पलाश (ढाक/टेसू) के फायदे, गुण और उपयोग – Palash (Dhaak/Tesu) ke Fayde in Hindi

Last Updated on May 27, 2023 by admin

भारत में टेसू का पेड़ सभी स्थान पर पाए जाते हैं। प्राचीन समय से इसका प्रयोग उपचार के लिए औषधि के रूप में किया जाता है। टेसू के पेड़ 150 से 450 सेंटीमीटर तक ऊंचे होते हैं। इसके पत्ते लगभग 6 इंच लम्बे होते हैं। इसकी छाल आधा इंच मोटी और खुरदरी होती है। गर्मियों के मौसम में इसकी छाल को काटने पर एक प्रकार का रस निकलता है जो जमने पर लाल गोंद जैसा पदार्थ बन जाता है। पलास के फूल चमकीले लाल व नारंगी रंग के होते हैं।

पलाश का विभिन्न भाषाओं में नाम :

हिंदी       ढाक, पलाश।
संस्कृत   पलास, किंशुक, ब्रह्मपादप, याज्ञिक, ब्रंहमवृक्ष, रक्तपुष्पक, याज्ञिक।
गुजरातीखाखरो।
मराठीपलस।
बंगाली पलाश।
तैलगुमोदुग।
मारवाड़ीछिबरो।
द्राविड़ीपेलाशं।
कन्नड़मुत्तुग

रासायनिक संघटन :

पलाश की छाल और गोंद में गैलिक ऐसिड, काइनोटैनिका ऐसिड, पिच्छिल द्रव्य तथा क्षार पाये जाते हैं। इसके बीजों में पलोसोनिन तथा स्थिर तेल पाया जाता है।

पलाश के गुण : 

  • पलाश के फूल का सेवन करने से शरीर को शक्ति मिलती है और प्यास दूर होती है। 
  • इसके सेवन से शरीर में खून की वृद्धि होती है, पेशाब खुलकर आता है।
  •  कुष्ठरोग, मौसमी बुखार, जलन, खांसी, पेट में गैस बनना, वीर्य सम्बंधी रोग, संग्रहणी (दस्त के साथ आंव आना), आंखों के रोग, रतौंधी, प्रमेह (वीर्य विकार), बवासीर तथा पीलिया आदि रोग इसके सेवन करने से ठीक हो जाते हैं।
  •  यह बलगम (कफ) पित्त को कम करता है। 
  • पेट के कीड़े को खत्म करता है तथा खून के प्रवाह को कम करता है। 
  • इसके गोंद का सेवन करने से एसिडिटी दूर हो जाती है। 
  • यह पाचन की शक्ति को बढ़ाता है। इसके पत्ते को सूजन पर लगाने से सूजन कम हो जाती है। 
  • यह भूख को बढ़ाता है, लीवर को मजूबूती प्रदान करता है तथा बलगम को कम करता है।
  • पलाश की जड़ का प्रयोग रतौंधी (रात में दिखाई न देना) को ठीक करने, आंख की सूजन को नष्ट करने तथा आंखों की रोशनी को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
  • पलाश (Dhaak /Tesu ) रस में कडुवा, तीखा, कषैला, गुण में छोटा, रूक्ष, गर्म प्रकृति का होता है।
  • इसका फूल-शीतल तथा कफ, वात शामक होता है।
  • यह बवासीर, अतिसार (दस्त), रक्त विकार तथा पेशाब में जलन को दूर करने वाला है ।
  • पलाश मधुमेह, नपुंसकता, गर्भ की रक्षा तथा पीड़ा को दूर करने वाला है ।
  • यह फोड़े-फुंसी और तिल्ली की सूजन में गुणकारी और लाभकारी है।

पलाश के फायदे और उपयोग : Benefits & Uses of Palash in Hindi

1. पेशाब संबंधी :  पलाश के फुल पेशाब संबंधी तकलीफे दूर कर देता है । ढाक के फूल को खौलते हुए पानी में डालकर निकाल लें। इसे गर्म ही नाभि के नीचे बांधने से पेशाब खुलकर आने लगता है।

2. आँख संबंधी :  आँखे  जलते हो 1-2 फुल घोट के पानी में पी लें ।

3. गरमी संबंधी :  तो पलाश के पुष्प का काढ़ा निकाल के पानी में थोडा मिश्री डालके पीने से गरमी भाग जाती है ।

5. गर्भवती को – एक पलाश का फुल पीसकर दूध मिलाके गर्भवती स्त्री को रोज पिलाओ तो बालक को बल भी बढ़ता है, वीर्य भी बढता है, संतान भी सुंदर होती है।और जिसको संतान नहीं वो भी पिये तो उनको संतान होने में मदद मिलती है ।

4. रतोंधी संबंधी : रात को नही देखने की रतोंधी की बिमारी शुरवात वाली उनके भी पलाश के फूलों के रस आँख में डालने से रात को नहीं दीखता है तो दिखने लगेगा ।

Dhaak Palash Tesu

6. बच्चे के पेट में कृमी हो तोपलाश के बीज 3 से 6 ग्राम चूर्ण सुबह दूध के साथ 3 दिन तक लें 4 थे दिन सुबह 10 से 15 मि.ली. एरंड का तेल गरम दूध में मिलाकर पिलाने से कृमि सब निकाल जाती है।

7. बच्चों के लिये – पपीते का नास्ता कराने से, पपीते के बीज खिलाने से बच्चे की पेट की तकलीफ ठीक होती है। पलाश के और बेल के सूखे पत्ते और गाय का घी और मिश्री सब मिलाके धूप करने से बुद्धि की शक्ति बहुत बढती है ।आश्रम में धूपबत्ती बनाई जाती है: पलाश के पत्ते, मिश्री, घी, बेल पत्ते से, गोचंदन उससे प्राणायम करने से बच्चों की बुद्धि बढती है ।

8. बवासीर हो तो – बवासीर है तो पलाश के पत्तों की सब्जी, घी और थोडा दही डाल के खाये तो बवासीर ठीक हो जाती है |

9. पेशाब में खून आता हो तो – पलाश की छाल, नाक से अथवा पेशाब से या शोच से खून आता हो तो पलाश के पेड़ की छाल का काढ़ा ५० ग्राम बनाकर उसको पिलाओ ठंडा करके मिश्री मिलाकर तो खून नाक से आता हो, पेशाब की जगह से आता हो, शोच की जगाह से आता हो खून बंद हो जायेगा ।

10. वीर्यवान बनना हो तो – पलाश का गोंद १ ग्राम से ३ ग्राम मिश्री युक्त दूध में घोल के पिलाओ तो वीर्यवान बनेगा, नामर्द भी मर्द बनेगा । कमजोर भी बलवान हो जायेगा ।

11. संग्रहणी हो तो – ये गोंद गरम पानी में घोलकर पीने से संग्रहणी मिट जाती है, दस्त मिट जाती है, आराम मिलता है।

12. कुष्ठरोग हो तो – पलाश के फुल कुष्ठरोग, दाह, वायु संबंधी बीमारी, पित्त, कफ, तृषार, रक्तदोष एवं मृतक्रुष आदि रोगों को भगाने में बड़ा काम करते है ।

13. रक्तसंचार के लिए – पलाश के फुलोंका प्राकृतिक नारंगी रंग रक्तसंचार में और रक्तवृद्धि में काम करता है ।

14. शक्तिवर्धक – मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के साथ–साथ मानसिक शक्ति और इच्छा शक्ति को बढाता है । पलाश का रंग शरीर की सप्तधातुओं और सप्तरंगों में संतुलन स्थापित करता है, त्वचा की सुरक्षा करता है तथा उष्णीय, गरम तापमान रहने की शक्ति देता है | इससे शरीर की गरमी सहन करने की योग्यता, क्षमता बढती है ।और जिनकी क्षमता नहीं वो चिडचिडे हो जाते है, गुस्सेबाज हो जाते है और गरमी संबंधी बिमारियों के शिकार हो जाते है ।जैसे पलाश के फूलों का रंग छिडकना चालु किया तो कालसर्प भी भाग जाता है और सूर्य की तीखी किरणों से भी रक्षा हो जाती है ।

15. बंदगांठ (गांठ) :

  • पलाश के पत्तों की पोटली बांधने से बंदगांठ में लाभ मिलता है।
  • पलाश के जड़ की तीन से पांच ग्राम छाल को दूध के साथ पीने से बंदगांठ में लाभ होता है।

16. पित्तशोथ (पित्त की सूजन) : पलाश के गोंद को पानी में गलाकर प्रतिदिन लेप करने से पित्तशोथ मिट जाती है।

17. अंडकोष की सूजन :

  • पलाश के फूल की पोटली बनाकर नाभि के नीचे बांधने से मूत्राशय (वह स्थान जहां पेशाब एकत्रित होता हैं) के रोग समाप्त हो जाते हैं और अंडकोष की सूजन भी नष्ट हो जाती है।
  • पलाश की छाल को पीसकर लगभग 4 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सुबह और शाम देने से अंडकोष का बढ़ना खत्म हो जाता है।

18. घाव : पलाश के गोंद का चूर्ण घाव पर छिड़कने से घाव ठीक हो जाता है।

19. दंश : पलाश के बीजों को दूध में घिसकर दंश पर लगाने से वेदना कम होकर आराम मिलता है।

20. दाद : ढाक के बीजों को नींबू के रस के साथ पीसकर दाद और खुजली पर लगाने से ये रोग ठीक हो जाते हैं।

21. नारू (बाला) : पलाश के बीज, कुचला के बीज, कपूर रस, सादा कपूर और गूगल इन सब औषधियों को थोड़ा लेकर महीन पीसकर पानी  के साथ खरल करके फिर एक पीपल के पत्ते पर उनका लेप करके उस पीपल के पत्ते को नारू के फोले के ऊपर बांध देना चाहिए। इस पट्टी को तीन दिन तक बांधने से नारू का कीड़ा जल्दी खत्म हो जाता है और रोग ठीक हो जाता है।

22. श्लीपद (हाथी पांव) : पलाश के जड़ के 100 मिलीलीटर रस को थोड़ा सा सफेद सरसों का तेल मिलाकर 2 चम्मच सुबह-शाम पीने से श्लीपद रोग में लाभ मिलता है।

23. निरोगी और दीर्घायु : पलाश के सूखे हुए पंचांग (जड़, तना, पत्ता, फल और फूल) को छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें। इसे शहद एवं घी साथ 1 चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम सेवन करने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाता है।

24. हैजा : पलाश के फल 10 ग्राम तथा कलमी शोरा 10 ग्राम दोनों को पानी में घिसकर या पीसकर लेप बना लें। फिर इसे रोगी के पेडू पर लगाएं। यह लेप रोगी के पेड़ू पर बार-बार लगाने से हैजा रोग ठीक हो जाता है।

25. वाजीकरण (सेक्स पावर) :

  • 5 से 6 बूंद पलाश के जड़ का रस प्रतिदिन 2 बार सेवन करने से अनैच्छिक वीर्यस्राव (शीघ्रपतन) रुक जाता है और काम शक्ति बढ़ती है।
  • पलाश के बीजों के तेल से लिंग की सीवन सुपारी छोड़कर शेष भाग पर मालिश करने से कुछ ही दिनों में हर तरह की नपुंसकता दूर होती है और कामशक्ति में वृद्धि होती है।

26. आंखों के रोग : पलाश की ताजी जड़ का 1 बूंद रस आंखों में डालने से आंख की झांक, खील, फूली मोतियाबिंद तथा रतौंधी आदि प्रकार के आंखों के रोग ठीक हो जाते हैं।

27. नकसीर  (नाक से खून आना) : पलाश के 5 से 7 फूलों को रात भर ठंडे पानी में भिगोएं। सुबह के समय में इस पानी से निकाल दें और पानी को छानकर उसमें थोड़ी सी मिश्री मिलाकर पी लें इससे नकसीर में लाभ मिलता है।

28. मिर्गी : 4 से 5 बूंद पलाश की जड़ों का रस नाक में डालने से मिर्गी का दौरा बंद हो जाता है।

29. गलगण्ड (घेंघा) रोग : पलाश की जड़ को घिसकर कान के नीचे लेप करने से गलगण्ड मिटता है।

30. मंदाग्नि : 4 से 5 बूंद पलाश की ताजा जड़ों का रस नागरबेल के पत्ते में रखकर सेवन करने भूख खुलकर आती है।

31. अफारा (पेट में गैस बनना) : पलाश की छाल और शुंठी का काढ़ा 40 मिलीलीटर की मात्रा सुबह और शाम पीने से अफारा और पेट का दर्द नष्ट हो जाता है।

32. उदरकृमि (पेट के कीड़े) : पलाश के बीज, कबीला, अजवायन, वायविडंग, निसात तथा किरमानी को थोड़े सी मात्रा में मिलाकर बारीक पीसकर रख लें। इसे लगभग 3 ग्राम की मात्रा में गुड़ के साथ देने से पेट में सभी तरह के कीड़े खत्म हो जाते हैं। पलाश के बीजों के चूर्ण को 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 2 बार सेवन करने से पेट के सभी कीड़े मरकर बाहर आ जाते हैं।

33. प्रमेह (वीर्य विकार) :

  • पलाश की मुंहमुदी (बिल्कुल नई) कोपलों को छाया में सुखाकर कूट-छानकर गुड़ में मिलाकर लगभग 10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से प्रमेह नष्ट हो जाता है।
  • पलाश की जड़ का रस निकालकर उस रस में 3 दिन तक गेहूं के दाने को भिगो दें। उसके बाद दोनों को पीसकर हलवा बनाकर खाने से प्रमेह, शीघ्रपतन (धातु का जल्दी निकल जाना) और कामशक्ति की कमजोरी दूर होती है

34. रक्तार्श (खूनी बवासीर) : पलाश के पंचाग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) की राख लगभग 15 ग्राम तक गुनगुने घी के साथ सेवन करने से खूनी बवासीर में आराम होता है। इसके कुछ दिन लगातार खाने से  बवासीर के मस्से सूख जाते हैं।

35. अर्श (बवासीर) : बवासीर में पलाश के ताजे पत्तों में घी की छौंका लगाकर दही की मलाई के साथ खाने से बवासीर में लाभ मिलता है।

36. अतिसार (दस्त) :

  • पलाश के गोंद लगभग 650 मिलीग्राम से लेकर 2 ग्राम तक लेकर उसमें थोड़ी दालचीनी और अफीम (चावल के एक दाने के बराबर) मिलाकर खाने से दस्त आना बंद हो जाता है।
  • पलाश के बीजों का क्वाथ (काढ़ा) एक चम्मच, बकरी का दूध 1 चम्मच दोनों को मिलाकर खाने के बाद दिन में 3 बार खाने से अतिसार में लाभ मिलता है।

37. मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट या जलन) :

  • लगभग 20 ग्राम पलाश के फूल रात भर 200 मिलीलीटर ठंडे पानी में भिगो दें। सुबह के समय में इस पानी में थोड़ी सी मिश्री मिलाकर पीने से गुर्दे का दर्द और मूत्र के साथ खून आना बंद हो जाता है।
  • पलाश के फूलों को पानी में डालकर उबालकर छान लें और इसे गर्म ही पेडू (नाभि) पर रखकर बांध दें इससे रुका हुआ पेशाब, वृक्क शूल और सूजन नष्ट हो जाता है।
  • पलाश की सूखी हुई कोंपले, गोंद, छाल और फूलों को मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में थोड़ी मिश्री मिलाकर लगभग 10 ग्राम की मात्रा प्रतिदिन दूध के साथ शाम को लेने से पेशाब करने पर होने वाले कष्ट दूर हो जाते हैं।

38. सूजन : पलाश के फूल की पोटली बनाकर बांधने से सूजन नष्ट हो जाती है।

39. सन्धिवात (जोड़ों का दर्द) : पलाश के बीजों को बारीक पीसकर शहद के साथ दर्द वाले स्थान पर लेप करने से संधिवात में लाभ मिलता है।

अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।

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