गोरखमुंडी के 21 दिव्य फायदे, गुण, उपयोग और दुष्प्रभाव – Gorakhmundi Benefits and Side Effects in Hindi

Last Updated on August 12, 2024 by admin

गोरखमुंडी क्या है ? : gorakhmundi in hindi

देश में उपलब्ध अनेक जड़ी बूटियों में एक है गोरखमुण्डी जिसे मुण्डी भी कहते हैं। इस वनस्पति के पांचों अंगों का उपयोग, कुछ व्याधियों की चिकित्सा में, प्रमुख घटक द्रव्य के रूप में किया जाता है। यह ज़मीन पर फैलने वाली गुल्म जाति की वनौषधि है। यह छोटी और बड़ी दो प्रकार की होती है और दोनों के गुण एक समान होते हैं। इसमें शीतकाल में फूल आते हैं और बाद में फल लगते हैं।

गोरखमुंडी का विभिन्न भाषाओं में नाम :

  • संस्कृत – मुण्डी
  • हिन्दी – गोरखमुण्डी
  • मराठी – बरसवोंडी, गोरखमुण्डी
  • गुजराती – गोरखमुण्डी
  • तामिल – कोट्टा-करन्थई
  • बंगला – मुड़मुड़िया, मण्डीरी
  • तेलगु – वोड्डातारुपु
  • मलयामल – मिरंगनी
  • कन्नड़ – कीयोबोड़ातर
  • फ़ारसी – कम दुरियस
  • लैटिन – स्फिरेन्थस इण्डिकस (Sphaeranthus indicus.)

गोरखमुंडी के औषधीय गुण व प्रधानकर्म :

गोरखमुण्डी पाक में चरपरी, उष्णवीर्य, मधुर, हलकी, मेधा को हितकारी और गलगण्ड, अपच, पेशाब में रुकावट, कृमि, योनि में पीड़ा, पाण्डु रोग, श्लीपद (हाथी पांव), अरुचि, मिरगी, प्लीहा, मेद तथा गुदा की पीड़ा को नष्ट करने वाली है। यह पचने में भारी और बवासीर नाशक है।

रासायनिक संघटन :

इसमें तिक्त क्षाराभ स्फिरैन्थीन व एक ग्लूकोसाइड पाया जाता है। एक रक्ताभ तैल भी पाया जाता है जिसमें यूजिनाल, आसिमिन आदि तत्व होते हैं। पौधे में पीताभ हरित स्थिर तैल होता है। फूलों में अल्ब्युमिन, एक तैल, रिड्यूसिंग शर्करा, टेनिन, खनिज द्रव्य, उड़नशील तैल तथा ग्लुकोसाइड पाये जाते हैं।

मात्रा एवं सेवन विधि : dosage

इसके पंचांग (जड़,फूल, पत्ती, फल और बीज) का रस एक या दो बड़ा चम्मच भर और काढ़ा 50 मि.लि. तक सुबह शाम लेना चाहिए। आइये जाने gorakhmundi ke fayde in hindi ,gorakhmundi ke labh

गोरखमुंडी के फायदे और उपयोग : health benefits and uses of gorakhmundi

इस जड़ी बूटी के पांचों अंगों (पंचांग) का उपयोग चिकित्सा में किया जाता है। आयुर्वेद ने इसके जो जो गुण बताये हैं उनके अनुसार गोरखमुण्डी का उपयोग, घटक द्रव्य के रूप में करके उस गुण के प्रभाव से रोग को दूर करने में किया जाता है। यहां घरेलू इलाज में उपयोगी कुछ प्रयोग प्रस्तुत किये जा रहे हैं।

1. आमवात में गोरखमुंडी के फायदे : गोरखमुण्डी के फूल और सोंठ का पिसा हुआ बारीक चूर्ण- दोनों 50-50 ग्राम मिला कर तीन बार छान लें और शीशी में भर लें। इसे 1-1 चम्मच सुबह शाम शहद के साथ लेने से आमवात रोग नष्ट होता है। ( और पढ़े – आमवात के 15 घरेलू उपचार)

2. बवासीर में गोरखमुंडी के फायदे : इसकी जड़ की छाल का चूर्ण एक चम्मच, ताज़ी छाछ के साथ सुबह खाली पेट लेने से बवासीर रोग दूर होता है और पेट के कृमि नष्ट होते हैं । ( और पढ़े – बवासीर के 52 सबसे असरकारक घरेलु उपचार)

3. कण्ठमाला में गोरखमुंडी के फायदे : इसको सिल पर पीस कर, लुगदी बना कर, बवासीर के मस्सों, कण्ठमाला और सूखी गठान पर रख कर पट्टी बांधने से लाभ होता है। ( और पढ़े – कण्ठमाला के 22 घरेलू उपचार )

4. मूत्राशय की पथरी और मूत्र की रुकावट में गोरखमुंडी के फायदे : इसके पंचांग का चूर्ण 10 ग्राम दो कप पानी में डाल कर उबालें, जब पानी आधा कप रह जाए तब उतार कर छान कर सुबह खाली पेट पीने से मूत्राशय की पथरी और मूत्र की रुकावट की व्याधियां नष्ट होती हैं।

5. मुख की दुर्गन्ध में गोरखमुंडी के फायदे : मुख की दुर्गन्ध दूर करने के लिए अच्युताय हरिओम का “दंतमंजन लाल” बहुत गुणकारी सिद्ध हुआ है। दंतमंजन लाल का 100 ग्राम वाला पेकिंग खरीद लाएं। इसमें गोरखमुण्डी का महीन पिसा छना चूर्ण मिला लें। इस मंजन से सुबह व रात को सोते समय मंजन करने से मसूढे स्वस्थ व मज़बूत होते हैं और मुख की दुर्गन्ध दूर होती है। ( और पढ़े –मुंह की बदबू के कारण और दूर करने के 15 घरेलू उपाय )

6. स्वर माधुर्य में गोरखमुंडी के फायदे : गला बैठ जाए जिससे आवाज़ बिगड़ जाती है तो गोरखमुण्डी का बारीक चूर्ण 50 ग्राम और पिसी सोंठ 10 ग्राम अच्छी तरह मिला लें। आधा-आधा चम्मच चूर्ण शहद में मिला कर सुबह शाम चाटने से गला ठीक हो जाता है और आवाज़ सुधर जाती है।

7. पौरुषग्रन्थि वृद्धि में गोरखमुंडी के फायदे : वृद्धावस्था के प्रभाव से होने वाली व्याधियों में एक व्याधि है पौरुषग्रन्थि (Prostate Gland) की वृद्धि होना। इस व्याधि के कारण मूत्र विसर्जन खुल कर नहीं होता, बैठ कर मूत्र विसर्जन करने में असुविधा व रुकावट होती है। गोरखमुण्डी का अर्क 4-4 चम्मच दिन में तीन बार पीने से यह व्याधि दूर हो जाती है। यदि बाज़ार में अर्क न मिले तो सुबह 2 कप पानी में 10 ग्राम (एक बड़ा चम्मच) चुर्ण डाल कर उबालें । जब आधा कप बचे तब उतार कर छान लें। यह काढ़ा तैयार हो गया। इसे तीन खुराक करके सुबह दोपहर शाम को पिएं।

8. उदर वायु में गोरखमुंडी के फायदे : गैस बढ़ने की तकलीफ़ दूर करने के लिए आधा चम्मच मुण्डी का चूर्ण दूध के साथ सुबह शाम लेने से आराम होता है।

9. सफ़ेद दाग़ में गोरखमुंडी के फायदे : त्वचा पर सफ़ेद दाग़ हो । जाए तो तुरन्त यह उपाय करना चाहिए मुण्डी का चूर्ण 50 ग्रा. व समुद्र शोष 25 ग्राम- दोनों को खूब पीस कर मिला लें। इस चूर्ण को 1-1 चम्मच सुबह शाम पानी के साथ लेने से कुछ दिनों में सफ़ेद दाग मिट जाता है। ( और पढ़े – सफेद दाग का कारण व आयुर्वेदिक इलाज)

10. रक्त विकार में गोरखमुंडी के फायदे : रक्त विकार होने पर त्वचा पर खुजली, फोड़े-फुसी आदि उपद्रव होते हैं। मुण्डी का अर्क या काढ़ा सुबह शाम पीने से रक्त विकार दूर होता है और उपद्रव शान्त होते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में जानकारी रखने वाले बुजुर्ग प्रतिवर्ष चैत्र मास के प्रारम्भिक दो सप्ताह में मुण्डी के चूर्ण का सेवन जल के साथ 15 दिन तक सेवन करते हैं और नमक का सेवन इन 15 दिनों में नहीं करते। इस उपाय से रक्त विकार होने की सम्भावना समाप्त हो जाती है।

11. कम्पवात में गोरखमुंडी के फायदे : मुण्डी का चूर्ण, कौंच बीज का चूर्ण और लौंग का चूर्ण- तीनों को अच्छी तरह पीस कर मिला लें। सुबह शाम 1-1 चम्मच शहद के साथ, लाभ न होने तक सेवन करना चाहिए।

12. निर्बलता में गोरखमुंडी के फायदे : मुण्डी के पंचांग को छाया में सुखा कर, कूट पीस कर महीन बारीक चूर्ण कर लें। सुबह खाली पेट एक चम्मच (5-6 ग्राम) मात्रा में यह चूर्ण दूध के साथ सेवन करने से शरीर शक्तिशाली होता है। यह प्रयोग स्त्री-पुरुष दोनों के लिए उपयोगी है। इस प्रयोग को किसी भी ऋतु में और कितने ही समय तक किया जा सकता है।

13. नेत्र ज्योति बढ़ाने में गोरखमुंडी के फायदे : इसके फल का चूर्ण और पिसी शक्कर या मिश्री दोनों समान मात्रा में ले कर मिला लें। इसे एक चम्मच मात्रा में, दूध के साथ, लेना है। सुबह खाली पेट और रात को सोते समय लेना चाहिए । इस प्रयोग से नेत्र रोग दूर होते हैं और नेत्र ज्योति बढ़ती है।

14. नपुंसकता में गोरखमुंडी के फायदे : मुण्डी की जड़ को पानी से धो कर कूट पीस कर लुगदी बना कर, पीतल की कलईदार कढ़ाही में डाल दें ऊपर से लुगदी के वज़न से चार गुनी मात्रा में काले तिलों का तैल और तैल के वज़न (मात्रा) से चार गुनी मात्रा में पानी डाल कर मन्दी आंच पर पकने के लिए रख दें। जब पानी जल जाए और सिर्फ तैल ही बचे तब उतार लें। इसे बाटल में भर लें। इस तैल से प्रतिदिन बदन पर मालिश करें और पुरुषेन्द्रिय पर यह तैल लगाएं तो शरीर स्वस्थ, शक्तिशाली बनता है और पुरुष के शिश्न में कठोरता व शक्ति आती है। ( और पढ़े –वीर्य वर्धक चमत्कारी 18 उपाय )

गोरखमुंडी के कुछ अन्य घरेलू प्रयोग और गुण : Gorakhmundi ke Labh in Hindi

1. शक्ति-स्वास्थ्यप्रद –

गोरखमुंडी के पौधों को (पंचांग सहित) छाये में सुखा कर कूट पीस छान कर महीन चूर्ण करके बर्नी में भर के रख लें। इस चूर्ण को 1 चम्मच (5 से 6 ग्राम) मात्रा में प्रतिदिन प्रातःकाल दूध के साथ अथवा विषम मात्रा में (1भाग घी और 3 भाग शहद) घी व शहद के साथ सेवन करने से मनुष्य का यौवन स्थिर रहता है, बाल सफ़ेद नहीं होते और शरीर सशक्त तथा सुडौल रहता है। यह स्त्री और पुरुषों के लिए एक समान उपयोगी है।

अनुपान भेद से इसे चैत्र वैशाख (वसन्त ऋतु) में शहद के साथ, जेठ असाढ़ – (ग्रीष्म ऋतु) में शक्कर के साथ, सावन भादों (वर्षा ऋतु) में गौघृत के साथ, कंवार-कार्तिक (शरद ऋतु) में गौदुग्ध के साथ, अगहन पौष (हेमन्त ऋतु) में मठा (छाछ) के साथ, माघ फागुन (शिशिर ऋतु) में कांजी के साथ सेवन करने की खटपट यदि कोई धुन का धनी कर सके तो इसके अद्भुत रसायन-गुण से बलवीर्य, पौरुष और शारीरिक बल की भारी वृद्धि होती है यह एक – यूनानी हकीम का अनुभूत मत है।

यह दिल-दिमाग़,नेत्र, मूत्र संस्थान, यौन संस्थान, केश और स्नायिक संस्थान को बेहद लाभ और बल प्रदान करती है।

2. आमवात –

गोरखमुंडी के पंचांग का चूर्ण आधा चम्मच और आधा चम्मच सोंठ का चूर्ण-मिला कर प्रातः गरम पानी के साथ फांकने से जोड़ों का दर्द, वात व्याधि, आमवात आदि व्याधियां गायब हो जाती हैं। (भावमिश्र)

3. बवासीर व गुल्म –

गोरखमुंडी की जड़ या छाल को कूट पीस कर महीन चूर्ण कर लें। एक चम्मच चूर्ण प्रतिदिन छाछ के साथ सेवन करने से बवासीर और गुल्म नष्ट होते हैं।

4. नेत्र ज्योति –

जिनकी नेत्र-ज्योति कमज़ोर हो वे गोरखमुंडी के फल का महीन चूर्ण करके समान भाग शक्कर मिला लें। एक चम्मच चूर्ण गो-दुग्ध के साथ नियमित रूप से सेवन करने पर आंखों की बीमारियां दूर होती हैं और नेत्र ज्योति बढ़ती है।
सैयद मोहम्मद अली खां अपने ग्रन्थ ‘आबे हयात‘ में लिखते हैं कि हर साल चैत्र मास में
प्रतिदिन गोरखमुण्डी के 1 से 2 ताजे फल तोड़कर चबाकर पानी के साथ निगल लें तो पूरे साल भर आंखें स्वस्थ रहती हैं और नेत्र ज्योति कम नहीं होती।

5. पेट के कीड़े –

गोरखमुंडी के बीजों का चूर्ण पानी के साथ फांकने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं बड़ों को एक चम्मच चूर्ण और बच्चों को एक चौथाई (पाव चम्मच) चूर्ण लेना चाहिए।

6. पुरुषों के लिए – नपुंसकता, शिश्न शिथिलता दूर करने गोरखमुंडी उपयोगी

गोरखमुंडी की ताज़ी जड़ को धो साफ़ कर कूट पीस कर लुगदी बना लें। कलईदार पीतल की कढ़ाही में रख कर इसके वज़न से चौगुनी मात्रा में काले तिल का शुद्ध तेल और तेल के वज़न से चौगुना पानी डाल कर मन्दी आंच पर पकने के लिए रख दें। जब पानी जल जाए और सिर्फ़ तेल बाक़ी बचे तब उतार कर छान लें और शीशी में भर कर रख लें। इस तेल से शरीर पर मालिश करने और पुरुषेन्द्रिय पर लगाने से शरीर में चुस्ती, फुर्ती और कठोरता आती है। भोजन के बाद इस तेल की 10 से 12 बूंदें पान पर टपका कर पान मुंह में रख कर चूसने से नपुंसकता नष्ट होती है।

7. स्त्रियों के लिए – स्तनों का ढीलापन दूर करने में गोरखमुंडी से लाभ

गोरखमुण्डी की पंचांग और लेंडी पीपर समान मात्रा में लेकर पानी के साथ पीस कर लुगदी बना लें। कलईदार कढ़ाई में काले तिल का शुद्ध तेल लुगदी से चौगुनी मात्रा में और तेल से चौगुनी मात्रा में जल डालकर लुगदी डाल दें तथा मन्दी आंच पर पकने दें। जब पानी जल जाए तब उतार कर छान लें। स्त्रियां इस तेल से शरीर पर मालिश करें तो उनका शरीर चुस्त दुरुस्त बना रहेगा।

रूई को तेल में भिगोकर निचोड़ लें। तेल को स्तनों पर लगाकर यह रूई रख दें और कपड़ा लपेट कर ब्रेसियर (अंगिया) पहन लें। दिन में 5 से 10 बार इस तेल को रुमाल पर टपका कर सूंघती रहें। लगातार कुछ दिन यह प्रयोग करने से स्तनों की शिथिलता दूर होती है और उनमें कठोरता आती है।

अनुपान भेद से लाभ :

जैसे हरड़ अलग-अलग अनुपान के साथ अलग-अलग गुण करती है वैसे ही गोरखमुण्डी भी करती है –

  • इसके पंचांग का चूर्ण विषम मात्रा में घी व शहद के साथ लेने से नपुंसकता,
  • शक्कर के साथ लेने से धातु-क्षीणता और जलोदर रोग,
  • कालीमिर्च के साथ लेने से ज्वर,
  • जीरे के साथ लेने से दाह (जलन),
  • गोदुग्ध के साथ लेने से प्रमेह,
  • कपूर के साथ लेने से बवासीर,
  • नीबू के रस के साथ लेने से मिरगी रोग मिटता है।
  • जायफल के चूर्ण के साथ इस का चूर्ण मिला कर, बकरी के दूध के साथ लेने से स्त्री गर्भधारण करने की क्षमता प्राप्त करती है।

मात्रा – १ चम्मच चूर्ण और दूसरा द्रव समान मात्रा में लेना चाहिए। सेवन का समय प्रातःकाल एक बार।

गोरखमुंडी के नुकसान : side effects of gorakhmundi in hindi

  • गोरखमुण्डी अत्यन्त गुण सम्पन्न और श्रेष्ठ होते हुए भी चूंकि ‘उष्णवीर्य’ और गरम तासीर रखती है अतः इसको सेवन करते समय इसका ध्यान रखना चाहिए। गर्मी या खुश्की सी मालूम पड़े तो इसकी मात्रा कम करके सेवन करना चाहिए और घी-दूध का पर्याप्त सेवन करना चाहिए।
  • गोरखमुंडी का अधिक मात्रा में उपयोग जननांगों के लिए हानिकारक हो सकता है।
  •  गोरखमुंडी लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें।

Read the English translation of this article here Gorakhmundi: 23 Amazing Uses, Benefits, Dosage and Side Effects

अस्वीकरण: इस लेख में उपलब्ध जानकारी का उद्देश्य केवल शैक्षिक है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं ग्रहण किया जाना चाहिए। कृपया किसी भी जड़ी बूटी, हर्बल उत्पाद या उपचार को आजमाने से पहले एक विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।

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