सोडियम के स्रोत फायदे और नुकसान | Sodium Rich Foods Benefits & Side Effects In Hindi

Last Updated on December 20, 2019 by admin

हमारे शरीर में खनिज लवण की उपयोगिता (khanij lavan ka kya upyog hai ?)

खनिज लवण शरीर को उर्जा तो प्रदान नहीं करते किन्तु ये शरीर के निर्माण, स्वास्थ्य व अन्य जीवनदायी क्रियाओं के सुचारू रूप से संचालन के लिए उतने ही आवश्यक हैं जितने कि भोजन के अन्य तत्व। यद्यपि शरीर का लगभग 96% भाग जल, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट व विटामिन से मिल कर बना है, केवल 4% भाग ही खनिज लवणों से बना है, तथापि इनके कार्य, इनकी मात्रा की तुलना में कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।

शरीर का सबसे महत्वपूर्ण खनिज तत्व सोडियम (Sodium in Hindi)

हमारे शरीर में लगभग 100 ग्रा. सोडियम आयनिक रूप में पाया जाता है। यह ऐसा खनिज
पदार्थ है जो विभिन्न भोज्य पदार्थों के सेवन से पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलता अतः इसे प्रायः शुद्ध रूप में (सोडियम क्लोराइड अथवा खाने के नमक के रूप में) दैनिक आहार में लेना पड़ता है। यह हमारे भोजन को नमकीन बनाते हुए, भोजन का स्वाद बढ़ाता है।

शरीर में सोडियम के फायदे एवं कार्य (sodium ke karya in hindi)

शरीर में कोशिकाओं को घेरे रहने वाले द्रव और प्लाज्मा, दोनों में सोडियम पाया जाता है।
शरीर की तंत्रिकाओं में उद्दीपन पैदा करने में सोडियम बहुत ही सहायक होता है।
इसके अलावा यह शरीर के ‘अम्ल- क्षार सन्तुलन’ (Acid-base balance) को बनाए रखता है।
सोडियम ह्रदय को धड़कने तथा धड़कन की लयबद्धता बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है।
साथ ही यह कोशिकाओं की पारगम्यता (Permeability) को नियन्त्रित करता है।
कोशिकाओं के अन्तःद्रव तथा बाहरी द्रव में लवण-सन्तुलन (Electrolyte balance) बनाता है।

सोडियम का अवशोषण :

आहार में लिये गये सोडियम का अवशोषण छोटी आंत में होता है, जहां से यह रक्त में पहुचाया जाता है। यदि रक्त में आवश्यकता से अधिक सोडियम की मात्रा पहुंच जाती है तो इसकी अतिरिक्त मात्रा मूत्र के द्वारा उत्सर्जित कर दी जाती है। यदि भोजन में यह लवण कम ग्रहण किया जाए तो हमारे गुर्दो (Kidney) से इसकी कम मात्रा, उत्सर्जित की जाती है जिससे शरीर में इसकी कमी न हो। गुर्दो से सोडियम का उत्सर्जन कुछ हार्मोन्स की क्रिया द्वारा नियन्त्रित होता है। यदि शरीर में इन हार्मोन्स की कमी हो जाए तो सोडियम का उत्सर्जन अत्यधिक होने लगता है। हार्मोन की अधिकता से स्थिति विपरीत हो जाती है अर्थात् दोनों ही स्थितियां अस्वास्थ्यकर होती हैं।

सोडियम प्राप्ति के श्रोत (sodium rich foods)

  • शरीर में सोडियम की प्राप्ति के लिए हमें, दैनिक आहार में, खाने वाले, साधारण नमक पर निर्भर रहना पड़ता है।
  • हालांकि कुछ खाद्य पदार्थों में भी यह विद्यमान रहता है जैसे गाजर, भिण्डी, पालक, चुकन्दर, अजवाइन की पत्ती आदि में पर्याप्त मात्रा में सोडियम पाया जाता है।
  • इसके अलावा दूध व पनीर में भी सोडियम उपस्थित रहता है।
  • अनाज व अन्य सब्जियों में इसकी मात्रा अपेक्षाकृत काफ़ी कम होती है।

शरीर में सोडियम की कमी के लक्षण (sodium ki kami ke lakshan in hindi)

मूत्र के अतिरिक्त शरीर से मल और पसीने के द्वारा भी सोडियम का उत्सर्जन होता है। अधिक पसीने से अधिक मात्रा में सोडियम शरीर से बाहर निकल जाता है और शरीर में सोडियम की कमी हो जाती है। परिणाम स्वरूप सुस्ती व कमज़ोरी का अनुभव होता है। अतः अधिक पसीना निकलने पर सोडियम की अधिक मात्रा ग्रहण करने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

सोडियम की दैनिक आवश्यकता (daily sodium requirement in hindi)

भारत जैसे उष्ण देश के लोगों की प्रतिदिन की सोडियम की आवश्यकता मात्रा अभी तक निश्चित नहीं की जा सकी है। हमारे देश में लोगों द्वारा प्रतिदिन लगभग 8 ग्राम से 20 ग्राम तक नमक का सेवन किया जाता है जो कि लोगों की क्रियाशीलता व मौसम पर निर्भर करता है, यथा अधिक श्रम करने वाले लोगों के शरीर से पसीने के रूप में सोडियम का उत्सर्जन अधिक होता है। इसी प्रकार गर्मी के मौसम में भी अपेक्षाकृत पसीना अधिक आता है अतः इलेक्ट्रो लाइट सन्तुलन बनाए रखने के लिए सोडियम की अधिक मात्रा ग्रहण करना आवश्यक हो जाता है।
गर्मी में तो शक्कर व नमक युक्त शीतल पेय पदार्थ का सेवन चक्कर आना, घबराहट आदि से तो बचाता ही है, साथ ही जलतृप्ति भी देता है।

सोडियम की कमी के नुकसान (sodium ki kami se hone wali bimari)

सोडियम की कमी से होने वाले रोग – विशेष शारीरिक परिस्थितियों अथवा रोगों की स्थिती के अलावा सामान्यतः शरीर में सोडियम की मात्रा का सन्तुलन बना रहता है। चूहों में किए गए प्रयोगो से ज्ञात हुआ कि सोडियम की कमी होने पर कमजोरी महसुस होना, घबराहट जैसे लक्षणों के साथ-साथ शरीर की वृद्धि पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

सोडियम की अधिकता से होने वाले रोग (sodium ke nuksan in hindi)

सोडियम की अधिकता होने पर ‘अतिरूधिर तनाव’ (Hypertension) और एडिमा हो जाता है। ऐसी स्थिती में रोगी के भोजन में नमक की मात्रा कम कर दी जाती है।

सोडियम के स्रोत (sodium food in hindi)

प्रति 100 ग्राम भोज्य पदार्थ में सोडियम मि.ग्रा. में

भोज्य पदार्थसोडियम
अनाज
बाजरा10.9
मक्का सूखी15.9
मक्का ताजी51.7
पोहा10.9
गेहूं17.1
गेहूं आटा20.0
मैदा9.3
रवा21.0
दालें
चना37.3
चना दाल73.2
उड़द दाल39.8
चंवला23.2
मूंग खड़े40.1
मोठ29.5
सूखे मटर20.4
अरहर दाल पत्तीदार28.5
सब्ज़ियां
अजवाइन पत्ता35.5
हरा धनिया58.3
मेथी76.3
पालक58.5
जड़वाली सब्जियां
चुकन्दर59.8
गाजर35.6
आलु11.0
मूली33.0
अरबी9.0
अन्य सब्ज़ियां
करेला17.8
फूल गोभी53.0
ककड़ी10.01
कटहल35.0
कच्चा आम35.0
कच्चा आम43.0
टिण्डा35.01
हरा टमाटर45.8
मसाले
सूखी मिर्च14.0
धनियां32.0
जीरा126.0
मेथीदाना19.0
फल
सेवफल28.0
केला36.6
जामुन26.2
लीची124.9
खरबूज104.6
तरबूज27.3
पाइनापल34.3
दूध व दूध से बने पदार्थ
गाय का दूध32.0
भैंस का दूध19.0l
दही73.0

मानव शरीर में सोडियम क्लोराइड की उपयोगिता (Sodium Chloride in Hindi)

हमारे दैनिक भोजन में स्वाद को बनाए रखने के लिए जिस साधारण से नमक का उपयोग किया जाता है उसे ही सोडियम क्लोराइड के नाम से जाना जाता है। नमक हमारे भोजन को केवल सुस्वादु ही नहीं बनाता बल्कि यह सोडियम जैसे आवश्यक खनिज तत्वों को, शरीर में उपलब्ध कराने का, सुगम माध्यम भी है। साधारण नमक कम मात्रा में ग्रहण करने पर (लम्बे समय तक उपवास आदि करने पर) अनेक हानिकारक परिणाम देखे जाते हैं जिनमें सामान्य सुस्ती, धबराहट, चक्कर आना आदि से ले कर रक्तचाप में कमी, और शरीर में अकड़न होना जैसे गम्भीर परिणाम भी शामिल हैं।

गरम व आर्द्र जलवायु में कठोर श्रम करने वाले श्रमिकों में अकड़न का रोग पाया जाता है। कोयला खदानों में काम करने वाले श्रमिक प्रायः इसके शिकार होते हैं।
रोग के लक्षणों में प्रमुख रूप से मांस पेशियों में भारी दर्द हो कर सिकुड़न आने लगती है। यह स्थिति शरीर में सोडियम क्लोराइड की कमी के कारण उत्पन्न होती है क्योंकि कठोर परिश्रम के कारण पसीने का उत्सर्जन अधिक होता है। इससे शरीर से नमक भी बाहर निकल जाता है और इसकी कमी के लक्षण प्रकट होने लगते हैं।

सामान्यतः नमक की थोड़ी मात्रा त्वचा के निचले भाग के उतकों में संग्रहीत रहती है। शरीर में नमक की थोड़ी मात्रा अस्थायी रूप से कम होने पर, त्वचा के नीचे संग्रहीत मात्रा से शरीर की आवश्यकता पूर्ण हो जाती है व रोग के कोई लक्षण प्रगट नहीं होते, किन्तु यदि नियमित रूप से आहार में, नमक की मात्रा कम हो अथवा शरीर से नमक का उत्सर्जन अधिक हो अथवा लम्बे समय तक उपवास की स्थिति रहे तो शरीर नमक की कमी से प्रभावित होता है जिससे अस्वास्थ्यकर स्थिति निर्मित होने लगती है। इस क्षतिपूर्ति के लिए पीने के पानी में नमक मिला कर तथा आहार में नमक की मात्रा आवश्यकतानुसार बढ़ाना आवश्यक हो जाता है।

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