Ankol in Hindi अंकोल के फायदे गुण उपयोग और दुष्प्रभाव

Last Updated on January 8, 2020 by admin

अंकोल क्या है : What is Ankol in Hindi

इसका पेड़ 25 फुट से 30 फुट तक ऊँचा तथा मध्यमाकार होता है। इसका वृक्ष काँटों से भरा रहता है। इसकी टहनियों का रंग सफेद होता है। इसकी पत्तियाँ 3″ से 6″ लम्बी होती हैं और आधा इंच से एक इंच चौड़ी होती हैं। पतझड़ के बाद नयी तथा कोमल पत्तियाँ निकल आती हैं। कच्चे में इसका रंग नीला, पकते समय लाल और पूरी तरह पक कर बैंगनी रंग का हो जाता है।

इसके फलों के अन्दर गुठली होती है। इस गुठली को तोड़ने से इसका बीज निकलता है। इसके बीज से तेल निकलता है। यह औषध के काम आता है। जिस समय इस पर फूल आते हैं उस समय इसकी पत्तियाँ झड़ जाती हैं और पेड़ पर केवल फूल और काँटे दिखाई देते हैं। इसके फूल झोप में आते हैं। प्रत्येक झोप में चार या पाँच गोल अनार के आकार के फल-फूल आते हैं। इसके फूलों के अन्त में एक घुण्डी होती है। इसके फूल का रंग सफेद-नीला होता है। यह भारत के सभी स्थानों में पाया जाता है।

अंकोल के विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Ankol in Different Languages

Ankol in –

संस्कृत (Sanskrit) – अंकोल, अंकोट, दीर्घकील
हिन्दी (Hindi) – अंकोल, ढेरा
गुजराती (Gujarati) – अंकोल
मराठी (Marathi) – अंकोल
बंगाली (Bangali) – आकोड़, बाघ आकड़ा
तेलगु (Telugu) – अंकोलमु
तामिल (Tamil) – अएलांगी
लैटिन (Latin) – Alanagium Salvifolium (L.f) Wang, Analgium Lomorokii
अंग्रेजी (English) – Tlelid Alu Ritis

अंकोल के औषधीय गुण : Ankol ke Aushadhiya Gun Hindi mai

  • अंकोल कसैला, तीक्ष्ण, कडुआ, उष्ण वीर्य, चिकना और पाचक होता है ।
  • यह दस्त लाने वाला, कृमि नाशक, शूल नाशक व आम नाशक है ।
  • अंकोल सूजन नाशक, ग्रह का कुप्रभाव नाशक व विसर्प नाशक होता है ।
  • यह कफ नाशक, पित्त नाशक, खून विकार को दूर करने वाला होता है ।
  • यह स्थावर विष नाशक, जंगम विष नाशक, रेचक होता है।
  • इसका फल, शीतल, मीठा, स्वादिष्ट, भारी, बृंहण रेचक, बलकारी, वात, पित्त शामक, T.B. नाशक है। इसका बीज शीतल, स्वादिष्ट, भारी विपाक में मधुर, बलकारक, सारक, चिकना, वृष्य, दाह शामक, पित्त शामक, वात नाशक, रक्त विकार नाशक, जलोदर नाशक, दमा नाशक, मूत्र कृच्छ नाशक, अतिसार नाशक, कृमि नाशक, वमन नाशक, बवासीर नाशक, सूजाक नाशक, गठिया नाशक होता है।

अंकोल के उपयोग : Ankol Uses in Hindi

कुत्ते का काटा हुआ विष दूर करने में अंकोल का चूर्ण लाभदायक

अंकोल के जड़ की छाल का चूर्ण 1.5 ग्राम और सुदर्शन चूर्ण 1.5 ग्राम मिलाकर सुबह-शाम
जल के साथ 1.5 ग्राम सेवन करने से कुत्ते का काटा हुआ विष समाप्त हो जाता है। इसका सेवन लगातार तीन माह तक करना चाहिए।

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ज्वर में अंकोल के प्रयोग से लाभ (Ankol Benefits in Fever)

आधा ग्राम से पौन ग्राम तक इसकी जड़ की चूर्ण को सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से पसीना आकर ज्वर उतर जाता है। यह योग अत्यन्त लाभकारी और निरापद है।

कुष्ठ (कोढ़) में अंकोल का उपयोग फायदेमंद (Ankol Benefits in Leprosy)

अंकोल की जड़ की छाल जायफल, जावित्री सभी को बराबर मात्रा में कूट-पीस कर चूर्ण बना
लें। सुबह-शाम 5-5 ग्राम चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से कुष्ठ (कोढ़) जड़ से समाप्त हो जाता है। कोढ़ियों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है।

गठिया वात मिटाए अंकोल का उपयोग (Ankol Benefits to Cure Gout)

अंकोल की जड़ की छाल लगभग 250 ग्राम कूट-पीस कर चूर्ण बना लें। उसे 5 गिलास पानी में
खौलायें। जब पानी 1 गिलास बचे तो इसमें एक गिलास सरसों का तेल मिला लें और फिर खौलाएँ। पानी जल कर जब केवल तेल शेष रह जाए तो उसके ठण्डा होने पर उसे छान कर एक शीशी में रख लें। प्रतिदिन तीन बार इस तेल की मालिश करने से रोग से मुक्ति मिल जाती है।

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चेचक के दाग में अंकोल का उपयोग लाभदायक (Ankol Helps to Remove Chicken Pox Scars)

इसके लिए अंकोल का तेल, गेहूँ का आटा और पिसी हल्दी मिलाकर पानी के साथ लुगदी बना
लें। रात में चेहरे पर उसका लेप लगायें। सुबह उसे गुनगुना पानी से धो लें। ऐसा करने से कुछ ही दिनों में दाग मिट जाते हैं और चेहरा सुन्दर, सौम्य आकर्षक होकर निखर जाता है।

सूजाक में लाभकारी है अंकोल का सेवन (Ankol Cures Swelling in Hindi)

सूजाक पीड़ितों को इसके फल का गूदा और तिल का क्षार बराबर मात्रा में मिलाकर मधु के साथ सुबह शाम और दोपहर में सेवन करना चाहिए। रोग समूल नष्ट हो जाता है। कम से कम छ: महीना तक इसका नियमित सेवन करना चाहिए।

कटना खून बहने में अंकोल से फायदा (Ankol Benefits in Bleeding in Hindi)

किसी धारदार हथियार से कट जाने, काँटा या शीशा से कट जाने पर इसके तेल में रूई का फाहा भिगा कर कटे हुए स्थान पर बाँध दें। इससे खून बहना बन्द हो जाता है।

अतिसार में फायदेमंद अंकोल का औषधीय गुण (Ankol Benefits in Diarrhea in Hindi)

इसके फल के गूदा को पीस कर मधु में मिलाकर लुगदी बना लें। चावल के धोवन के साथ एक-एक चम्मच दिन में तीन बार सेवन करें तो अतिसार समाप्त हो जाता है।

शीघ्रपतन में लाभकारी अंकोल तेल (Ankol Tel Ke Fayde)

नाभि के ऊपर इसके तेल की मालिश करने से यह रोग दूर हो जाता है।

जोड़ एवं वायु दर्द मिटाता है अंकोल तेल (Ankol Benefits in Joint pain)

इन व्याधियों में इस तेल से मालिश करें। इनमें यह अत्यन्त लाभकारी है।

अंकोल तेल के फायदे : Ankol Oil Benefits in Hindi

  1. अंकोल का तेल लगाने से श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) में बहुत लाभ होता है।
  2. चोट या किसी धारदार हथियार से कट जाने पर अंकोल के बीजों के तेल (Ankol Oil) में रूई को भिगोकर कटे हुए स्थान पर लगाने से बहता हुआ खून बंद हो जाता है।
  3. बिच्छू का विष दूर करने के लिए डंक लगे स्थान पर अंकोल की जड़ को पीसकर लेप करें या इसी लेप में सरसों का तेल(Mustard Oi) मिलाकर कान में डालें।
  4. भगन्दर रोग में लाभ के लिए – मोम 25 ग्राम ,अंकोल का तेल 100 मिली तथा 3 ग्राम तूतिया (नीला थोथा) लेकर आग पर गर्म करें । ठंडा होने घाव पर लेप करें। इससे नाड़ी में उत्पन्न दाने नष्ट हो जाते हैं।
  5. उपदंश के घाव पर अंकोल का तेल सुबह-शाम लगायें इससे घाव जल्द ही ठीक हो जायेगें।
  6. अंकोल के बीज का तेल या जड़ पीसकर लगाने या अंकोल की जड़ की छाल आधा से 1 ग्राम 3 बार रोज खाने से उपदंश रोग ठीक होते हैं।
  7. सभी प्रकार के त्वचा रोगों या दाद में अंकोल के बीज का तेल या जड़ को पीसकर लगाने या अंकोल की जड़ की छाल को रोजाना 3 बार खाने से आराम आ जाता है।

अंकोल तेल का मूल्य : Ankol Oil Price

Pmw Ankol Alangium Salvifolium Oil – 100 ml – 494 Rs

कहां से खरीदें :

अमेज़न (Amazon)

अंकोल के दुष्प्रभाव : Ankol ke Nuksan in Hindi

  • अंकोल औषधीय प्रयोग या उपयोग से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
  • अधिक मात्रा में इसका सेवन हानिकारक : इसका अधिक सेवन न करें क्योंकि इसका उत्तेजक प्रभाव आँतों पर पड़ता है। यह आँत में दाह, जलन और शोथ (सूजन) उत्पन्न करता है।

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