Last Updated on November 1, 2020 by admin
एंटीऑक्सीडेंट क्या है ? (What Does Antioxidant Mean in Hindi)
एंटीऑक्सीडेंट ऐसे पदार्थ हैं जो फ्री रेडिकल्स के कारण कोशिकाओं को होने वाले नुकसान को रोकते हैं।
फ्री रेडिकल ऐसे स्वतंत्र अणु है जो मानव कोशिकाओं से जुड़ एक जगह इकट्ठा होने लगते हैं। जो आगे चलकर कई रोगों का कारण बनते है, लेकिन एंटी ऑक्सीडेंट युक्त आहार लेने से यह फ्री रेडिकल्स एक जगह इकट्ठा नहीं हो पाते हैं।
हर सजीव में एंटीऑक्सीडेंट का निर्माण जारी रहता है। जैसे – ग्लुटाथायोन, विटामिन सी और ई, सुपर ऑक्साइड, डिस्म्युटेस जैसे एंजाइम्स और पेरीऑक्सीडेस आदि। शरीर में एंटीऑक्सीडेंट का निर्माण तो होता है लेकिन उनका उपयोग अधिक होने से इन्हें प्रतिदिन आहार के साथ लेना आवश्यक होता है।
सब्जियों, फलों, और अनाजों में पाया जाने वाला एंटी ऑक्सीडेंट कैमिकल्स, मिनरल्स और विटामिन्स का संयोजित रूप है। ये सभी तत्व फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान को निष्क्रिय कर हमारे शरीर की रक्षा करते हैं।
एंटीऑक्सीडेंट के फायदे (Benefits of Antioxidants in Hindi)
हमारे शरीर के लिए क्यों जरूरी है एंटीऑक्सीडेंट ?
- एंटीऑक्सीडेंट हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढातें है।
- यह शरीर को होने वाले बायोकेमिकल्स के नुकसान से बचाते है।
- एंटीऑक्सीडेंट सूर्य की हानिकारक किरणों से त्वचा की रक्षा करते है तथा त्वचा जन्य रोगों से शरीर को बचाते है ।
- एंटीऑक्सीडेंट हमारे शरीर को ऊर्जावान, सक्रिय तथा स्फूर्तिवान बनाए रखते है।
- यह शरीर की कोशिकाओं को निरोगी रखने में मददगार होतें है ।
- एंटीऑक्सीडेंट कई खतरनाक रोगों से शरीर की रक्षा करते है ।
इस प्रकार हमारे शरीर के लिए एंटीऑक्सीडेंट एक बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व है, जिसे पौष्टिक आहार के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।
एंटीऑक्सीडेंट युक्त खाद्य पदार्थ (Antioxidant Rich Foods in Hindi)
यह बात संशोधन के द्वारा सिद्ध की जा चुकी है कि ताज़ी सब्ज़ियों और रंगीन फलों में भरपूर एंटी
ऑक्सिडंट्स होते हैं। सभी फलों और सब्जियों के साथ पॉली फिनो और विटामिन ई का सही उपयोग लाभदायक होता है।
विटामिन बी 9, बी 3, नायासिन, बी 6, फोलिक एसिड, विटामिन सी और ई, खनिजों में सेलेनियम,
खट्टे मीठे फल और हरे साग में एंटीऑक्सीडेंट बहुतायत से पाए जाते हैं।
बीट, पत्ता गोभी, गाजर, नींबू, संतरा, मोसंबी, दही, लहसुन, लाल चावल, सोयाबीन, ओट्स ब्रान, गेहूँ का चोकर, अलसी, पुदीना और हल्दी का नियमित प्रयोग करें। आम, पपीता, पीच जैसे पीले फल, रास्पबेरी, स्ट्रॉबेरी आदि बहुत लाभदायक हैं।
1) बीट : बीट में प्राकृतिक शक्कर होती है। इसमें सोडियम, पोटैशियम, बी 1, बी 2, बी 6 और विटामिन सी होता है। बीट और उसकी पत्तों का सूप बीटामृत बहुत उपयोगी है।
2). पत्तागोभी : पत्तागोभी और फूलगोभी से एस्ट्रोजेन पर नियंत्रण रखा जा सकता है। कैंसर की संभावना कम हो जाती है। रक्त वाहिनियों में जमी परत कम करने और पित्ताशय की पथरी कम करने के लिए लाभदायक है। रक्त वाहिनियाँ मज़बूत होती हैं और फटती नहीं। बुढ़ापा टाला जा सकता है। लेकिन इसका अत्यधिक सेवन थाइरॉइड, मूत्राशय की पथरी और गॉयटर का खतरा बढ़ सकता है। पत्तागोभी में बीटा केरोटीन, इंडोल, ग्लूकोसिनोलेट्स और आयसो थायो सायनेट्स नामक असरदार घटक होते हैं।
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3). पालक : पालक में भरपूर मैग्नेशियम होता है जिससे रक्त वाहिनियाँ सिकुड़ती नहीं। इसमें कार्बोहायड्रेट और कैलोरी कम होने से डायबिटीज़ के रोगियों के लिए उपयुक्त आहार है। इसमें फोलेट हैं जो हृदय रोगियों के लिए लाभदायक है। इसमें ल्युटिन होता है, जो बीटा केरोटीन से भी अच्छा एंटी ऑक्सिडंट है।
4). फलीदार सब्ज़ी : गवार, चवले, मटर, बालोर, हरा चना, तूअर की फली में भरपूर विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट और खनिज होते हैं। सहजन के पत्तों में 6500 मायक्रो ग्राम बीटा केरोटीन । होता है।
5). बींस : सभी बींस में भरपूर एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। सभी खड़ी दालें मिलाकर पिसवा लें और रोटी बनाकर खाएँ।
6). शतावरी : हृदय रोग में बहुत उपयोगी है। इसे उबालकर सब्जी बनाई जाती है। इसमें सेपोनिन पाया जाता है।
( और पढ़े – शतावरी के बेशकीमती स्वास्थ्य लाभ )
7). मेथीदाना : मेथीदाने के सेवन से रक्त की शक्कर कम होती है। डायबिटीज़ नियंत्रण में रहता है। मेथीदाने से कोलेस्ट्रॉल और ट्रायग्लीसराइड्स कम होते हैं। रोज़ रात को 2 चम्मच मेथीदाना भिगो दें। सुबह पानी पीएँ और दाने खाएँ। इसमें लोह, कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन सी होता है।
8). लहसुन : लहसुन को आयुर्वेद में महा औषधि कहा गया है। इसमें अलाइल सल्फाईड नामक जंतुनाशक द्रव तेल होता है। इससे रक्त वाहिनियाँ कठोर नहीं होती और फैलती हैं। नाड़ी की गति कम होती है। रक्त पतला होता है और हृदय रोग की संभावना कम हो जाती है।
( और पढ़े – महा औषधि लहसुन के फायदे )
9). प्याज़ : प्याज़ में क्वरसेंटिन नामक एंटी ऑक्सिडंट होता है जो रक्त को जमने से बचाता है। इसमें भरपूर कैल्शियम, विटामिन ए, बी 6 और बी 12, विटामिन सी और और सहज पाच्य लोह होता है। एलिल प्रोपिल डायसल्फाइड, प्रोटोकेटेकुइक एसिड होने से प्याज़ हृदय रोग में लाभदायक है।
( और पढ़े – गुणों से मालामाल प्याज के 141 चमत्कारिक औषधीय प्रयोग )
10). अदरक : अदरक को भी महा औषधि कहा गया है। इसमें काफी मात्रा में मैग्नेशियम पाया जाता है जिससे रक्त वाहिनियाँ सिकुड़ती नहीं। इसमें पाया जानेवाला एलिसिन भी लाभदायक होता है।
11). शिमला मिर्च : शिमला मिर्च में पाया जानेवाला कैप्सेसिन नामक पदार्थ लाभदायक होता है। यह रक्त पतला करता है। रक्त को जमने नहीं देता।
12). टमाटर : टमाटर में विटामिन सी भरपूर होता है और कार्बोहाइड्रेट कम होते हैं। मोटापा कम करने की दृष्टि से इसमें लायकोपीन होता है जो केरोटीन और बीटा केरोटीन से अधिक लाभदायक होता है। यह हृदय रोग में लाभदायक है। यह अन्न नलिका, जठर, प्रोस्टेट, आँतें, स्तन और गर्भाशय के कैंसर से बचाता है। लाल टमाटर में लायकोपीन होता है। गुलाबी अंगूर, पपीता और तरबूज़ में भी यह पाया जाता है।
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13). ककड़ी, खीरा : विटामिन और खनिज भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।
14). गाजर : गाजर में बीटा कैरोटीन पाया जाता है जिससे रक्त शुद्धि होती है। गाजर का रस शरीर के अंदरूनी स्तर को सही बनाए रखता है। गाजर में कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर और फॉस्फोरस की मात्रा भरपूर होती है। रोज़ाना 2 गाजर खाने से कोलेस्ट्रॉल में दस प्रतिशत कमी हो सकती है।
15). पान बीडा : इसमें भरपूर मैग्नीशियम होता है जो रक्त को जमने से बचाता है। पान में चूना लगाया जाता है जिसमें कैल्शियम पाया जाता है। सुपारी और लौंग खाने से पाचक पित्त का स्राव होता है जिससे आँत में कोलेस्ट्रॉल आता है। अतः पान ज़रूर खाना चाहिए।
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16). नींबू : नींबू में भरपूर विटामिन सी होता है।
17). संतरा और मोसंबी : इनमें विटामिन ए बी और सी तथा कैल्शियम पाया जाता है। इनमें कैरीटिनोइड्स, टरपीस, और फ्लेवीनॉइड्स पाए जाते हैं जो हृदय रोग और कैंसर में लाभदायक होते हैं।
18). पपीता : पपीता में पाया जानेवाला पेपिन और लायक्लेमिन पाचन और हृदय रोग की अच्छी दवा है। इसमें पोटैशियम, मैग्नीशियम और बीटा केरोटीन भरपूर पाया जाता है। विटामिन ए और डी पाया जाता है। कार्पेन हायड्रोक्लोराइड हृदय के लिए बढ़िया टॉनिक है। इससे मूत्र साफ आता है और सूजन उतर जाती है। 3-4 माह पपीता रोज़ खाया जाए तो रक्तचाप सामान्य हो सकता है।
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19). आम : आम में कैल्शियम, फॉस्फोरस, लोह, कार्बोहायड्रेट, विटामिन बी और सी तथा रेशेदार पदार्थ भरपूर पाया जाता है। आम में उपस्थित बीटा केरोटीन के कारण रक्त वाहिनियाँ मज़बूत होती हैं और उनकी तनन (stretching) शक्ति बढ़ती है।
20). अनानास : अनानास में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट पंद्रह प्रतिशत अधिक होते हैं। इसमें ब्रोमेलिन पाया जाता है जो हृदय के लिए बढ़िया होता है।
21). स्ट्रॉबेरी : स्ट्रॉबेरी में भरपूर विटामिन सी और पंद्रह प्रतिशत एंटीऑक्सीडेंट अधिक होते हैं। इसे खाने से रक्ताल्पता दूर होती है।
22). सेब : इसे खाने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है और सामान्य बना रहता है।
23). अंगूर : अंगूर हृदय के लिए बलवर्धक है। अंगूर का रस पीकर कई दिन तक रहा जा सकता है। यह कैंसर के रोगियों के लिए योग्य आहार है। इसे विदेशों में ग्रेप थेरपी कहा जाता है। अंगूर खाने से रक्त में शक्कर की मात्रा में वृद्धि होती है। इसमें इलाजिक एसिड पाया जाता है जिससे कोलेस्ट्रॉल कम होता है और रक्त वाहिनियों की कठोरता कम होती है। अंगूर में 20 तरह के एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। अंगूर के बीजों में प्रोज़ेथिनॉल नामक महत्वपूर्ण एंटी ऑक्सिडंट पाया जाता है। काले और लाल अंगूर बेहतर होते हैं।
24) साग : हरे साग के सेवन से कई प्रकार के कैंसर टाले जा सकते हैं। पालक, मेथी, गहरा हरा लेट्यूस, आइस लेट्यूस और ब्रोकोली में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर पाए जाते हैं। गहरे हरे रंग की साग में कैंसर रोधी कैरीटीनॉइड पाया जाता है। हेल्यूरीन और केरोटिनॉइड पकाने से और फ्रिज के ठंडे वातावरण में नष्ट नहीं होता। विटामिन सी और ग्लूटाथायोन जैसे एंटी ऑक्साइड पकाने से नष्ट हो जाते हैं।
चरबी और तेल ग्लिसरॉल और फैटी एसिड से मिलकर बनते हैं। हम अपने भोजन में विभिन्न प्रकार के तेलों का उपयोग करते हैं। हर तेल में विटामिन डी और ओमेगा की मात्रा भिन्न होती है। सोयाबीन, तिल, मूंगफली, सूरजमुखी में मूफा और पूफा की मात्रा भिन्न होती है। अतः सभी तेलों को अदल बदलकर उपयोग करना सही होता है।
एंटीऑक्सीडेंट की कमी से होने वाले दुष्प्रभाव और इसके लक्षण ( Antioxidant Deficiency Disadvantages and Symptoms in Hindi)
शरीर में एंटीऑक्सीडेंट की न्यूनता से कई प्रकार की व्याधियाँ हो सकती हैं। इसकी कमी से प्रगट होने वाले लक्षण और नुकसान निम्नलिखित हैं –
- शरीर में थकान का बना रहना,
- याददाश्त का कमजोर होना,
- त्वचा संबंधी रोग,
- बालों की समस्याएं,
- घाव का न भरना,