Loban in Hindi लोबान के फायदे उपयोग गुण और दुष्प्रभाव

Last Updated on January 19, 2020 by admin

लोबान क्या है ? : What is Loban in Hindi

लोध्रकुल (स्टीरासे) की वनौषधि विशेष से प्राप्त निर्यास (गोंद) को लोबान कहते हैं। यह वृक्ष थाइलैण्ड, जावा, सुमात्रा में पाये जाते हैं। ये वृक्ष जब 6 वर्ष की आयु के होते हैं तब इनकी छाल पर चीरा लगाकर निर्यास प्राप्त किया जाता है। ये वृक्ष 15 वर्ष के हो जाने तक निर्यास निसृत करते हैं। एक वृक्ष से लगभग 10 किलो लोबान प्राप्त किया जाता है।

लोबान का पेड़ कैसा होता है ? :

लोबान का वृक्ष मध्यम कद का होता है। यह वृक्ष घनी, शाखाओं से आवृत होता है।
पत्र – 3 से 5 इंच लम्बे, गोलाकार, शाखा के दोनों ओर होते हैं।
पुष्प – एकाकी या गुच्छों में होते हैं। पुष्प दण्ड और बहिर्दल सघन, श्वेत, रोमश होते हैं, अन्तर्दल 1/3 इंच लम्बा होता है।

इसका निर्यास (गोंद) बबूल के गोंद की तरह श्वेतवर्ण या रक्ताभ, मोती के समान चमकीला, दानेदार या चित्रित बादाम या कौड़ी के आकार का होता है। इसके टुकड़े एक दूसरे से चिपके रहते हैं जो लोवान आसानी से टूट जाता है और उष्णता पाकर मुलायम हो जाता है तथा फिर जलने लगता है।

उक्त स्टिरेक्स बेंजोइन वृक्ष के अतिरिक्त स्टिरेक्स पाराल्लेलोतेउरुम (S. Paralleloneurm Perkins) वृक्ष से प्राप्त लोबान को कौडियालोबान या सुमात्रा लोबान (Sumatra Benzoin) कहते हैं। भारत में इस लोबान का आयात मुख्यतः पेनाग (सुमात्रा) से होता है। इसी जाति का एक वृक्ष मुख्यतः स्याम (थाइलैण्ड) में पाया जाता है। जिसका वानस्पतिक नाम स्टिरेक्स टोकिनेन्सिस (S. Tonkinensis craib) है, इससे प्राप्त लोबान को स्याम लोबान (Siam Benzoin) कहते हैं। इस लोबान को उत्तम माना गया है।

लोबान का विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Loban in Different Languages

Loban in –

संस्कृत (Sanskrit) – लोहबाणः
हिन्दी (Hindi) – लोबान
मराठी (Marathi) – ऊद
गुजराती (Gujarati) – लोबान
तामिल (Tamil) – शाम्बिरानी
फ़ारसी (Farsi) – हस्नलुब
अंग्रेजी (English) – बेंजोइन (Benzoin)
लैटिन (Latin) – स्टिरेक्स बेन्जोइन (Styrax Benzoin Dryand)

लोबान का रासायनिक संगठन :

इसमें लोबानाम्ल या बेंजोइक एसिड सिन्नेमिक एसिड एवं वैनिल्लिन ये तीन राल और उत्पत् तैल तत्व पाये जाते हैं।

लोबान के औषधीय गुण : Loban ke Gun in Hindi

रस – मधुर, तिक्त।
गुण – रुक्ष, लघु।
वीर्य – उष्ण।
विपाक – मधुर।
दोषकर्म – कफवातशामक, पित्तवर्धक।
प्रयोज्यांग – निर्यास (गोंद)।

लोबान की खुराक :

लोबान – 500 मिग्रा. एक मात्रा

लोबान सत्व – 125 मिग्रा.

लोबान के उपयोग : Medicinal Uses of Loban in Hindi

बलासवातग्रहवान्तिहिक्का
शिरोऽर्तिशैथिल्यमयं निमित्तम्।
भेत्तुं क्षमः स्निग्ध बलक्षतीक्ष्णो
मया प्रयुक्तः खलु लोहबाणः।।
(सि.भे. म. मा.)

  • यह कफनि:सारक कफदुर्गन्ध नाशक होने से जीर्ण कास, श्वास, क्षय ओर प्रतिश्याय आदि में उपयोगी है।
  • इसके सेवन करने से कफ आसानी से निकल जाता है। कफ की उत्पत्ति कम होती है। और कफ की दुर्गन्ध नष्ट होती है। इन रोगों में इसका धूम्रपान भी किया जाता है।
  • ज्वरघ्न होने से ज्वर में तथा वातशामक, वेदनास्थापन होने से वातरोगों में यह लाभदायक कहा गया है।
  • यह मूत्रल होने से मूत्रकृच्छ (मूत्र रुक रुककर होने का एक रोग), बस्तिशोथ, पूयमेह में हितकाकर है।
  • कामोत्तेजना के लिये भी इसे उपयोग में लाते हैं।
  • स्त्रियों के श्वेतप्रदर में इसकी वर्ति (बत्ती) बनाकर देते हैं।
  • यह गर्भाशय के शोथ (सूजन) को भी दूर करता है।
  • यह त्वचा की रक्तवाहिनियों को उत्तेजित करता है और पसीना लाता है।
  • इसका उत्सर्ग फुफ्फुस(फेफड़ें),वृक्क (किडनी) और त्वचा से होता है। त्वचा के रोगों और वायु के रोगों में इसका बाह्य लेप भी किया जाता है।
  • बाजीकरण के लिये इसका शिश्न पर लेप करते हैं।
  • loban jalane ke fayde – लोबान को हिन्दु, मुसलमान, बौद्ध, ईसाई, अपने घरों में एवं उपासना स्थलों पर आग पर डाल धुंआ करते हैं जिससे वातावरण शुद्ध होता है।
  • पाश्चात्य द्रव्यगुणविज्ञान (मेटीरिया मेडिका) को लेखक श्री रामसुशील सिंह इसके गुण धर्म लिखते हैं-
    स्थानिक प्रयोग से लोबान (बेंजोइन) एवं लोबानाम्ल (बेंजोइक एसिड) जीवाणु वृद्धिरोधक (एन्टिसेप्टिक), तृणाणुस्तम्भक Bacteriostaic तथा छत्राणुवृद्धि रोधक (Fungistatic) प्रभाव करते हैं।
  • आभ्यन्तर प्रयोग से बेंजोइक एसिड आंत्र में जीवाणु नाशक (disinfectant) प्रभाव करता है।
  • एसिड की अपेक्षा लवण यौगिक (Salts) कम क्षोमक होते हैं। अतएव चिकित्सा व्यवहार की दृष्टि से अधिक उपयोगी है।
  • अधिक मात्रा में मुख द्वारा सेवन करने से आंतों में साधारण क्षोभक प्रभाव कर सकते हैं।
  • मुख द्वारा सेवन करने पर बेंजोइक एसिड तथा बेंजोएट्स तापक्रम को कम करते हैं (Antipyretic) हैं।
  • बेंजोइन तथा सोडियम बेंजोएट कफनिस्सारक (Expectorant) तथा श्वास प्रणालिका विशोधक होते है। इनकी उक्त क्रिया में धूम्राध्राणन (Inhalaion) के रूप में स्थानिक प्रयोग से तथा मुख द्वारा सेवन किये जाने पर दोनों ही प्रकार से होती है। इससे बलगम ढीला होता है। तथा दुर्गन्धित एवं दूषित कफ का शोधन होता है।
  • ज्वरहर, कफोत्सारि तथा कफशोधक क्रियाओं को ही दृष्टिकोण में रखकर इसका प्रयोग यक्ष्मा आदि में किया जाता है।
  • बेंजोइक एसिड तथा इसके लवण सेवन किये जाने पर शोषणोपरान्त यकृत में पहुंचकर ग्लाइसिन के साथ संयुक्त होकर हिप्यूरिक एसिड (HippuricAcid) के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं और शरीर से इसका निस्सरण इसी रूप में प्रधानतः मूत्रमार्ग से होता है। हिप्यूरिक एसिड उत्सर्ग के समय वृक्काणुओं पर उत्तेजक प्रभाव करता है तथा क्षारीय
  • मूत्र को आम्लिक बनाने में सहायता करता है। इसके अतिरिक्त मूत्र मार्ग पर जीवाणुनाशक प्रभाव भी करता है।

यूनानी मतानुसार लोबान के लाभ : Loban ke Labh in Hindi

  1. यूनानी मतानुसार यह दूसरे दर्जे में गरम और पहले दर्जे में खुश्क है।
  2. यूनानी चिकित्सा सागर के लेखक श्री मंसाराम शुक्ल ने लिखा है कि- व्रणों के लिये मरहम बनाकर इसे उपयोग में लाते हैं।
  3. कफ को निकालने के लिये तथा फेफड़ों को शुद्ध करने के लिये इसका धूम्र कास, श्वास तथा यक्ष्मा के रोगी को दिया जाता है।
  4. इसके खिलाने से पसीना आकर ज्वर उतर जाता है।
  5. शोथघ्न (सूजन दूर करने वाला) होने से शोथ पर तथा अर्दित, पक्षाघात, गृध्रसी आदि में इसका लेप किया जाता है इसका जौहर (सत्व) भी बनाया जाता है, जो कि लोबान से अधिक गुणप्रद है।
  6. शोथ (सूजन) नाशक तथा बाजीकरण इसके विशेष गुण हैं।

लोबान सत्व बनाने की विधि :

लोबान में एक अम्ल स्वभावी द्रव्य होता है, जिसे लोबान का फूल कहते हैं।सुमात्रा के लोबान की अपेक्षा स्याम के लोबान में ये फूल अधिक रहते हैं। ये गर्मी पाकर उड़ जाते हैं। इसे निकालने की विधि इस प्रकार है। –

लोबान का चूर्ण एक किलो, स्वच्छ धुली हुई बालू रेत 250 ग्राम दोनों को अच्छी तरह से मिलाकर एक मिट्टी की हंडिया के अन्दर रख देना चाहिये। इस हंडिया के ऊपर एक दूसरी हंडिया डमरुयन्त्र कर देनी चाहिये। फिर इस डमरु यंत्र को कोयले की आंच
पर रख देना चाहिये। किन्तु ध्यान रहे आंच बहुत हल्की न हो। इस प्रकार करने से नीचे की हंडिया से लोबान के फूल उड़कर ऊपर की हंडिया में जम जाते हैं। पूरी क्रिया होने पर उस यंत्र को बहुत धीरे से उतार कर ऊपर की हंडिया को अलग करके उसके अन्दर जमे हुए सफेद कणों को निकाल लेना चाहिये। ये ही लोबान के फूल हैं। एक किलो लोबान में से लगभग 150 ग्राम लोबान फूल निकलते हैं।

यह लोबान का फूल ही लोबान सत्व या जौहर लोबान है। यह लोबान की अपेक्षा अधिक प्रभावी होता है। इसकी मात्रा भी अल्प होती है।

लोबान सत्व (फूल) के फायदे :

ये फूल पूयनाशक (पीब), स्वेदजनन (पसीना लाने वाला), मूत्रल, ज्वरनाशक तथा कफ नाशक हैं। परन्तु इनका कफ नाशक धर्म लोवान की अपेक्षा कमजोर होता है। मूत्र पिण्ड की सूजन में यह बहुत उपयोगी वस्तु है।
(वनौ. चन्द्रोदय)

रोग उपचार में लोबान के फायदे : Benefits of Loban in Hindi

श्वास रोग में लोबान के प्रयोग से लाभ (Loban Benefits in Asthma Treatment in Hindi)

लोबान 500 मिग्रा. ,शुण्ठी 500 मिग्रा. और भार्गी 2 ग्राम मधु के साथ सेवन कराने से तमक श्वास (सुश्रुत के अनुसार श्वास रोग का एक भेद जिसमें दम फूलने के साथ-साथ बहुत प्यास लगती है, पसीना आता है और मतली तथा घबराहट होती है) में लाभ मिलता है।

( और पढ़े – श्वास के 170 घरेलू उपचार )

कास (खाँसी) में लाभकारी है लोबान का सेवन (Loban Uses to Cure Cough Disease in Hindi)

लोबान 500 मिग्रा., लवंग 500 मिग्रा. और बहेड़ा चूर्ण 2 ग्राम को मधु के साथ सेवन कराने से कफज कास का शमन होता है।

दुर्गन्धित कफाधिक्य दूर करने में लोबान फायदेमंद

लोबान 500 मिग्रा., बबूल का गोंद एक ग्राम और 4-5 बादाम को पीसकर (पहले बादाम को भिगोकर उसके छिलके हटा लें) सेवन कराने से गाढ़ा और कठिनाई से छूटने वाला दुर्गन्धित कफ आसानी से छूटता है और उसकी दुर्गन्ध मिटती है।

शीतपित्त में लाभकारी लोबान (Use of Loban in Relief from Hives in Hindi)

शीतपित्त (शीतकाल में होनेवाला एक प्रकार का रोग जिमसें अचानक सारे शरीर में छोटे-छोटे चकते निकल आते हैं और उनमें बहुत तेज खुजली होती है)
लोबान सत्व को निम तेल में मिलाकर लगाने से शीतपित्त से उत्पन्न खुजली दूर होकर उसमें आराम मिलता है।

त्वक विकार (चर्म रोग) मिटाए लोबान का उपयोग (Loban Cures Skin disease in Hindi)

मुख या अन्य अंग पर हुये दाग-धब्बों को मिटाने के लिये लोबान को नींबू के रस में पीसकर लगाना चाहिये।

( और पढ़े – चर्म रोगों के अनुभूत चमत्कारी आयुर्वेदिक उपचार )

गण्डमाला ठीक करे लोबान का प्रयोग (Loban Benefits in Goiter Treatment in Hindi)

लोबान को कुमारी स्वरस में पीसकर लगाना चाहिये।

लोबान के विशिष्ट प्रयोग और योग :

लोबान का मिश्रण-

लोबान के फूल और सज्जीक्षार बराबर मात्रा में लेकर दोनों को पानी में मिलाकर औटाना चाहिये। दोनों अच्छी तरह घुल जाय तब उस पानी को छानकर फिर आग पर चढ़ाकर सुखा लेना चाहिये। फिर इस चूर्ण को शीशी में भर लेना लेना चाहिये।

खुराक –

इस मिश्रण की मात्रा 375 मिग्रा. से 2 ग्राम तक है।

लाभ –

यह मिश्रण यकृत (लिवर) को उत्तेजना देता है। कास-श्वास आदि श्लेष्मा प्रधान रोगों में यह बहत लाभप्रद है। इसके सेवन करने से चिकना और जमा हुआ कफ पतलाहोकर निकल जाता है।
(- वनौ. चन्दोदय)

(2) अर्क लोबान –

लोबान 50 ग्राम, शिलारस 50 ग्राम, एलुआ 10 ग्राम और रेक्टिीफाइड स्प्रिट 500 मिली. लेकर इन सब द्रव्यों को मिलाकर कुछ समय पड़ा रहने देना चाहिये। इसके पश्चात इसे कपड़े से छानकर बोतल में भर लेना चाहिये।

लाभ-

इस अर्क को बादाम और गोंद चूर्ण के साथ पानी में घोटकर देने से श्वासनलिका के जीर्ण शोथ में बहुत लाभ होता है। ताजा जख्म (सद्योव्रण) पर इस अर्क को तुरन्त लगाने से रक्त का बहना फौरन बन्द हो जाता है। इसके अतिरिक्त व्रण, क्षत, भगन्दर, कण्ठमाला और नासूर के व्रणों पर भी इस अर्क को लगाने से बहुत लाभ होता
(- वनौ. चन्दोदय)

(3) रोगन लोबान खास –

कोडियालोबान 60 ग्राम, दालचीनी, लोंग, जायफल, जावित्री,अजवायन प्रत्येक 3 ग्राम। इन सबको यवकुट करके पाताल यंत्र से तैल निकालें, प्याले में दो प्रकार का तैल मालूम होगा। ऊपर वाला तैल पतला और नीचे वाला गाढ़ा। दोनों को अलग अलग रखें।

लाभ (loban oil benefits)-

ऊपर वाला तैल बाह्य रूप से फुरेरी से कनपुटी (शंख प्रदेश) और मस्तक पर लगाने के काम में आता है। नीचे वाला गाढ़ा तैल लोबान का तैल है।
इसे एक सींक भर पान आदि पर लगाकर खिलावें। ऊपर वाला तैल शिरःशूल आदि पर लगाने से अतिशीघ्र लाभ होता है। नीचे वाला तैल उपयुक्त अनुपान से कफज रोग,नजला, श्वास और नपुंसकता तथा आमवात में परम गुणकारी है।
(- यु. सि.यो. सं.)

(4) लोबान मिश्रण (व.य.) –

लोवान के फूल तथा सज्जीक्षार दोनों को पानी में मिलाकर औटाना चाहिये। दोनों द्रव्यों के अच्छी तरह घुल जाने पर छान लें, इस छने हुये पानी को दोबारा औटाकर गाड़ाकर सुखा लेना चाहिये।

खुराक –

इसकी 3 से 15 रत्ती तक की मात्रा देने से यकृत की क्रिया बढ़ जाती है।

लाभ –

यह खांसी, दमा तथा अन्य कफ विकारों में भी प्रयोग कराने से लाभ होता है। इसके प्रयोग से जमा हुआ कफ बाहर निकल जाता है।

(5) लोवान सत्व योग – (रसराजसुन्दर)

शु० बच्छनाग 5 दाने, काडियालोवान 20 तोले, एवं शु० सफेद संखिया 50 ग्राम। सबको एकत्र खरल करके एक वालिस्त लम्बे सेहुण्ड के टुकड़े के भीतर रख दें, फिर इसे कुचलकर एक हांडी में रखें तथा उसके ऊपर दूसरी हांडी ढक कर दोनों के जोड़ को अच्छी तरह बन्द कर दें। इस डमरु यंत्र को चूल्हे पर रखकर नीचे तर्जुनी अंगुलि के समान छोटी बत्ती का दीपक जलावें और ऊपर के भाग पर गीला कपड़ा रख दें, तदन्तर 4 प्रहर तक दीपक बुझाकर हांडी के स्वांगशीतल होने पर सावधानी पूर्वक जोड़ को खोलकर ऊपर की हांडी में लगे हुये सत्व को निकाल लें।

खुराक –

2-4 रत्ती।

लाभ-

इसे यथोचित मात्रा में प्रयोग करने से श्वास तथा खांसी में लाभ होता है।

लोबान के दुष्प्रभाव : Side Effects of Loban in Hindi

  • लोबान औषधीय उपयोग से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
  • उष्ण प्रकृति वालों को इसका सेवन सावधानीपूर्वक करना चाहिये ।

नोट – इसके हानिकारक प्रभाव को दूर करने के लिए “रोगन बनफ्सा” एवं “काडू” का उपयोग करना चाहिये

लोबान का मूल्य : Loban Price in India

Pure Loban – 500 Grm – 206 Rs
PRARTHANA Loban Dhoop Sticks Charcoal Free – 200 Grm – 229 Rs

कहां से खरीदें :

अमेज़न (Amazon)

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