Last Updated on November 5, 2019 by admin
विधारा क्या है ? : Vidhara in Hindi
विधारा आयुर्वेद की एक बहुउपयोगी वनस्पति है | विधारा जड़ी बूटी बेचने वाली दुकान पर सब जगह मिलता है। इसकी जड़ उपयोग में ली जाती है। वर्षा ऋतु से ले कर शीतकाल तक इसमें फूल आते हैं और जनवरी से अप्रेल तक के समय में फल लगते हैं। यह भारत के अनेक प्रान्तों में पैदा होता है।
विधारा के विभिन्न भाषाओं में नाम :
✦ संस्कृत – वृद्धदारु ।
✦ हिन्दी – विधारा ।
✦ मराठी – समुद्र शोक।
✦ गुजराती – बरधारो, समंदर शोष ।
✦ बंगला – बीज वाड़क ।
✦ मलयालम – समुद्रपाला ।
✦ तेलगु – चन्द्रपौरा ।
✦ इंगलिश – ऐलीफेण्ट क्रीपर (Elephant Creeper) ।
✦ लैटिन – आजिरेआ स्पेसिओज़ा (Argyreia speciosa) ।
आयुर्वेदिक मतानुसार विधारा के औषधीय गुण : Vidhara ke gun in hindi
☛ विधारा हलका और स्निग्ध गुण वाला है ।
☛ यह रस में चरपस, कड़वा और कसैला होता है ।
☛ यह उष्णवीर्य, वृष्य, वात शामक तथा आमवात को दूर करता है
☛ विधारा बवासीर, शोथ और कफ का शमन करने वाला है ।
☛ यह शुक्र, मेधा, बल, अग्नि, स्वर तथा कान्ति बढ़ाने वाला और सारक है।
यूनानी मतानुसार विधारा के गुण :
☛ यूनानी मत के अनुसार विधारा कड़वा, कामोत्तेजक, पसीना लाने वाला है।
☛ यह सूज़ाक, सूजाकजन्य पूयमेह मिटाता है ।
☛ यह मूत्रप्रसेकनलिका में जलन, मूत्र में रुकावट और पुराना घाव ठीक करता है।
☛ इसके मुख्य कर्म हैं आम का पाचन करना, नाड़ी बल बढ़ाना, अनुलोमन, रेचन, सूजन हटाना, प्रमेह दूर करना, बल और शुक्र की वृद्धि करना।
विधारा के उपयोग : Uses of Vidhara in Hindi
इस जड़ी का उपयोग भारत में प्राचीन काल से ही होता आ रहा है। सुश्रुत संहिता में श्यामादिगण और अधोभागहर द्रव्यों में विधारा का उल्लेख ‘वृद्धदारु’ के नाम से मिलता है।
✥ डॉ. आर.एन.खोरी इस जड़ी को रसायन गुण वाली, पौष्टिक, आमवात तथा फिरंग रोग को दूर करने वाली मानते हैं। ✥ विधारा वृद्धावस्था के कारण उत्पन्न हुई निर्बलता दूर करने में बहुत लाभप्रद सिद्ध होता है।
✥ यह सप्तधातुओं के दूषित विष और रोगाणुओं को नष्ट कर धातुओं को शुद्ध और पुष्ट बनाता है इसलिए शारीरिक निर्बलता के कारण उत्पन्न हुई नपुंसकता को दूर करने वाले नुस्खों (योगों) में प्रमुख घटक द्रव्य के रूप में विधारा का उपयोग किया जाता है।
✥ विधारा का उपयोग अश्वगन्धा के साथ गर्भवती स्त्री के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध होता है।
यहां कुछ घरेलू उपयोग के लाभकारी प्रयोग प्रस्तुत कर रहे हैं।
विधारा के फायदे : Vidhara Benefits in Hindi
1- बल बुद्धि बढ़ाने में विधारा का प्रयोग (Benefit of Vidhara to Boost Strength in Hindi)
विधारा का उपयोग रसायन के रूप में करने के लिए विधारा और असगन्ध का महीन पिसाछना चूर्ण, सम मात्रा में मिला कर, इसे घी शक्कर व दूध के साथ सुबह शाम सेवन करने से शरीर बलिष्ठ व सुडौल बनता है और शुक्रधातु गाढ़ी होती है। विधारा के जड़ के चूर्ण को, शतावरी के रस की सात भावना देकर चूर्णशीशी में भर लें। इस चूर्ण को 3-3 ग्राम (आधा आधा छोटा चम्मच) मात्रा में, थोड़े से शहद में मिलाकर सुबह शाम 60 या 90 दिन सेवन करने से शरीर-बल, बुद्धि व स्मरणशक्ति आदि की वृद्धि होती है।
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2- शुक्र दौर्बल्य में विधारा से फायदा
विधारा की जड़ 100 ग्राम कूट पीस कर कल्क (लुग्दी) बना कर, एक किलो शुद्ध घी और चार किलो दूध में डाल कर मन्दी आंच पर पकाएं। जब सिर्फ़ घी बचे, दूध सूख जाए तब उतार कर ठण्डा करके कांच की बर्नी में भर लें। इसे भोजन के साथ सुबह शाम 1-1 चम्मच मात्रा में सेवन करने से शुक्र (वीर्य) पुष्ट होता है, और इन्द्रिय शिथिलता दूर होती है।
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3- आमवात में विधारा के लाभ (Vidhara Benefits to Cure Gout in Hindi)
लम्बे समय तक अपच, मन्दाग्नि और क़ब्ज़ रहने पर आमवात रोग पैदा होता है। इसे दूर करने के लिए विधारा की जड़ और सोंठ 50-50 ग्राम ले कर खूब महीन चूर्ण करके मिला लें। इसे 1-1 चम्मच सुबह साफ ताज़े पानी के साथ सेवन करने से आमवात रोग दूर होता है, मन्दाग्नि व अपच के परिणाम नष्ट होते हैं।
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4- श्लीपद में विधारा का उपयोग (Vidhara Uses to Cures Filariasis in Hindi)
इस रोग में पैर हाथी के पैर की तरह मोटा और कठोर हो जाता है इसीलिए इसे श्लीपद या हाथीपांव कहते हैं। इस रोग की चिकित्सा के लिए विधारा की जड़ 80 ग्राम, सोंठ 40 ग्राम, पीपल, हरड़, बहेड़ा, आंवला, दारुहल्दी, चित्रक मूल और पुनर्नवा- सब 20- 20 ग्राम- सबको कूट पीस कर महीन चूर्ण कर लें। इसे डेढ़ किलो घी में डाल कर घृत सिद्ध करें। इसे 1-1 चम्मच सुबह शाम दूध के साथ सेवन करने से श्लीपद रोग के अलावा साइटिका, शोथ और आमवात में लाभ होता है।
दूसरा प्रयोग- विधारा जड़ को गोमूत्र में । घिस कर श्लीपद पीड़ित पैर लेप करने से पैर ठीक होता है।
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5- मोटापा में विधारा के इस्तेमाल से फायदा (Vidhara Help in Reducing Obesity in Hindi)
विधारा का महीन चूर्ण सिरके में मिला कर मोटे पेट या मोटे अंग पर लगा कर मालिश करने से मोटापा कम होता है।
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6- फोड़ा के जख्म में विधारा का उपयोग फायदेमंद (Benefits of Vidhara in Boil Treatment in Hindi)
फोडे़ के घाव व सूजन में विधारा के पत्तों पर एरण्ड तेल लगाकर उन्हें हल्का गर्म करके घाव वाली जगह पर बांध देना चाहिए।
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7- कब्ज में लाभकारी है विधारा का प्रयोग
विधारा की जड़ के चूर्ण को 3 से 6 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से कब्ज मिट जाती है।
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8- कमजोरी दूर करने में विधारा फायदेमंद
2 से 3 ग्राम विधारा के चूर्ण को मिश्री मिले दूध के साथ रोजाना सुबह-शाम पीने से शरीर की कमजोरी मिट जाती है।
9- वीर्य रोग मिटाता है विधारा
1 लीटर दूध में 100 ग्राम विधारा की जड़ को पकाकर उसमे घी मिलाकर रख लें। नित्य भोजन के बाद 20 ग्राम की मात्रा में खाने से वीर्य गाढ़ा और पुष्ट होता है।
10- अंगुलियों की सूजन में विधारा का औषधीय गुण फायदेमंद
3 ग्राम विधारा की जड़ को पीसकर अंगुलियों पर बांधने से अंगुलियों की सूजन मिटती है।
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विधारा से निर्मित आयुर्वेदिक दवा : Vidhara Ayurvedic Medicine
विधारा का उपयोग कई आयुर्वेदिक योगों में प्रमुख घटक द्रव्य के रूप में किया जाता है जैसे विगोजेम टेबलेट, मन्मथ रस, दिव्य रसायन वटी,धातु पौष्टिक चूर्ण, दिव्य रसायन चूर्ण आदि।
विधारा के नुकसान : Vidhara Side Effects in Hindi
विधारा लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें।