Shikakai in Hindi शिकाकाई के उपयोग गुण फायदे और दुष्प्रभाव

Last Updated on January 18, 2020 by admin

शिकाकाई क्या है ? : What is Shikakai in Hindi

यह एक बड़ी और कांटेदार झाड़ी होती है। इसकी डालियां भूरी और सफेद धब्बेंवाली होती है। इसकी फली लम्बी होती है। उसकी रुचि अरीठे के समान होती है। मगर कुछ अधिक खट्टी और अधिक तीक्ष्ण होती है। इसके पत्ते खट्टे और रोचक होते हैं। इसकी एक एक फली में 6 से 10 तक बीज रहते हैं। इसकी फलियों में साबुन के काम में आनेवाले झाग 11 प्रतिशत रहते हैं।

कुल – Fabaceae

उत्पत्ति स्थान – कोंकण तथा भारत के अन्य कई जंगलों में यह पाया जाता है।

वानस्पतिक परिचय –

  • उत्तर भारत तथा हिमालय में उत्पन्न होने वाले वृक्ष गुणों की दृष्टि से दक्षिण भारत में होने वाले वृक्षों की अपेक्षा श्रेष्ठ होते हैं।
  • इसके गुल्म (झाड़ी) प्रायः कम मिलते हैं किन्तु सभी स्थानों पर पाये जाते हैं। अत्यन्त कांटेदार एवं लम्बी, आरोही शाखाओं से युक्त रहता है।

उपशाखायें – हल्की श्वेताभ और टेढ़े,मजबूत कांटो की पांच कतारों से युक्त।

शिकाकाई के पत्ते – इसके पत्रक खट्टे होते हैं।

शिकाकाई के फूल – पीताभ, श्वेत या गुलाबी रंग के लगभग 1/2 इंच व्यास में होते हैं।

शिकाकाई की फली – 3-4 इंच लम्बी, एक इंच चौड़ी, मोटी, मांसल, चोंचदार एवं बीजों के बीच-बीच संधियों पर संकुचित होती है। इसका स्वाद रीठे के समान परन्तु अधिक खट्टा ,कम कड़वा तथा अधिक तीता रहता है। इसे पानी में भिगोकर मसलने से रीठे के समान झाग निकलता है। सिर के बाल एवं रेशमी वस्त्र धोने के लिये इसका उपयोग करते हैं।

शिकाकाई का विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Shikakai in Different Languages

Shikakai in –

हिन्दी (Hindi) – चिकाकाई, शिकाकाई, कोची, रीठा।
संस्कृत (Sanskrit) – सप्तला, सातला।
बंगाली (Bangali) – बनरीठा।
तामिल (Tamil) – शीकाय, शीकाई।
तेलगु (Telugu) – चीकाय, गोगु।
कन्नड़ (Kannada) – सीकाई ।
मलयालम (Malayalam) – चीया काई।
✦ कोकण (Kokan) – शिकायी।
गुजराती (Gujarati) – रीठा, चिकाकाई।
मराठी (Marathi) – शिकेकाई
लैटिन (Latin) – ऐकेसिया कोन्सीना (Acacia Concinna)

शिकाकाई के औषधीय गुण : Shikakai ke Gun in Hindi

इसकी फलियां कड़वी, चरपरी, शीतल, पचने में हलकी, विरेचक, मिनाक्षक, प्रवाहिका को रोकनेवाली और बाधा नाशक होती है । ये भूख को बढ़ाती हैं। वात को दूर करती है बरफ, पित्त, दाह, रक्तरोग, धवलरोग, उदररोग, बवासीर तथा अग्नि विसर्प रोगों में लाभ पहुंचाती है । यह हृदय के लिये पौष्टिक वस्तु है । इसके पत्ते विष विकार को दूर करते हैं और विरेचक होते हैं।

शातला – शातं सुखं लाति ददाति इति ‘ला हदाने’
यह शोथ (सूजन) आदि नष्ट करके रोगी को सुख प्रदान करता है।

सप्तला – सप्त प्रकारान् लाति गृहाति।
यह सात प्रकार से ग्रहण की जाती है।

भूरिफेना – भूरयः फेनाः यस्याः सा।
इसका फेन खूब होता है।

चर्मकषा – कर्षात हिनस्ति इति कषा,
चर्म कषति रति चर्मकषा।
यह त्वचा का घर्षण करता है तथा त्वचा के रोगों को नष्ट करता है।

रस – तिक्त, कषाय
गुण – लघु
वीर्य – शीत
विपाक – कटु
दोषघ्नता – कफ, पित्त।

प्रयोज्यांग अंग :

फली (फल), पत्र

सेवन की मात्रा :

फली का फांट – 20 से 40 मिली.
पत्र चूर्ण – 4 ग्राम।

शिकाकाई का रासायनिक विश्लेषण : Shikakai Chemical Constituents

इसकी फली में –

  • स्पोनिन(Saponin) -11.2%
  • राल – 1%
  • मेलिक अम्ल -12.75 %
  • ग्लूकोज – 13.9%
  • गोंद व रंजक द्रव्य – 21.5%
  • तन्तु – 22%
  • राख – 3.75%

शिकाकाई का उपयोग : Uses of Shikakai in Hindi

  1. शिकाकाई की फली उत्तेजक, कफनाशक, वामक और मृदुविरेचक होती है।
  2. शरीर के ऊपर इसकी क्रिया अरीठे के समान होती है।
  3. इससे नाड़ी की गति कम होती है और पेशाब की मात्रा बड़ती हैं।
  4. इसके पत्ते खट्टे, यकृत को उत्तेजित करनेवाले और विरेचक होते हैं। इमली के बदले में इनका उपयोग किया जाता है।
  5. प्राचीन कफ रोगों में कफ को पतला करने के लिये और श्वास की रुकावट को कम शरने के लिये 20 गुने पानी में इसकी फांट (पानी में फेंटकर) बनाकर एक से दो औस (1 औंस = 28.349 ग्राम) तक की मात्रा में दी जाती है। इस फांट से दस्त साफ होता है।
  6. इसके पत्तों को काली मिरच के साथ देने से विरेचन होता है । और कभी-कभी वमन भी होती है।
  7. इससे यकृत की क्रिया सुधरकर पित्त दस्त की राह से बाहर निकल जाता है ।तेलंग प्रांत में इस रीति से इसके पत्तों का बहुत उपयोग किया जाता है ।
  8. यकृत की विकृतिवाले को भोजन में खटाई खाने के लिये इमली की जगह शिकाकाई के पत्ते देते हैं। एवं लालमिर्च के स्थान पर कालीमिर्च का उपयोग किया जाता है।
  9. इसके फली के क्वाथ से बाल धोने से जूंए आदि मरते हैं। रुसी नष्ट होती है तथा केश वृद्धि होती है।
  10. इसके क्वाथ में बत्ती डुबोकर बच्चों के गुदा में डालने से पखाना होकर गांठ निकल जाती है।

शिकाकाई के फायदे : Benefits of Shikakai in Hindi

बालों को लंबा करने मे शिकाकाई का उपयोग फायदेमंद (Shikakai Benefits for Hair)

इसकी फलियों के काढ़े से सिर धोने से सिर की जुएं मर जाती हैं और बाल लम्बे हो जाते हैं।

( और पढ़े – बालों को टूटने व झड़ने से रोकने के घरेलू उपाय )

उदर रोग में शिकाकाई के प्रयोग से लाभ

दूष्योदर (एक प्रकार का उदररोग) में रोगी को पहले अन्य चिकित्सा का निषेध करके शिकाकाई और शंखिनी (आंखफोड़ी) के स्वरस से सिद्ध घृत से रेचन देना चाहिये।-(सुश्रुत)

वात रोगों में आराम दिलाए शिकाकाई का सेवन

शिकाकाई में सिद्ध घृत दोषहर होने से इसका सेवन करना चाहिये।-(चरक)

( और पढ़े – वात नाशक 50 आयुर्वेदिक उपाय )

श्वासावरोध मिटाए शिकाकाई का उपयोग

इसकी फलियों का फांट 2 से 4 तोले (1 तोला = 12 ग्राम ) की मात्रा में पुराने कफ विकारों में कफ पतला करने के लिये एवं श्वासावरोध (साँस रोकना) कम करने के लिए उपयोग करते हैं। इससे पाखाना साफ होता है।

पीलिया में शिकाकाई के इस्तेमाल से लाभ

कामला रोग में कालीमिर्च के साथ इसके पत्तों का उपयोग किया जाता है। इससे विरेचन (दस्त लाना) तथा कभी-कभी वमन भी होता है।

( और पढ़े – पीलिया के 36 देसी घरेलू उपचार )

बालों से रूसी मिटाए शिकाकाई का उपयोग(Shikakai cause Dandruff in Hindi)

शिकाकाई 100 ग्राम ,रीठा 100 ग्राम ,आंवला 100 ग्राम । तीनों समभाग तथा सेंन्धव नमक चतुर्थ भाग (25 ग्राम) को जोकुट चूर्ण कर लें। 15-20 ग्राम का क्वाथ बनाकर उसमें सिर धोवें। इसके बाद सूखे आंवले चूर्ण को धीरे-धीरे शिर में मालिश करें। साथ में आम्रबीज (आम की गुठली) व हरड़ दोनों समभाग लेकर दूध के साथ पिसाई कर शिर पर लेप करें।
इसमें किसी भी प्रकार का तैल न लगावें। यदि लगाना हो तो थोड़ी मात्रा में महाभुंगराज तैल लगावें।
यह उपाय बालों से रूसी की समस्या दूर करने में अति उपयोगी है ।
-(श्री वैद्य पवन कुमार सुधानिधि)

( और पढ़े – डैंड्रफ हटाने के 15 आसान घरेलू नुस्खे )

पेट फूलने में आराम दिलाए शिकाकाई का सेवन

शिकाकाई वृक्ष के कोमल पत्ते लाकर उनका हिम या फाण्ट बनाकर पिलाने से पेट का अफारा (पेट का फूलना) दूर होता है। इन पत्तों को पीसकर गरम कर पेट पर लेप करने से भी अफारा मिटता है और हल्के दस्त लगते हैं ।कोमल पत्तों का क्वाथ बढ़ी हुई तिल्ली और बढ़े हुये यकृत को भी ठीक करता है। -(श्री चन्द्रराज भंडारी – वनौ. चन्द्रोदय)

शिकाकाई के दुष्प्रभाव : Side Effects of Shikakai in Hindi

शिकाकाई को दवा या नुस्खों के रूप में आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।

शिकाकाई चूर्ण का मूल्य : Shikakai powder Price

  • Herbal Hills Shikakai Powder (Shikakai Powder for Hair) – 500 gms – Rs 340
  • Nature’s Tattva Shikakai Powder – 200 gms – Rs 209
  • KHADI Omorose Shikakai Powder – 100 gms – Rs 150

कहां से खरीदें :

अमेज़न (Amazon)

Leave a Comment

error: Alert: Content selection is disabled!!
Share to...