर एक संजीवनी वटी के साथ देने से लाभ होता है।

नेत्रवाला के दुष्प्रभाव : Netrwala ke Nuksan in Hindi

नेत्रवाला उन व्यक्तियों के लिए सुरक्षित है जो इसका सेवन चिकित्सक या सम्बंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार करते हैं।

(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)

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