Harmal in Hindi | हरमल के फायदे ,गुण ,उपयोग और दुष्प्रभाव

Last Updated on February 15, 2020 by admin

हरमल क्या है और यह कहाँ पाया जाता है ?: Peganum harmala (Syrian Rue) in Hindi

हरमल बहुत ही उपयोगी आयुर्वेदिक वनस्पति है । गोक्षुरकुल (जाइगोफाइलेसी) की वनौषधि हरमल के पौधे भारत में कश्मीर, पंजाब, बिहार, राजस्थान, गुजरात, उत्तरप्रदेश आदि प्रान्तों में पाये जाते हैं। हरमल वैसे ईरान का आदिवासी पौधा है। ईरान से ही इसका प्रसार हुआ है। अरब एवं उत्तरी अफ्रीका में यह विशेष होता है।

हरमल का पौधा कैसा होता है ?

हरमल का पौधा एक से तीन फुट ऊंचा होता हैं।

हरमल के पत्ते – इसके पत्र 2-3 लम्बे तथा बहुखंडित होते हैं।
हरमल के पुष्प – इसके फूल सफेद रंग के तथा सवृन्त या अवृन्त होते हैं।
हरमल के फल – इसके फल गोलाकार, ऊपर की ओर दबा हुआ, स्पष्टतः त्रिखडीय और त्रिकोष्ठीय होता है। प्रत्येक कोष्ठ में एक-एक त्रिकोणाकार धूसर वर्ण का बीज होता है। इन बीजों को मसलने से तम्बाकू के समान गन्ध आती है। इसके पौधों पर जुलाई में पुष्प तथा सितम्बर में फल आते हैं।

हरमल के प्रकार :

वर्णभेद से यह दो प्रकार का होता है।

  1. श्वेत – इसे इस्पंद।
  2. रक्त – इसे इस्पंद सोख्तनी (सोख्ती) कहते हैं। यह उत्तम होने से इसका प्रयोग ही विशेष होता है।

हरमल का विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Peganum harmala in Different Languages

Peganum harmala (Syrian Rue) in –

  • हिन्दी (Hindi) – हरमल, इस्वंद।
  • गुजराती (Gujarati) – हरमर, हर्मरो
  • बंगाली (Bangali) – इस्वांध।
  • अरबी (Arbi) – हरमला
  • इंगलिश (English) – सीरिअन रु (Syrian Rue) ..
  • लैटिन (Latin) – पेगानम हर्मला (Peganum Harmala Linn)

हरमल का रासायनिक विश्लेषण : Harmal Chemical Constituents

हरमल के बीजों में हर्मलीन, हर्मीन, हर्मेलोल, हर्मेगागीन नामक एल्केलाइड्स पाये जाते हैं। बीजों में एक भूरे-पीले रंग का तेल होता है।

हरमल के औषधीय गुण : Harmal ke Aushadhi Gun in Hindi

रस – तिक्त, कटु
गुण – लघु,रुक्ष
वीर्य – उष्ण,
विपाक – कटु
दोष कर्म – कफवातशामक, पित्तवर्धक।
अन्य कर्म – गर्भाशय संकोचन, आर्तवजनन, स्तन्यवर्धक, बाजीकरण, मूत्रल, ज्वरघ्न, कुष्ठघ्न, कफनिस्सारक, रक्तशोधक, वातानुलोमन, शूल प्रशमन, कृमिघ्न, निद्राजनन, मादक, वेदनास्थापन तथा जन्तुघ्न है।

यूनानी मतानुसार – यह तीसरे दर्जे में गरम और दूसरे दर्जे में खुश्क है। यह शीत प्रकृति एवं सौदा प्रकृति वालों के लिये लाभदायक है।

हरमल का उपयोगी भाग : Useful Parts of Harmal in Hindi

प्रयोज्यांग – बीज

सेवन की मात्रा :

1 से 3 ग्राम

हरमल का उपयोग : Uses of Harmal in Hindi

  1. हकीम दलजीत सिंह जी ने यूनानी द्रव्यगुण ‘विज्ञान में इसका उल्लेख करते हुए लिखा है कि हरमल का बाजीकरण के लिये उपयोग करते हैं ।
  2. इसके अतिरिक्त यह श्वासकास में कफ का उत्सर्ग कराने और मतिसक के सम्बन्धित विकारों तथा वात व्याधियों में दोष को दूर करने व अंगों को उष्णता प्रदान करने के लिये अभिप्राय से प्रयुक्त करते हैं।
  3. डाक्टर वामनगणेश देसाई के मतानुसार यह आक्षेपहर, निद्रापद, वेदनाशामक, आविजनन और दुग्धवर्धक है।
  4. बड़ी मात्रा में देने से जम्भाई आकर वमन होता है।
  5. इससे गांजा के समान नशा होता है।
  6. इसकी गर्भाशय पर क्रिया अर्गट या सिताब के समान होती है।
  7. यह स्त्रियों और पुरुषों के लिये कुछ कामोत्तेजक है।
  8. इसकी क्रिया रक्ताणुओं के जीवन द्रव्य (Protoplasm) पर क्विनाइन के समान होती है।
  9. यह मुख्यत: वात और कफ प्रधान रोगों में दी जाती है।
  10. आमवात में सोडासेलिसिलास की अपेक्षा इसके सेवन से जल्दी वेदना कम होती है।
  11. संक्रामक रोगियों के कमरे में तथा प्रसूता के गृह में हरमल को जलाकर धुंआ करना चाहिये।
  12. इससे दुर्गन्ध दूर होती है तथा कोथजन्य (गैंगरीन) कीटाणु नष्ट होते हैं।
  13. डा. मुदीन शरीफ के मतानुसार इसके पत्तों का क्वाथ वातरोगों में उपयोगी है।
  14. बीज चूर्ण के प्रयोग से स्त्रियों का ऋतुस्राव नहीं होता है।
  15. इसकी शक्ति अर्गट व सेविना के तुल्य है। इसके गुण क्वीनाइन के समान हैं।इसकी अपेक्षा और कोई ज्वर नाशक औषधि नहीं है।

हरमल के फायदे व औषधीय प्रयोग : Benefits of Harmal in Hindi

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श्वास रोग में हरमल से फायदा

हरमल बीज चूर्ण को मधु के साथ देने से श्लेष्मा (बलगम) का निर्हरण होने से श्वास कास(खाँसी) के रोगी को लाभ मिलता है। इसके लिये हरमल 10 ग्राम को 250 मिली. जल में पकाना चाहिये जब पानी 125 मिली रह जाय तब उसे छानकर उमसें 5-10 ग्राम नमक मिलाकर थोड़ा थोड़ा कर पीना चाहिये। इसके लिये क्वाथ में मधु (शहद) और तिल तेल मिलाकर भी पिलाते है।

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दांतों का दर्द मिटाए हरमल का उपयोग

हरमल के बीजों का धूपन (धूप देना) करते है। इससे दन्तशूल में आराम मिलता है।

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कान के दर्द (कर्णशूल) में लाभकारी है हरमल का प्रयोग

बीजों से सिद्ध तेल का कर्णपूरण (औषधसिद्ध तैल से कान भर देना) किया जाता है। बीजों को जैतून के तेल में पीसकर छानकर इसे डालने से भी कर्णशूल मिटता है।

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अनिद्रा में लाभकारी हरमल

2-3 ग्राम हरमल बीजों के चूर्ण को शहद में मिलाकर सेवन करने से शांत निद्रा आती है।

मासिक धर्म के कष्ट (कष्टार्तव) में हरमल के सेवन से लाभ

मासिक धर्म कष्ट के साथ होना, मासिक धर्म खुलकर नहीं होना, या मासिक धर्म समय पर नहीं होना। ऐसी स्थितियों में हरमल बीजों के चूर्ण के साथ बराबर मात्रा में तिल मिलाकर सेवन करने से स्त्रियों की ये शिकायतें दूर होती हैं और इनके कारण होने वाले निर्बलता, सिर में भारीपन, कमर में दर्द आदि लक्षण समाप्त होते हैं। इनका सेवन दिन में तीन बार, तीन-चार माह तक करना चाहिये। अथवा मासिक धर्म होने से एक सप्ताह पहले और मासिक हो जाने के बाद तक एक सप्ताह तक देना चाहिये।

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मूत्रकृच्छ में लाभकारी हरमल

मूत्रमार्ग के शोथ (सूजन) हो जाने से कभी-कभी पेशाब कष्ट के साथ उतरता है ऐसी स्थिति में हरमल का फांट या हरमल चूर्ण शहद के साथ दिन में तीन बार या थोड़ी-थोड़ी देर से सेवन कराना चाहिये।

सूतिका रोग (प्रसव के बाद महिलाओं के रोग) में हरमल का उपयोग लाभदायक

स्त्रियों में प्रसूतिकाल में वातप्रकोप के कारण मांसपेशियों में खिंचाव होता है।
बार-बार डकारें आती हैं और भोजन के प्रति अरुचि रहती है। ऐसी स्थिति में दिन में तीन बार हरमल का फांट कुछ दिनों तक देने से लाभ होता है।

वातरोग दूर करने में हरमल फायदेमंद

आक्षेप, गृध्रसी, आमवात आदि में हरमल का क्वाथ बनाकर पिलाने से लाभ होता है। पानी 200 मिली में 8-10 ग्राम हरमल डालकर क्वाथ विधि से क्वाथ तैयार करना चाहिये। चतुर्थाश जल शेष रहने पर उसे छानकर 2-3 बार में कवोष्ण (हल्का गर्म) ही पीना चाहिये।

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जू-लीख (यूका-लिक्षा) मिटाता है हरमल

केशों में उत्पन्न यूका (जू) लिक्षा (लीख) आदि को नष्ट करने के लिये हरमल को सरसों के तेल में पीसकर बालों में लगाना चाहिये।

हिचकी में लाभकारी है हरमल का प्रयोग

3 ग्राम चूर्ण को शहद में मिलाकर रोगी को चटाना चाहिये। यह प्रयोग 1-1 घंटे के अन्तराल से 3-4 बार सेवन कराना चाहिये।

कास(खाँसी) में लाभकारी है हरमल का प्रयोग

हरमल के बीज और अलसी के बीजों को पीसकर उसमें शहद मिलाकर थोड़ी-थोड़ी देर में चटाने से खाँसी और श्वासकृच्छ्रता का शमन होता है।

पेट दर्द (उदरशूल) दूर करने में हरमल फायदेमंद

सोये के तैल में हरमल का चूर्ण मिलाकर नाभि के चारों ओर लेप करने से उदरशूल (कुलंज) नष्ट होता है। तथा अन्त्रस्थ प्रकुपित वायु का शमन होता है।

कमजोरी दूर करने में हरमल फायदेमंद

हरमल के चूर्ण को पानी और घी के साथ हरीरे (औटे दूध में मेवा आदि मिलाकर बनाया गया स्वादिष्ट पेय) की भांति पकाकर पीते रहने से दुर्बलता दूर होती है। शरीर का रंग निखरता है और शरीर में उष्णता का संचार होता है।

हरमल के दुष्प्रभाव : Harmal ke Nuksan in Hindi

peganum harmala side effects in hindi -इसके अधिक मात्रा में सेवन से शरीर में दाह (जलन), मद (नशा), मोह (भ्रांति) जैसी परेशानियां उत्पन्न हो सकती है ।

निवारण – मधुर पानक (एक प्रकार का पेय), अम्लरस

(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)

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