Sagwan in Hindi | सागवान (सागौन) के फायदे ,गुण ,उपयोग और दुष्प्रभाव

Last Updated on February 20, 2020 by admin

सागवान (सागौन) क्या है ? : Sagwan Tree (Teak) in Hindi

सागवान कर्कश एवं बड़े पत्रों वाले एक वृक्ष है । इस वृक्ष का जितना औषधीय महत्व है उतना ही इमारती लकड़ी हेतु भी महत्व है। इसकी इमारती लकड़ी विश्वभर में प्रसिद्ध है।

सागवान का पेड़ कैसा होता है ? :

सागवान बड़ा वृक्ष होता है जिसकी लम्बाई 100 फीट से 150 फीट तक होती है। सागवान की छाल रेशेदार, हल्के भूरे या धूसर रंग की होती है। इसकी शाखायें चतुष्कोण, नलिकान्वित होती है।

सागवान के पत्ते (पत्र) – सागवान के पत्र बड़े लगभग 1 से 3 फीट लम्बे होते हैं। इसके पत्र पौने फीट से एक फीट तक चौड़े होते हैं, ये पत्र अण्डाकार या अभिलट्बाकार चमड़ी सदृश्य, स्पर्श में खुरदरे तथा इस पत्र के निचले पृष्ठ पर रोम होते हैं। मुख्य पत्र में पायी जाने वाली सिरायें 8 से 10 जोड़ी होती हैं इसके पत्र पर सूक्ष्म लाल ग्रन्थिल धब्बे होते हैं जो काले पड़ जाते हैं।

सागवान के फूल (पुष्प) – पुष्पमंजरियों में लगे रहते हैं। पुष्प मंजरी अनेक शाखा युक्त, 1 से 3 फुट लम्बी होती है जिसमें सुगन्धित तथा छोटे पुष्प लगते हैं।

सागवान के फल – छोटे 10-15 मिली. व्यास के अनियमित, गोलाकार रोम से ढके हुए अग्रभाग पर कुछ नुकीले, कठिन, चतुष्कोष्णीय, हल्के भूरे रंग के फूले हुए बाह्यकोश से आवृत होते हैं।

सागवान के बीज – सागवान के फल में 1 से 3 बीज आते हैं। कभी-कभी 4 भी होते हैं। बीज सफेद रंग के, लटू आकार के 4 से 8 मिली. लम्बे होते हैं ।अन्तः सार कठिन, दृढ और धूसर वर्ण का होता है। सागवान में वर्षा में पुष्प तथा शीतकाल में फल लगते हैं।

सागवान के वृक्ष कहाँ पाए जाते हैं :

सागवान मध्यप्रदेश, उड़ीसा, बंगाल तथा दक्षिणी भारत में विशेष रूप से होता है। मध्यप्रदेश में सागवान की एक विशेष प्रजाति तेलिया सागवान भी खूब पायी जाती है।

सागवान का विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Teak in Different Languages

Teak in –

  • हिन्दी (Hindi) – सागौन, सागवान
  • संस्कृत (Sanskrit) – शाक, स्थिरसार
  • बंगाली (Bangali) – सेगुन
  • मराठी (Marathi) – सागवान
  • गुजराती (Gujarati) – सागवान
  • तामिल (Tamil) – टेक्कू
  • तेलगु (Telugu) – टिकू
  • कन्नड़ (Kannada) – टेगा
  • मलयालम (Malayalam) – टेक्का
  • इंगलिश (English) – टीक (Teak)
  • लैटिन (Latin) – Tectona Grandis Lin.

सागवान का रासायनिक विश्लेषण : Sagwan Chemical Constituents

सारभाग से अनेक कार्बनिक यौगिक प्राप्त किये गये हैं। इसके परिस्रवण से एक तैल प्राप्त होता है जो पशुओं के घावों में तथा रंगने के काम में आता है। काष्ठ के कोटरों में कैल्शियम फास्फेट, अमोनियम तथा मैग्निीशियम फास्फेट तथा सिलिका संचित मिलते हैं।
बीजों में एक – स्थिर तैल होता है।

सागवान के औषधीय गुण : Sagwan ke Aushadhi Gun in Hindi

  • रस – कषाय
  • गुण – लघु, रुक्ष
  • वीर्य – शीत
  • विपाक – कटु
  • दोषकर्म – कफपित्तशामक तथा बीज स्निग्ध होने से वातशामक होते हैं।
  • मुख्य कर्म – रक्तस्तम्भन
  • कुल का नाम – निर्गुण्डी कुल See (Verbenaceae)
  1. सागवान का सार (अंदरूनी काला भाग) शोथहर (सूजन दूर करने वाला) तथा वेदनास्थापन, विषघ्न तथा दाहप्रशमन है।
  2. सागवान के पत्र का स्वरस रक्त का स्तम्भन करते हैं। सागवान के बीजों का तैल केश्य (बालों को बढ़ाने वाला) और कण्डूध्न (खुजली मिटाने वाला) है।
  3. सागवान निर्यास कफ पित्तज विकारों में प्रयुक्त होता है। बीज वात व्याधि में दिये जाते हैं।
  4. सागवान की छाल पित्तशामक, स्तम्भन तथा कृमिघ्न है। यह सार गर्भस्थापन करता हैं। इसके बीज मूत्रजनन व छाल मूत्रस्तम्भन हैं।

यूनानी मतानुसार सागवान के गुण :

  1. सागवान, मस्तकशूल, पित्तविकार और यकृत के निचले भाग में होने वाले जलनसहित शूल में गुणकारी है।
  2. यह लकड़ी प्यास को बुझाती है। कृमियों को नष्ट करती है तथा रुके हुये कफ को बाहर निकालती है।
  3. इसकी राख सूजी हुई आंख के पलकों पर लेप करने के काम में ली जाती है। इसकी लकड़ी के कोयले को पोस्त के पानी में बुझाकर फिर पीसकर लेप करने से पलकों की सूजन शीघ्र दूर होती है।
  4. इसके फूलों से निकाला तैल बालों को बढ़ाता है और खुजली को मिटाता है।

डाक्टरी मतानुसार सागवान के लाभ :

  • डाक्टर वामन गणेश देसाई के मत से सागवान के फूल और बीज मूत्रल होते हैं। इसके बीजों का तैल केशवर्धक और खुजली नाशक है। इसके पत्ते पित्तशामक, रक्तस्रावरोधक और छोटी रक्तवाहिनियों का संकोचन करने वाले होते है।
  • इसकी छाल पित्तशामक, सूजन व कृमियों को नष्ट करने वाली है। मूत्र के रुक जाने पर इसके फूलों को पानी में बाफ कर पेडू पर बांधते हैं और इनका फांट बनाकर पिलाते हैं । पित्तप्रकोप और अपचन में इसकी छाल उपयोग में लाते हैं।

सागवान का उपयोगी भाग : Useful Parts of Sagwan in Hindi

प्रयोज्य अंग – सार (अंदरूनी काला भाग)

सेवन की मात्रा :

मात्रा – 50 से 100 मिली
सार व चूर्ण – 3 से 6 ग्राम।

सागवान के फायदे और उपयोग : Uses & Benefits of Sagwan in Hindi

  • सागवान का क्षार कुष्ठध्न है और मेदोहर (चर्बी को कम करने वाला) व दाह (जलन) का प्रशमन करने वाला है।
  • सागवान के सार का चूर्ण भल्लातक विष, शिरःशूल (सिर की पीड़ा) में लेप करने में काम लेते हैं।
  • बीजतैल खालित्य (गंजापन) रोग एवं चर्मरोगों में लगाते हैं तथा पत्र का स्वरस क्षत (ज़ख्म या घाव) होने पर देते हैं।
  • अम्लपित्त, प्रवाहिका (पेचिश), कृमिरोग में छाल का क्वाथ देते हैं।
  • रक्तपित्त, रक्त के अन्य विकारों में पत्र स्वरस देते हैं।
  • प्रदर एवं गर्भपात में इसका क्वाथ देते हैं।
  • सागवान के पुष्पों का शाक तथा छाल का क्वाथ प्रमेह में प्रयुक्त होता है।
  • कुष्ठ में अन्तः सार का क्वाथ रोगी को पिलाते हैं।
  • सागवान के फल को पीसकर पुल्टिश बनाकर पेडू पर बांधकर रखने से मूत्र खुलकर आता हैं।

विशेष – अनाज संग्रहण के लिये ड्रम में सागवान के आधा किलो बीज नीचे-नीचे डालकर ऊपर से आधा ड्रम अनाज भरकर फिर से आधा किलो सागवान के बीज डाल देते हैं फिर उसके ऊपर अनाज डाल देते हैं और सागवान के बीज डालकर ड्रम बंद कर देते हैं। यह सागवान के बीजों से अनाज के संग्रहण की विधि है।

Tectona grandis के अलावा मध्य प्रदेश में सागवान की एक अन्य प्रजाति Tectona bromides भी पायी जाती है। जिसे तेलिया सागवान कहते हैं। इसके काण्ड (तने) को क्षेत्रीय जानकार लोग बिना लोहे के स्पर्श (टंगिया, चाकू इत्यादि) से तोड़कर रखते हैं। इसे घिसकर पिलाने से मद्य से बेहोश व्यक्ति का नशा तुरन्त खत्म हो जाता है। लेखक के अनुसार जंगल में यह वृक्ष खत्म हो रहा है जिसका मुख्य कारण इसका निर्विष करने वाला गुण है। कई राज्यों के आदिवासी लोगों के पूछने पर असलियत पता लगी जो यह है कि आदिवासी जब जहर घुसे तीरों से बारुद से जानवरों का शिकार करते हैं तब ऐसा घायल जानवर जंगल में इस वृक्ष को खोजता है और कहीं यह पाजाये तब अपने घायल अंगों को इसके तने से रगड़ता है और इसी की छाव में तब तक आराम करता है जब तक विष का प्रभाव दूर न हो जाय। इसी के चलते आदिवासी इस वृक्ष को अपने शिकार अभियान के विफल होने का प्रमुख कारण मानते हैं। इसलिए इस वृक्ष को काटकर उपरान्त जड़ तक खोदकर जला डालते हैं। लेखक के परिचित एक एस.डी.ओ. के ड्राइवर ने सर्वे में कई आदिवासियों से जानकारी लेकर यही सब जाना है और अपने हाथ से तोड़ी टहनी हमेशा अपने पास रखता है। · उच्चरक्तचाप के रोगी को इस लकड़ी के स्पर्श मात्र से नॉर्मल होते देख सकते है। इस लकड़ी के स्पर्श से पास की एक गाय के क्षय ग्रस्त भाग को निर्विष कर दिया। लेखक अपने पास भी एक टहनी का टुकड़ा रखते हैं यह लकड़ी का टुकड़ा सर्प, बिच्छु दंश में भी यही कार्य करती है।

सागवान के दुष्प्रभाव : Sagwan ke Nuksan in Hindi

सागवान उन व्यक्तियों के लिए सुरक्षित है जो इसका सेवन चिकित्सक या सम्बंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार करते हैं।

Leave a Comment

Share to...