Last Updated on January 3, 2020 by admin
कठगूलर (कठूमर) क्या है ? : Ficus hispida (Hairy Fig) in Hindi
यह वनस्पति सारे भारतवर्ष और सीलोन में पैदा होती है । यह गूलर की जाति का एक वृक्ष होता है पर इसके पत्ते गूलर के पत्तों से बड़े होते हैं । इसके पत्तों को छूने से हाथ में खुजली होने लगती है । इस औषधि के पौधे दो से तीन हाथ तक ऊचे रहते हैं। इसके पत्तों की लम्बाई एक से देड फुट तक चौड़ाई आधे से पौन फुट तक होती है, इसके फल अंजीर या गूलर के फल की तरह होते हैं और झाड़ में से फूटते हैं ।
कठगूलर (कठूमर) का विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Ficus hispida (Hairy Fig) in Different Languages
Hairy Fig in –
✦ संस्कृत (Sanskrit) – काकोदुम्बरिका, खरपत्रिका, फल्गुबटिका इत्यादि
✦ हिन्दी (Hindi) – कटूमर, गोबला, कठगुलरिया
✦ बंगला (Bengali) – काकडूमर
✦ मराठी (Marathi) – कालाऊमर
✦ गुजराती (Gujarati) – जंगली अंजीर, टेढ़ ऊमरो
✦ फ़ारसी (Farsi) – अंगीरेदस्ती
✦ अरबी (Arbi) – तनबरिं
✦ लैटिन (Latin) – Ficus Hispida (फिकस हिसपिडा )
कठगूलर (कठूमर) के औषधीय गुण : Medicinal Properties of Hairy Fig in Hindi
- आयुर्वेदिक मत से कठगूलर शीतल, कड़वी और कसेली होती है ।
- यह संकोचक और रक्तातिसार में लाभ पहुँचाती है ।
- चर्मरोग और रक्तपित्त, कफ, श्वेतकुष्ठ, पांडुरोग, बवासीर,कामला और सूजन में यह लाभदायक है ।
- इसका फल मीठा, सुस्वादु, शीतल, तृप्तिकारक, कामोद्दीपक पचने में मधुर, वातकारक और ग्राही होता है ।
- यह माता के स्तनों में दूध पैदा करता है।
- डाक्टर मुडीन शरीफ के मतानुसार इसके फल, बीज जोर छाल एक उत्तम वमन कारक औषधि है।
यूनानी मतानुसार कठगूलर के उपयोग : Medicinal uses of Ficus hispida (Hairy Fig) in Hindi
- बस्तानी अंजीर से यह जंगली अंजीर बहुत तेज और सख्त होता है।
- इसका लेप सफेद दाग, स्याह दाग और दाद में मुफीद है।
- इसके पत्तों को पीसकर तन्तुओं और मस्सों पर लगाने से बड़ा लाभ होता है।
- सिर की गंज पर इसके कच्चे फलों को सिरके और नमक के साथ लगाने से लाभ होता है।
इसका चूर्ण, क्वाथ और आसक ये तीन बनावटें विशेष रूप से प्रयोग में आती हैं ।
चूर्ण – इसकी जड़ को पीस कर कपड़छान करके उस चूर्ण को इसके पंचांग के स्वरस की तीन भावनाएं देकर तैयार करना चाहिये ।
क्वाथ – इसकी जड़ 30 ग्राम लेकर सवा पाव पानी में रात को मिट्टी के बर्तन में भिगो देना चाहिये । सबेरे उसे उबाल कर जब चौथाई पानी शेष रहे तब छान कर एक तोला शहद मिला कर शीशी में भर लेना चाहिये । इस को दिन में तीन बार पिलाना चाहिये।
टेबलेट (गोली) – इसकी जड़ 120 ग्राम , मुलेठी 60 ग्राम , आकड़े (मदार) के सूखे फूल 12 ग्राम , लौंग 12 ग्राम और काली मिर्च 12 ग्राम । इन सबका कपड़छान चूर्ण करके बढ़िया शहद में 1-1 ग्राम की गोलियां बना लेना चाहिये । इसकी मात्रा दो से चार गोली तक की है।
आसव – काठ गूलर की जड़ 130 तोला, मुलेठी 40 तोला, बेल की जड़ 10 तोला, अडूसे की जड़ दस तोला, गोखरू दस तोला । इन सबको जौकुट करके 25 सेर पानी में औटाना चाहिये । जब 12 सेर पानी रह जाय तब उसको छानकर उसमें कबाब चीनी तीन तोला, सोंठ तीन तोला, पीपर तीन तोला, मिर्च तीन तोला, जायफल तीन तोला, चन्दन का बुरादा तीन तोला, चित्रक मूल तीन तोला, लौंग तीन तोला, काली द्राक्ष 25 तोला और धावड़ी के फूल 25 तोला । ये सब कूटकर मिला देना चाहिये। इसके साथ पांच सेर गुड़ मिलाकर खूब हिला देना चाहिये । पीछे चीनी की बर्नियों में भरकर 20 दिन तक पड़ा रहने देना चाहिये, तब आसव तैयार हो जायगा।
( मापा : – 1 तोला = 12 ग्राम , 1 सेर = 4 पाव )
रोग उपचार में कठगूलर के फायदे : Hairy Fig Benefits in Hindi
रक्तपित्त और बवासीर में कठगूलर के लाभ (Benefits of Hairy Fig in Piles Treatment in Hindi)
इसका ऊपर बताया हुआ चूर्ण 3 ग्राम शहद और घी के साथ चटाने से, अथवा इसके आसव के प्रयोग से भयंकर रक्तपित्त (शरीर के चाहे जिस अङ्ग से बहने वाला खून ) रुकता है । बबासीर का दर्द मिटता है । खून को बन्द करने में यह चीज बहुत ही अक्सीर है । 15 – 30 दिन उपयोग करना चाहिये।
( और पढ़े – खूनी बवासीर का रामबाण इलाज )
पीलिया में कठगूलर का उपयोग फायदेमंद (Ficus hispida Uses to Cures Jaundice in Hindi)
इसके आसव के साथ तीन ग्राम कुटकी का चूर्ण दिन में दो बार देने से पाण्डु रोग व कामला मिटता है।
रक्त विकार में कठगूलर से फायदा (Ficus hispida Uses to Cures Blood Disorder in Hindi)
इसका काढ़ा अथवा आसव एक मास तक पीने से खाज-खुजली, फोड़े-फुन्सी, दाद, खून की गरमी वगैरह तमाम त्वचा के रोग मिटते हैं ।
( और पढ़े – खून की खराबी दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय )
प्रमेह में आराम दिलाए कठगूलर का सेवन
इसके क्वाथ और आसव के सेवन से पेशाब के तमाम रोग, सुजाक, जलन, वीर्यस्राव और पित्त प्रमेह मिट जाते हैं । मूत्रनाली साफ होती है ।
खांसी में कठगूलर का उपयोग लाभदायक (Hairy Fig Benefits to Cure Cough Problem in Hindi)
इसकी ऊपर लिखी हुई गोलियों के सेवन करने से हर तरह की खांसी, छाती का दर्द और छाती की जलन मिटती है। हरड के चूर्ण के साथ इन गोलियों के सेवन करने से बैठा हुआ कंठ खुल जाता है। इसके आसव का मंडूर भस्म के साथ सेवन करने से क्षय रोग में भी लाभ होता है।
गर्भिणी की उबाक में कठगूलर के इस्तेमाल से लाभ
इसकी ऊपर बताई हुई गोलियों के सेवन करने से गर्भिणी को होनेवाली उबाक और उलटियाँ मिट जाती हैं।
दुष्ट व्रण ठीक करने में करने में कठगूलर फायदेमंद
न भरने वाले घाव और व्रणों में इसकी जड़ का चूर्ण दबाने से और इसके क्वाथ से उनको धोने से घाव भर जाते हैं।
भगन्दर मिटाता है कठगूलर (Hairy Fig Benefits to Cure Fistula in Hindi)
इसकी जड़ को जला कर, उसकी राख को इसके पंचांग के काढ़े की चार भावना देकर उस राख को सुखा कर 100 बार धोये हुये घी में उस राख को मिलाकर मलहम बना लेना चाहिये। इस मलहम में जितना इसका वजन हो उससे आधी स्याही (शाहिल / Porcupine) के (एक जानवर होता है । जो जंगल में रहता है उस पर लम्बेलम्बे कांटे होते हैं ) कांटों की राख मिलाकर भयंकर विस्फोटक, नासूर, भगन्दर इत्यादि दुष्ट व्रणों पर लगाने से आश्चर्य जनक लाभ होता है।
ज्वर में फायदेमंद कठगूलर का औषधीय गुण (Benefits of Hairy Fig in Fever in Hindi)
इसकी छाल के चूर्ण को 5 ग्राम से 2 ग्राम तक की मात्रा में दिन में तीन-चार बार देने से बारी से आने वाला ज्वर मिट जाता है।
गांठ ठीक करने में कठगूलर करता है मदद
इसके फलों का पुल्टिस (मोटा लेप) बना कर बद गांठ पर बांधने से लाभ होता है ।
गर्भपात से रक्षा करे कठगूलर का उपयोग
इसके फलों को खाने से गर्भपात का होना बन्द हो जाता है।
प्रदर रोग में कठगूलर से फायदा
इसके फलों को चूर्ण में बराबर शक्कर और शहद मिला कर मोदक बांध कर खिलाने से प्रदर रोग मिटता है।
कुत्ते का विष दूर करने में कठगूलर फायदेमंद
इसकी जड़ और धतूरे के बीजों को चावलों के पानी के साथ पीसकर पिलाने से कुत्ते का जहर उतर जाता है।
वमन में लाभकारी कठगूलर
इसके पके हुये फलों के बीजों का चूर्ण चार ग्राम की मात्रा में गरम पानी के साथ देने से वमन हो जाती है।
प्रमेह में लाभप्रद कठगूलर का प्रयोग
इसकी बड़ी जाति के फल के सेवन से प्रमेह और रक्त प्रदर में लाभ होता है ।
कठगूलर के दुष्प्रभाव : Side Effects of Hairy Fig in Hindi
- कठगूलर के उपयोग से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
- इसके पत्तों को छूने से हाथ में खुजली होने लगती है ।
- इसका दूध जहरीला होता है, इसलिये इसका उपयोग समझ बूझ कर करना चाहिये ।
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